मुगल गार्ड नहीं, अब कहें अमृत उद्यान Amrit Udyan एक ऐसा बाग जिसे देखकर दिल बाग-बाग हो जाए
26 जनवरी 2023 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्टÑपति भवन में बने प्रसिद्ध मुगल गार्डन का नाम बदलकर ‘अमृत उद्यान’ किया। ये उद्यान साल में एक बार जनता के लिए खुलता है और इस बार 31 जनवरी से 31 मार्च तक यह उद्यान पर्यटकों के लिए खुला रहेगा। सरकार ने गत वर्ष 2022 को दिल्ली के प्रतिष्ठित ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया था। केंद्र का कहना है कि इन चीजों के नाम में बदलाव औपनिवेशिक मानसिकता के निशान को हटाने का प्रयास है।
कश्मीर के सम्मोहक नैसर्गिक सौंदर्य को देख कर फारसी के एक शायर ने कहा था कि अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं पर है, यहीं पर है और यहीं पर है। वास्तव में कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जा सकता है और इस स्वर्ग के प्राकृतिक सौंदर्य को और अधिक उभारने में मनुष्य ने भी कोई कसर नहीं रख छोड़ी, विशेषकर मुगल बादशाहों ने जिन्होंने श्रीनगर के पास डल झील के किनारे पहाड़ी ढलानों पर शालीमार और निशात जैसे ख़ूबसूरत सीढ़ीनुमा बाग लगवाए। ऐसे सुंदर हैं ये बाग कि स्वर्ग भी इनसे ईर्ष्या करने लगे। तभी तो ‘इकबाल’ साहब ने ऐसे सुंदर बागों से युक्त स्वर्गतुल्य भारतभूमि के विषय में कहा है:
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गोदी में खेलती हैं इसके हजारों नदियां, गुलशन है जिनके दम से रश्के-जिनाँ हमारा।
मुगल बादशाहों को बाग लगवाने का बड़ा शौक था। उन्होंने न केवल स्वर्गतुल्य कश्मीर घाटी में बड़े-बड़े बाग लगवाए, अपितु तत्कालीन राजधानी आगरा और दिल्ली में भी बहुत से बाग लगवाए। उन्होंने जितने भी किले बनवाए, उन सबके अंदर भी ख़ूबसूरत बाग-बगीचे लगवाए और इन्हीं मुगलकालीन बाग-बगीचों से प्रेरणा लेकर नई दिल्ली के प्रमुख वास्तुकार सर एडविन ल्यूटियंस ने राष्टÑपति भवन (तत्कालीन वायसराय हाउस) में भी एक उद्यान बनवाया जिसे अब अमृत उद्यान (मुगल गार्डन) के नाम से जाना जाता है।
राष्टÑपति भवन परिसर में निर्मित अमृत उद्यान में भी मुगल बादशाहों द्वारा बनवाए गए बागों की तरह ही सुंदर तालाब व नहरें बनी हुई हैं तथा फव्वारे लगे हुए हैं। रायसीना पहाड़ी पर बना यह उद्यान भी कमोबेश सीढ़ीनुमा बाग का अहसास कराने में सक्षम है। वैसे तो अमृत उद्यान में सारे वर्ष ही रंग-बिरंगे फूलों की बहार रहती है, लेकिन वसंत के आगमन के साथ इसका सौंदर्य कुछ अधिक ही बढ़ जाता है और तब फरवरी-मार्च के महीनों में यह आम दर्शकों के लिए खोल दिया जाता है, जिसे देखने के लिए न सिर्फ दिल्लीवासी ही पहुंचते हैं, अपितु देशभर से असंख्य लोग इसे देखने के लिए आते हैं और इसके अप्रतिम सौंदर्य से अभिभूत होकर लौटते हैं।
अमृत उद्यान लगभग 15 एकड़ में फैला हुआ है। यह मुख्य रूप से रेक्टेंगुलर, लॉन्ग तथा सर्कुलर गार्डन के रूप में बंटा हुआ है। इसका पहला भाग रेक्टेंगुलर अथवा आयताकार है। बाग के इस भाग में बीचों-बीच नहरें बनी हुई हैं तथा फव्वारे लगे हुए हैं। यहां सैंकड़ों प्रकार के फूल लगे हुए हैं जिनमें कॉसमॉस, स्वीट विलियम, डहेलिया, लुपिन, एस्टर, साल्विया, जूनीपेर, बोगनविलिया, गुलाब आदि फूलों की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इसके अलावा मोगरा, रात की रानी, मोतिया, जूही, हरसिंगार, मौलश्री, चंपा, चमेली, रंगून क्र ीपर आदि की झाड़ियाँ तथा पौधे व साइप्रस, चायना आॅरेंज आदि के ख़ूबसूरत छोटे-छोटे पेड़ लगे हुए हैं।
