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बच्चों को बनाएं पर्यावरण प्रेमी

एक पुरानी कहावत है और आज भी इसकी पहले से भी ज्यादा महत्ता है, यह कि ‘हम यह धरती अपने बच्चों से उधार लेते हैं।’ भाव, वह साधन जिनका आज हम इस्तेमाल कर रहे हैं, हमारे पास हमारी आने वाली पीढ़ियों की विरासत है। परंतु जिस ढंग से अपने बच्चों की अमानत का हम दुरुपयोग कर रहे हैं अथवा जिस तेजी से पृथ्वी एवं प्राकृतिक साधनों का आज दोहन हो रहा है, क्या हमें यकीन है कि हम अपने बच्चों की यह अमानत सही-सलामत उन्हें वापिस लौटा पाएंगे? आज के बर्ताव को देखें तो उत्तर शायद ‘नहीं’ में ही होगा।

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परंतु कोई सामाजिक, धार्मिक अथवा कोई प्रकृति-प्रेमी संस्थाएं अगर आगे आएं और सरकारें भी इस विषय पर कुछ गंभीरता अख्तियार करें, फिर तो संभव हो भी सकता है। उपरोक्त विषय के अनुरूप बात करें तो आप अपने बच्चों को वातावरण हितैषी बनाएं, जो कि आज समय की जरूरत भी है। गर्मियों की छुट्टियों के दौरान होमवर्क, खेल-कूद, टीवी प्रोग्रामों एवं सुस्ती, लगातार बिस्तर-बैड पर सोए रहने से उकता (अक्के-थक्के) गए बच्चों में प्रकृति प्रेम की जाग लगाई जाए। इसके लिए माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को प्रकृति से जोड़ने का काम करें।

प्लांट हो बर्थडे गिफ्ट-

बच्चों को उनके बर्थडे पर महंगे-महंगे तोहफे देने की बजाए एक छोटा सा पौधा एक परफेक्ट गिफ्ट रहेगा। बच्चे अपने तोहफों के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। वह कुछ ही दिनों में अपने पौधे से प्यार करने लगेगा। प्रकृति-प्रेम के बीज बोने का यह एक अच्छा तरीका हो सकता है। इसकी शुरुआत गमले में पौधे से की जा सकती है। या फिर उसे किसी खाली जगह ले जाकर उसके हाथ से पौधा लगवायें। समय-समय पर उसे उस पौधे के पास ले जाते रहें। इससे उसके मन में उस पौधे के साथ भावनात्मसक जुड़ाव हो जायेगा।

टीवी और इंटरनेट की लें मदद-

टीवी पर भी प्रकृति के बारे में ज्ञान देने वाले कई कार्यक्रम आते हैं। डिस्कवरी और एनिमल प्लेनेट जैसे चैनल तो इसी तरह के कार्यक्रम ही दिखाते हैं। बच्चों के साथ बैठकर इस तरह के कार्यक्रम देखें। बच्चे से इस बारे में बात करते रहें और साथ ही उसके मन में प्रकृति के बारे में रुचि पैदा करने का प्रयास करते रहें।

खुद बनें मिसाल-

बच्चों को कुछ बताने से पहले उसे स्वयं अपनी आदत बनायें। बिजली का दुरुपयोग करना, पानी व्यर्थ करना, यहां-वहां कूड़ा फेंकना आदि कुछ ऐसे काम हैं जो आमतौर पर हम सब बड़े लोग करते हैं। बच्चों के सामने एक मिसाल बनते हुए ये सब गलत आदतें न दोहराएं। घर के करीब ही जाना हो, तो कार अथवा मोटरसाइकिल की बजाए पैदल जाना बेहतर रहेगा। इससे आप शुरुआत से ही बच्चों के मन में प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान पैदा करते हैं।

छुट्टी मनायें नेचुरल पॉर्क में-

आज आपकी छुट्टी है और आप घर बैठकर टीवी देख रहे हैं। अरे, उठिये और अपने परिवार के साथ अपने शहर के किसी नेचुरल पॉर्क में जाइये। अगर ऐसा कोई पॉर्क आपके पास नहीं है, तो चिड़ियाघर या फिर किसी उद्यान का रुख कीजिए। किसी नेशनल-पार्क में भी जाया जा सकता है। यहां बच्चे को प्रकृति के करीब आने का मौका मिलेगा। यदि संभव हो तो उस उपवन की एक गाइडबुक हासिल करें।

इसमें वहां की सारी जानकारी होगी। सभी पेड़ पौधों के बारे में बताया जाता है, जिससे उसे काफी कुछ जानने का मौका मिलेगा। ध्यान रखें हर बच्चा इस तरह के माहौल का आदी नहीं होता। यहां उसका सामना मच्छरों और कीड़े मकौड़ों से हो सकता है। ऐसे में उसके रवैये पर गुस्सा न करें, बल्कि शांत रहकर उसकी बात सुनें। साथ ही अपने साथ खाने-पीने और फर्स्ट एड का डिब्बा जरूर रखें।

समर कैंप हो सकते हैं मददगार-

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के लिए समर कैंप का आयोजन होता रहता है। ऐसे कैंप बच्चों के लिए मददगार साबित होते हैं। यहां आपके बच्चे को प्रकृति के करीब आने का मौका मिलेगा। वह पहाड़ों, झरनों और उन पेड़ों की घनी छांव को देख सकेगा, जो अभी तक उसने सिर्फ टीवी में ही देखे थे।

बच्चों को एंजॉय करने दें-

बच्चों के साथ किसी प्राकृतिक पिकनिक स्पॉट पर जायें, तो उन्हें उस वातावरण का पूरा आनंद उठाने दें। हर बात में रोक-टोक न करें। अगर बच्चे अपने साथ अपनी पसंद की कोई चीज ले जाना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा करने दें। हो सकता है आपका बच्चा वहां के पेड़ों की पत्तियां और मिट्टी को अपने साथ लाना चाहे। यह बाल मनोवृति है। यह चीजें उसे वहां की याद दिलाती रहेंगी। अपने इस सफर के दौरान कैमरा साथ रखना न भूलें। इन यादगार लम्हो को हमेशा के लिये संजोकर रखने का इससे बेहतर और कोई तरीका नहीं हो सकता।

बच्चों को समझाएं प्रकृति के फायदे-

यह सबसे जरूरी चीज है। बच्चे को जब भी कुछ समझाया जाता है तो उसके मन में पहला सवाल यही उठता है कि ‘आखिर क्यों’। इसलिये बच्चे को पेड़-पौधे लगाने, अपने घर और उसके आसपास सफाई रखने, बेवजह बिजली का इस्तेमाल न करने, प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल न करने इत्यादि बातों के बारे में समझाएं और खुद भी उदाहरण बनें।

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