रक्त का विकल्प सिर्फ रक्तदान
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डेरा सच्चा सौदा के नाम रक्तदान के रिकार्ड
- 7 दिसम्बर 2003 क ो 8 घंटों में सर्वाधिक 15,432 यूनिट रक्त दान।
- 10 अक्त ूबर 2004 क ो 17921 यूनिट रक्त दान।
- 8 अगस्त 2010 को मात्र 8 घंटों में 43,732 यूनिट रक्त दान।
” रक्तदान करके अगर किसी की जान बचाई जा सकती है, तो यह बहुत पुण्य का काम है। मानवता के नाते मनुष्य को रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान करने से शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती, बल्कि पहले की अपेक्षा अच्छा रक्त बनता है और शरीर में ताजगी महसूस होती है।’’ -पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
विश्व रक्तदान दिवस, शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त कर चुके वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहित करना और उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है। इसी दिन 14 जून 1868 को वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म हुआ था। उन्होंने इन्सानी रक्त में एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर ब्लड ग्रुप ए, बी और ओ समूह की पहचान की थी। खून के इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी खोज के लिए कार्ल लैंडस्टाईन को सन 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
- भारत में हर साल लगभग 10 हजार बच्चे थैलिसीमिया जैसी बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इनमें से कई बच्चों की वक्त पर खून न मिलने की वजह से मौत हो जाती है।
- भारत में एक लाख से ज्यादा थैलिसिमिया के मरीज हैं, जिन्हें बार-बार खून बदलने की जरूरत पड़ती है। भारत में प्रति एक हजार लोगों में से मात्र आठ लोग ही स्वैच्छिक रक्तदान करते हैं।
‘बेटा, तुम्हारा यह अहसान मैं ताउम्र नहीं भुला पाऊंगी, तूने मेरे बच्चे को नई जिंदगी दी है।’ जीवन के 80 बसंत देख चुकी माता लखविंद्र कौर की बेबसी इन शब्दों में साफ झलक रही थी। माता जी, यह कोई अहसान नहीं, मैंने तो सिर्फ फर्ज निभाया है। अगर शुक्रिया करना ही है तो मेरे सतगुरु जी का करो, जिन्होंने मेरे अंदर रक्तदान की ऐसी प्रेरणा भरी है। उन्होंने मेरे ही नहीं, अपितु मेरे जैसे लाखों-करोड़ों लोगों में इन्सानियत का ऐसा अनूठा जज्बा भरा है जो खुद की जान की परवाह किए बिना दूसरों के दु:ख-दर्द में मददगार बनते हैं।
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रक्तदान करने पहुंचे अनभिज्ञ युवक से यह बात सुनकर वह वृद्धा अवाक सी रह गई। समाज में आज ऐसे लाखों उदाहरण देखने-सुनने को मिल जाएंगे। ऐसे विचार एवं सोच का धनी डेरा सच्चा सौदा रक्तदान के क्षेत्र में हमेशा अग्रणी भूमिका में नजर आया है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु रक्तदान के क्षेत्र में कई कीर्तिमान बना चुके हैं। खास बात यह भी है कि डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों के ऐसे सेवाभाव को देखते हुए पूज्य संत डॉ. एमएसजी ने उनको चलता-फिरता ब्लॅड पम्प की संज्ञा दी है।
वाकई में सेवादारों का रक्तदान के प्रति जज्बा कमाल का है। ये लोग कभी यह नहीं देखते कि मरीज किस धर्म, किस जात या पात का है, इनका मकसद सिर्फ एक ही होता है कि खून की कमी से किसी को जान नहीं गंवाने देंगे। ये सेवादार आवश्यकता पड़ने पर हजारों किलोमीटर का सफर कर भी रक्तदान करने के लिए पहुंच जाते हैं। आमतौर पर अनुयायियों के द्वारा प्रतिदिन घायलों, गर्भवती महिलाओं के लिए रक्तदान करने के मामले सामने आते रहते हैं। यही नहीं, देश की सेना, पुलिस विभाग के अलावा थैलिसीमिया मरीजों के लिए भी नियमित रक्तदान किया जाता है।
डेरा सच्चा सौदा की इस रक्तदान मुहिम का अहम पहलू यह भी है कि डेरा श्रद्धालु हिंदुस्तान ही नहीं, अपितु विदेशों में भी इस नि:स्वार्थ फर्ज को बड़े गर्व से निभाते हैं। गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा को रक्तदान क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने पर ‘गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ की ओर से 3 बार सम्मानित किया जा चुका है।
एक फीसदी आबादी चाहे तो …
