बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने पूजनीय परमपिता जी की पवित्र बॉडी में दर्शन दिए – सत्संगियों के अनुभव

पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का रहमो-करम

माता प्रकाश इन्सां पत्नी सचखंडवासी गुरमुख इन्सां, निवासी कल्याण नगर, सरसा से अपने पर हुई पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज की अपार रहमत का वर्णन इस प्रकार करती है:

18 अप्रैल 1960 के दिन पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपना नूरी चोला बदल लिया। बेपरवाह जी ने 28 फरवरी 1960 को पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को अपना गद्दीनशीन (जानाशीन) नियुक्त कर दिया था। सरसा शहर में जलूस निकाल कर सरेआम मुनादी की गई थी कि आज पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को आत्मा से परमात्मा कर दिया है

और दोनों जहानों की दौलत उनकी झोली में डाल दी है। परंतु काल ने शरारत की कि कुछ मतमते लोगों ने अफवाह उड़ा दी कि बेपरवाह मस्ताना जी महाराज तो चोला बदल गए हैं, अब सच्चा सौदा में क्या है? अर्थात् कोई रूहानी ताकत नहीं है। मेरे मन ने भी मुझे यह बात जचा दी कि जब मेरा गुरु ही नहीं रहा, तो मैंने डेरा सच्चा सौदा में क्या लेने जाना है। मैं शहनशाह मस्ताना जी महाराज के वैराग्य में रोती रहती। इस तरह सात महीने बीत गए।

उस समय हम डबवाली मंडी में रहते थे। डबवाली के सभी प्रेमी इकट्ठे हुए। हमें भी इकट्ठ में बुलाया गया। शहनशाह मस्ताना जी महाराज के चेताए हुए सभी प्रेमियों ने आपस में विचार-विमर्श किया। सभी ने यह फैसला किया कि हम सभी इस महीने के माहवारी सतसंग पर डेरा सच्चा सौदा सरसा दरबार जाएंगे। हम सभी उस माहवारी सत्संग पर दरबार पहुंच गए। जब मैं सत्संग पंडाल में पहुंची तो परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज स्टेज पर विराजमान थे।

संगत सजी हुई थी। सत्संग का कार्यक्रम चल रहा था। परमपिता जी को देखकर मुझे वैराग्य आ गया कि शाह मस्ताना जी महाराज तो नहीं हैं। मैंने गौर से पूजनीय परमपिता जी को देखा तो मेरे देखते ही देखते पूजनीय परमपिता जी की जगह शाह मस्ताना जी दिखाई देने लगे। परमपिता जी सत्संग में वचन फरमाया रहे थे। उनकी आवाज की जगह बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की आवाज सुनाई देने लगी। मेरे सभी भ्रम खत्म हो गए। सतगुरु जी ने दिखा दिया कि वह मस्ताना जी महाराज ही हैं कोई और नहीं हैं। उसके बाद मैं फिर से डेरा सच्चा सौदा दरबार आने लगी।

हम आज तक इस दर से जुड़े हुए हैं। मुझे अक्सर ही परमपिता शाह सतनाम जी महाराज में बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के दर्शन हो जाया करते थे। आज तीसरी बॉडी पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां में भी बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के दर्शन होते हैं। तीनों बॉडियां एक ही सतगुरु का नूर हैं। मैं हजूर पिता जी के चरणों में यही विनती करती हूं कि पिता जी, मेरी ओड़ निभा देना जी।

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