अमृत उद्यान का दूसरा भाग लॉन्ग गार्डन है जो लंबाई में फैला हुआ है तथा ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। इसमें विशेष रूप से गुलाबों की क्यारियाँ बनी हैं। गार्डन का तीसरा भाग सर्कुलर गार्डन कहलाता है। सर्कुलर गार्डन को पर्ल या बटरफ्लाई गार्डन भी कहा जाता है। गोलाई के आकार में बना यह भाग रास्तों को छोड़कर चारों ओर फूलों की क्यारियों से घिरा है तथा इसके बीचों-बीच ख़ूबसूरत फव्वारा भी बना है जो इसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देता है।
मेन अमृत उद्यान में प्रवेश करने से पहले पर्यटकों को हर्बल गार्डन से होकर गुजरना पड़ता है। हर्बल गार्डन में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ जैसे ब्राह्मी, एलोयवेरा, सर्पगंधा, स्टीविया, तुलसी, शंखपुष्पी, कैमोमाइल आदि विशेष रूप से लगाई गई हैं। यहाँ हर्बल गार्डन के अतिरिक्त आध्यात्मिक, औषधीय तथा जैव विविधता वाले बगीचों के साथ-साथ एक नक्षत्र गार्डन भी निर्मित किया गया है जहाँ हमारे सौरमंडल में उपस्थित सत्ताइस नक्षत्रों के गुणों से मेल खाते सत्ताइस पेड़ लगाए गए हैं जैसे महुआ, कदंब, पीपल, अर्जुन, बेलपत्र, जामुन आदि। इसके अतिरिक्त धार्मिक विश्वास से जुड़े पेड़-पौधों से सजा स्प्रिच्युअल गार्डन, दृष्टिबाधितों के लिए टेक्टाइल गार्डन, तरह-तरह के फल-सब्जियों से युक्त न्यूट्रिशन गार्डन है।
मेन अमृत उद्यान में जिस फूल की सबसे ज्यादा प्रजातियां देखी जा सकती हैं वो है गुलाब। यहाँ गुलाब की एक सौ पैंतीस प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं जैसे क्वीन एलिजाबेथ, मदर टेरेसा, ऐश्वर्या, ताजमहल, मोंटे जुमा, किस आॅफ फायर, हैप्पीनेस, एफिल टावर, इंक स्पॉट, ग्लोरी, सेंटीमेंटल मेमोरियल डे, रेप्सोडाई इन ब्ल्यू, सेवन हेवन, वेल्विन गार्डन, ब्लैक रोज या आॅक्लोहोमा, ब्लैक बकारा, ग्रीन रोज, चायनामैन, टिंसटरमैन, सेंचुरी-टू , आइसबर्ग, शर्बत आदि। सफेद, लाल, गुलाबी, पीले, काले, नीले, हरे, जामुनी तथा अन्य कई आकर्षक रंगों व विभिन्न गंधों में यहाँ के गुलाब न केवल वसंत ऋतु में अपितु सारे साल आगंतुकों का स्वागत करने को तत्पर रहते हैं।
ख़ूबसूरत अमृत उद्यान में विदेशी पेड़-पौधे और फूल भी कम नहीं हैं जिनमें एशियाटिक लिली, ओरियंटल लिली, डेफोडिल, तथा हॉलैंड में विशेष रूप से उगने वाले बल्ब के आकार के ट्यूलिप के फूलों के पौधे मुख्य रूप से सबको आकर्षित करते हैं। इस बार यूरोपियन ट्यूलिप ही गार्डन का प्रमुख थीम हैं जहाँ दर्शक सफेद, लाल, पीले, गुलाबी, नारंगी व बैंगनी आदि विभिन्न रंगों के दिलकश ट्यूलिप्स को देखने का लुत्फÞ उठा सकेंगे। हर बार की तरह इस बार भी फूलों के गलीचे अथवा फ्Þलॉर कार्पेट्स अमृत उद्यान का विशेष आकर्षण रहेंगे।
गार्डन की ख़ूबसूरती को और अधिक बढ़ाने के लिए यहंँ एक कैक्टस कॉर्नर भी बनाया गया है और विभिन्न पौधों की बोनसाई वैरायटी भी प्रदर्शित की जाती हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस उद्यान के रख-रखाव और इसकी सुंदरता को बनाए रखने के लिए कई दर्जन माली तथा अनेक बागबानी विशेषज्ञ यहाँ सारे साल लगे रहते हैं और इस पर लाखों रुपये का व्यय भी होता है। तो क्या सोच रहे हैं आप? अभी फरवरी में यह आम दर्शकों के लिए खुलने ही वाला है। क्यों न एक बार फिर से इसे देखने का कार्यक्र म बना लिया जाए?
-सीताराम गुप्ता