कहते हैं कि ईश्वर ने अगर आपको आपके लिए जिंदगी में यदि कुछ ज्यादा या अतिरिक्त दिया है तो उसका दान करते रहना चाहिए। चाहे समय हो या रक्त(ब्लड) हो! दरअसल रक्त एक ऐसी चीज है, जिसका कोई विकल्प नहीं है। गंभीर बीमारी हो या दुर्घटना में रक्त की कमी से भारत में हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है, जबकि इस कमी को मात्र एक फीसद आबादी रक्तदान कर पूरा कर सकती है।
हैरानी की बात है कि विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत रक्तदान में काफी पीछे है। यहां तक कि हमारे पड़ोसी देश भी इस महादान में हमसे बहुत आगे हैं। रक्त की कमी को खत्म करने के लिए दुनियाभर में 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। बता दें कि पूरी दुनिया में हर साल करीब 10 करोड़ लोग रक्तदान करते हैं। भारत में हर साल बीमारियों या गंभीर दुर्घटनाओं में घायल लोगों को करीब एक करोड़ बीस लाख यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। इसमें से मात्र 90 लाख यूनिट रक्त ही उपलब्ध हो पाता है और करीब 30 लाख लोगों को समय पर खून नहीं मिल पाता है।
आंकड़े बताते हैं कि रक्तदान के प्रति छोटी सी जागरूकता इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकती है। क्योंकि रक्तदान की कमी से भारत में हर छठे मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। भारत में जहां रक्तदान से जरूरत का मात्र 75 फीसद खून ही एकत्र होता है, वहीं पड़ोसी देश इस मामले में काफी आगे हैं। नेपाल में जरूरत का 90 फीसद रक्तदान होता है। श्रीलंका में जरूरत का 60 फीसद, थाईलैंड में 95 फीसद, इंडोनेशिया में 77 फीसद और म्यामांर में कुल आवश्यकता का 60 फीसद रक्तदान होता है। भारत रक्तदान में भले ही बहुत पीछे है, लेकिन यहां भी लोगों में अब तेजी से जागरूकता बढ़ रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर यूनिट में 450 मिलीलीटर खून होता है. यानी हर साल देश में 883405 लीटर खून की कमी रहती है। रक्तदान के क्षेत्र में और बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि महिलाएं चाहकर भी रक्तदान नहीं कर पा रही हैं। मेडिकली अनफिट होने के चलते महिलाओं में स्वैच्छिक रक्तदान में करीब 10 फीसद ही सहयोग रहता है। चिकित्सकों की मानें तो अधिकतर महिलाओं का हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम से कम रहता है, जो रक्तदान के लिए जरूरी है। चिकित्सकीय रिसर्च में साबित हो चुका है कि रक्तदान से शरीर में किसी तरह की कमजोरी नहीं होती है। गर्मियों में भी रक्तदान से कोई कमजोरी नहीं आती। यह अलग बात है कि लोग धूप और गर्मी को देखकर रक्तदान करने से बचते हैं। जबकि गर्मियों में खून की डिमांड काफी बढ़ जाती है।
शायद आप नहीं जानते….
- एक औसत व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानी (5-6 लीटर) रक्त होता है।
- रक्तदान करते हुए डोनर के शरीर से केवल 1 यूनिट रक्त ही लिया जाता है।
- कई बार केवल एक कार एक्सीडेंट (दुर्घटना) में ही, चोटिल व्यक्ति को 100 यूनिट तक रक्त की जरूरत पड़ जाती है।
- एक बार रक्तदान से आप 3 लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं।
- ‘ओ नेगेटिव’ ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है।
- कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकता हैं।
- 3 महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान किया जा सकता है।
रक्तदान करने का फायदा
- रक्तदान से हार्टअचैक का खतरा बहुत कम हो जाता है। रक्तदान से नसों में खून का थक्का नहीं जम पाता है।
- नियमित रक्तदान से खून पतला बना रहता है और शरीर में खून का बहाव सही रहता है।
- रक्तदान से वजन कम करने में मदद मिलती है। साल में कम से कम दो बार रक्तदान अवश्य करना चाहिए।
- रक्तदान से शरीर में एनर्जी आती है, क्योंकि शरीर में नया खून बनता है। इससे शरीर भी तंदरूस्त होता है।
- रक्तदान से लीवर से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है। रक्तदान से आयरन मात्रा संतुलित होती है।
- एक यूनिट ब्लड डोनेट करने से आपके शरीर से 650 कैलोरीज कम होती है।
ध्यान रखें इन बातों का
- रक्तदान 18 साल की आयु के बाद ही करें।
- रक्तदाता का वजन 45 से 50 किलोग्राम से कम ना हो।
- रक्तदान करते वक्त आपको कोई गंभीर अथवा संक्रामक बीमारी नहीं होनी चाहिए या किसी दवा का सेवन न कर रहे हों।
- पीरियड के दौरान या बच्चों को दूध पिलाने के दौरान महिलाएं रक्तदान नहीं कर सकतीं।
- रक्तदान से पहले अच्छी नींद और स्वस्थ भोजन लें।