भाषा मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी है। उच्चरित ध्वनि- संकेतों के सहयोग से मानव अपने भावों और विचारों का परस्पर आदान- प्रदान कर सकता है। 21वीं सदी की सूचना-क्र ांति एवं विज्ञान व तकनीकी विकास ने भाषा-विज्ञान के महत्त्व को बढ़ाया है।
अब भाषा विज्ञान अनंत शाखाओं में बंट गया है, जैसे सोशिओलिंग्विस्टिक्स, न्यूवोलिंग्विस्टिक्स, बायोलिंग्विस्टिक्स, साइकोलिंग्विस्टिक्स व एथनोलिंग्विस्टिक्स आदि।
भाषा-विज्ञान के फैलते क्षेत्र ने रोजगार के अवसरों को भी बढ़ाया है। दुनिया के लगभग सभी राज्यों में भाषा के तीन रूप देखे जा सकते हैं। (1) बोलियां, (2) परिनिष्ठित भाषा (3) राष्टÑ भाषा। भारत में लगभग 600 बोलियां प्रचलित हैं।
20 वीं सदी के अंतिम दौर में अनुप्रयुक्त कंप्यूटरीकृत मशीनी अनुवाद व स्वत: वाक् पहचान में भी भाषा-विज्ञान का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
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यदि आप भाषा विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आप के समक्ष निम्नलिखित विकल्प होंगे-
दुभाषिए का कार्य:-
राष्टÑीय एवं अंतरराष्टÑीय स्तर पर दुभाषिए की आवश्यकता होती है। हिंदी-फ्रेंच-अंगरेजी या अंग्रेजी-जर्मनी-हिंदी या अन्य भाषाओं के संयोजन से आप अपना करियर बना सकते हैं। इस के अंतर्गत सेवा, ख्याति, पहचान एवं देश विदेश की यात्राओं का भी लाभ मिलता है।
शिक्षण:-
वैश्वीकरण के दौर में विदेशी भाषाओं के प्रति आकर्षण व अभिरूचि काफी बढ़ी है। ऐसे में यदि आप स्वयं पारंगत हों तो जापानी, जर्मन, फ्रेंच या अन्य भाषाओं का शिक्षण सीख कर आप अपना एक पृथक स्थान बना सकते हैं।
अनुवादक:-
देश-विदेश में इस पद की काफी मांग है। आप यदि एक से ज्यादा भाषा जानते हैं, या सीख लेते हैं तो किसी भी संस्थान में आप अनुवादक बन सकते हैं। स्वतंत्र अनुवादक के रूप में भी काफी संभावनाएं मौजूद होती हैं।
उच्चारण व ध्वनि विज्ञान के क्षेत्र में:-
मूल रूप में भाषा-उच्चारण व ध्वनि ही है। सही उच्चारण परस्पर विचार विनिमय के लिए अनिवार्य है। शिक्षण व ज्ञान प्रसार तथा तकनीकी विकास कार्यों में सही उच्चारण व ध्वनि विज्ञान का विशेष महत्त्व है। अत: इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर आप अपना करियर बना सकते हैं।
पर्यटन-उद्योग:-
वर्तमान में पर्यटन ने उद्योग का रूप धारण कर लिया है। अत: विभिन्न पर्यटन-स्थलों की ओर देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने, पर्यटन की सुविधा व व्यवस्थापन संबंधी कार्य तथा पर्यटकों का पथ प्रदर्शन करने में भाषा-विज्ञान काफी सहायक सिद्ध हुआ है। शासकीय एवं अशासकीय स्तर पर इस क्षेत्र में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं।
कोश तैयार करना:-
विभिन्न भाषाओं के शब्द कोश तैयार करने में भाषा वैज्ञानिकों की आवश्यकता पड़ती है।
मूक बधिर विद्यालय:-
मूक बधिरों के लिए कृत्रिम वाणी विकसित करने के लिए भाषा के जानकारों की आवश्यकता होती है। मूकबधिर विद्यालयों एवं संस्थाओं में भाषा विज्ञानियों को प्राथमिकता दी जाती है।
भाषा नीति डिजाइन:-
भाषा नीति के डिजाइन के लिए व अशासकीय स्तर पर भाषा विज्ञान की आवश्यकता होती है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण:-
इस विभाग द्वारा शोध सर्वेक्षण या खनन से अनेक प्राचीनतम वस्तुओं का संग्रह किया जाता है, जिन पर विविध भाषाओं का अंकन होता है। यह भाषा प्राकृत, पाली या और कोई भी भाषा हो सकती है। इस भांति के लेखन या अंकन का अध्ययन करने में भाषा विज्ञान की महती भूमिका है।
कंप्यूटर प्रोग्रामर:-
भाषा विज्ञान कंप्यूटर प्रोग्राम निर्माण एवं संरचना में भी सहायक सिद्ध हुई है। इस की मदद से बटन दबाते ही मोबाइल जैसे यंत्र की भाषा बदल जाती है। कंप्यूटर हिंदी, अंगरेजी, तमिल, कन्नड़, उड़िया, फ्रेंच, जर्मन किसी भी भाषा में कार्य कर सकता है।
फिल्म व दूरदर्शन:-
दूरदर्शन निर्माण कार्यक्र म या फिल्म निर्माण कार्य में अनेक क्षेत्र कंपनियों एवं भाषाओं का योगदान होता है। अत: यहां भी भाषा ज्ञान रखने वालों की आवश्यकता होती है।
पत्रकारिता:-
प्रिंट, श्रव्य एवं दृश्य पत्रकारिता में भाषा विज्ञान का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इस क्षेत्र में भी करियर बनाया जा सकता है।
लेखन, कापी व संपादन:-
लेखन कार्य की रीढ़ है भाषा। लेखन की कापी करना तथा उस का संपादन करने में भाषा विज्ञान की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
वाक चिकित्सा:-
भाषा वैज्ञानिक के तौर पर आप वाक् चिकित्सा के क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं। यह क्षेत्र मानव सेवा से परिपूर्ण एक पृथक पहचान दे सकता है।
ट्यूटर का कार्य:-
विविध भाषाओं की ट्यूशन शुरू कर आप उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। इस दिशा में वाक् शिक्षण के कार्य भी किए जा सकते हैं।
पाठ्य पुस्तकों की डिजाइन:-
विभिन्न विषयों की पाठ्य पुस्तकों की डिजाइनिंग में भाषा विज्ञान की आवश्यकता पड़ती है।
परामर्शदाता:-
भाषाओं के विशेषज्ञ बतौर परामर्शदाता भी बेहतर कार्य कर सकते हैं।
इस प्रकार भाषा-विज्ञान में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं।
अत: आप भाषा विज्ञान से संबंधित स्रातक, स्रातकोत्तर या डॉक्टरेट उपाधि प्राप्त कर लिंग्विस्टिक्स में अपना करियर बना सकते हैं।
-नरेंद्र देवांगन