खास मुश्किल नहीं है अच्छा पड़ोसी बनना
आमतौर पर यह माना जाता है कि अच्छे पड़ोसी पाना भाग्य की बात है। आज के भौतिकवादी युग में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो अपने पड़ोसियों से नि:स्वार्थ भाव से मेल मिलाप रखना अपना फर्ज समझते हैं।
महानगरों से लेकर गांवों तक लोगों में आत्मकेंद्रित व एकाकी रहने की प्रवृत्ति बढ़ चली है।
इस प्रवृत्ति के चलते आज के एकाकी रहने वाले परिवारों को, मिलनसार व मददगार प्रवृत्ति के पड़ोसियों की अपेक्षा अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है
जबकि जरा सा प्रयास करने से कोई भी एक अच्छा पड़ोसी बन सकता है।
- समय-असमय अपने पड़ोसी के घर जाकर, व्यर्थ की बातें करके अपना व उसका समय नष्ट न करें।
- एक पड़ोसी की चुगली या बुराई, दूसरे पड़ोसी से करने से बचें।
- उनके निजी मामलों में दखलंदाजी करने से बचें।
- उनकी परंपराओं, रीति-रिवाज, धर्म, आस्था, पहनावे, खानपान को आपसी चर्चा का विषय न बनायें।
- अपने पड़ोसियों को एक दूसरे के विरुद्ध कभी न भड़कायें, न ही किसी के पारिवारिक सदस्य को बिना वजह उल्टी-सीधी सलाह दें।
- अपनी प्रतिष्ठा, अमीरी, रसूख व बच्चों या मायके के हाई स्टेंडर्ड का रोब कभी भी पड़ोस में न झाड़ें।
- यदि आप अपने पड़ोसियों से प्रेम और सम्मान चाहते हैं तो उन्हें भी प्रेम और सम्मान देने से न हिचकिचायें।ं
- रोज-रोज किसी भी पड़ोसी से छोटी-बड़ी चीजें मांगने से बाज आयें क्योंकि ऐसा करने से पड़ोसियों के मन में आपकी छवि धूमिल ही होगी।
- यदि कभी एमरजेंसी में कोई चीज उधार लेनी ही पड़े तो उसे उपयोग करने के पश्चात् सही सलामत देकर उन्हें धन्यवाद के दो शब्द अवश्य कहें।
- कचरा फेंकने, नाली के पानी की निकासी या वाहनों को खड़े रहने की स्थिति को लेकर अक्सर पड़ोसी पड़ोसी में ठन जाती है। ऐसे मौके पर आपस में शांतिपूर्वक वार्ता करके इन समस्याओं से निपटा जा सकता है।
- बच्चों के छोटे-मोटे झगड़ों को आपसी विवाद की जड़ न बनायें क्योंकि बच्चे तो आपस में लड़-झगड़कर या फिर मां-बाप को दूसरे बच्चों की शिकायत करके थोड़ी देर बाद भूल जाते हैं लेकिन बच्चों के माता पिता आपस में झगड़ लेते हैं तो बात आगे तक बढ़ सकती है।
- पड़ोसियों के साथ टहलते या बातचीत करते वक्त शिष्ट हास्य परिहास का सहारा लें। भोंडेÞ या द्विअर्थी हंसी मजाक करने से बचें।
- पड़ोस में कोई बीमार हो या बच्चों की परीक्षाओं के दौरान अखण्ड पाठ, जगराते या पार्टी में लाउडस्पीकर का प्रयोग न करें। इससे उनको असुविधा हो सकती है।
- हर तीसरे चौथे दिन खाने की चीजों के आदान-प्रदान करने से बचें, क्योंकि महंगी व टेस्टी डिशेज भेजने वाला भी वैसा ही लजीज व्यंजन पाने की आकांक्षा रखेगा।
-पूर्णिमा मित्रा