जीवन में भरे खुशियों के रंग ‘होली’
भारत में मनाये जाने वाले सभी त्यौहार हम सभी को कुछ न कुछ सीख अवश्य देते हैं लेकिन हम सब केवल त्यौहारों पर तरह तरह के कपडेÞ खरीदने, मिठाई पकवान खाने में ही रह जाते हैं और त्यौहार की जो सीख है, उसे हम काफी पीछे छोड़ते जा रहे हैं। पूर्वजों ने त्यौहारों की परिकल्पना समाज में इसलिए की जिससे हमारे समाज का आपसी प्रेम, सौहार्द, भाईचारा व एकता बनी रहे और हम सब एक दूसरे के काम आ सकें, लेकिन आज की पीढ़ी केवल त्यौहार के नाम पर खानापूर्ति कर रही है।
होली का पर्व प्रेम और खुशी का प्रतीक है और इसको समाज व मन में फैली गंदगी को साफ करने के तौर पर मनाया जाना चाहिए। हम वर्ष भर या इससे पहले किसी से मनमुटाव रखते हैं लेकिन होली के दिन पिछले दिनों की सभी बातों को दरकिनार करते हुए हमें एक दूसरे के साथ गर्मजोशी से गले मिलना चाहिए और भविष्य में यह प्रेम हमेशा कायम रहे, यह प्रण लेना चाहिए। इसी होली में कुछ लोग हैं जो बदले की भावना से भी काम करते हैं और ऐसा करना अनुचित है। होली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जो सबको खुश कर देता है।
केवल होली ही नहीं अपितु सभी त्योहारों का मूल यही है कि सत्य, ईमानदारी, सहयोग की भावना का सदुपयोग करके समाज में एक नई ऊर्जा का संचार हो जिससे आगे आने वाली पीढ़ियों को अपनी संस्कृति व सभ्यता से अनभिज्ञ न होना पडेÞ और त्योहारों की उपयोगिता को जानें। होली की कथा में होलिका की बात आती है, जिसमें सत्य और असत्य की लड़ाई होती है और अंत में सत्य की विजय अवश्य होती है। त्योहारों का प्रचलन केवल इसलिए किया गया जिससे हमारे प्रेम की कड़ी आपस में जुड़ी रहे। इसलिए होली पर्व पर अपने व दूसरे की जीवन में खुशियों के रंग भरने की कोशिश करें, ताकि आपकी होली यादगार बन जाए।
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तो आइये जानते हैं होली पर्व पर ध्यान रखने वाले टिप्स:
रंग हम उसी के साथ खेलें जो खेल रहा हो। रसोईघर, बैडरूम या डायनिंग रूम में रंग न खेलें।
- हमेशा अच्छी किस्म के रंगों का ही इस्तेमाल करें। आजकल हर्बल कलर आने लगे हैं, इसलिए हानिकारक रंगों का प्रयोग न करें।
- पक्के फर्श पर रंग खेलते हुए बहुत सावधान रहें। जरा सी चूक से हानि हो सकती है।
- होली खेलने से पूर्व शरीर व चेहरे पर तेल व क्रीम मल लें ताकि हानिकारक रंगों के प्रभाव से बचा जा सकें।
- रंग व गुलाल बाजार से पहले ही मंगा कर रख लेना चाहिए, ताकि कोई आपके घर होली मिलने आए तो आप बिना रंग के शर्मिदा महसूस न करें। गुलाल प्रात: खोलकर प्लेटों में रख देना चाहिए। उन प्लेटों को मुख्य द्वार के पास ही रखें ताकि इधर उधर रंग ढूंढना न पड़े।
- बच्चों को गुब्बारों के साथ होली खेलने के लिए निरूत्साहित करें। गुब्बारों से खेलने पर दूसरों को चोट लग सकती है जिससे त्यौहार का मजा किरकिरा भी हो सकता है।
- बच्चों को गुलाल के रंगों के अलग से पैकेट दे दें ताकि वे अपनी मस्ती पूरी ले सकें और बार-बार आपको परेशान न करें।
- बच्चों को गुब्बारों के स्थान पर पिचकारी से खेलने के लिए प्रेरित करें। उसके लिए एक रात पहले टेसू के फूल बड़ी बाल्टी या टब में भिगो दें। इन फूलों से बना पीला रंग स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
- होली से एक दिन पूर्व ही कपड़ों का चयन कर निकाल कर रख लें ताकि सुबह उठते ही या रात्रि में पहले से उन कपड़ों को पहन लिया जा सके। वस्त्र ऐसे हों जो अधिक से अधिक त्वचा को ढक कर रखें। थोड़े मोटे वस्त्र ही पहनें। पारदर्शी वस्त्रों को न पहनें। बच्चों हेतु दो-तीन जोड़ी वस्त्र निकालें।
- जो वस्त्र होली खेलने के उपरान्त पहनने हों, उन्हें भी पहले निकाल लें ताकि गीले रंगों वाले वस्त्रों और हाथों से अलमारी को न खोलना पड़े। साफ-सुथरे कपड़े भी उन हाथों से खराब हो सकते हैं।
- अपनी त्वचा को रंगों से बचा कर रखने हेतु सारी त्वचा और बालों पर तेल लगा लें। बच्चों को भी तेल अच्छी तरह से चुपड़ दें।
- पुराने तौलिए को काट कर हैंड टॉवल के आकार का बना लें ताकि हाथ मुंह पोंछने में अच्छे तौलिए खराब न हों।
- होली खुले आंगन में खेलें तो अधिक मजा आएगा। बड़े नगरों में आंगन न के बराबर होते हैं। ऐसे में छत पर भी होली खेली जा सकती है पर ध्यान रखें कि छत के चारों ओर ऊंची दीवार होनी चाहिए।
- घर पर आने वाले अतिथियों हेतु मीठा, नमकीन, गुजिया का प्रबन्ध पहले ही कर लें। चाय हेतु पर्याप्त दूध, चीनी, पत्ती का भी प्रबंध कर लें। आप पेपर प्लेट और फोम के डिस्पोजेबल गिलास रखें ताकि बर्तनों की सफाई के लिए परेशानी न उठानी पड़े। बड़े गार्बेज बैग रखें ताकि प्रयोग में हुई प्लेटें और गिलास इधर ऊधर न फैले।
- दोपहर के खाने का प्रबंध भी पहले ही कर लें। यदि आप खास रिश्तेदार के यहां मिल कर होली मनाने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो पहले से खाने पर विचार कर मिल बांट कर बना कर ले जायें ताकि बोझ भी न बना रहे।
- होली खूब खेलें पर योजनाबद्ध तरीके से खेलेंगे तो पूरा आनंद ले पायेंगे।
यूं छुड़ाएं होली के रंग
होली रंगों का ऐसा त्यौहार है जिसमें हर तरह की मौज-मस्ती की पूरी छूट रहती है। हर कोई रंगों से पूरी तरह सराबोर हो जाता है लेकिन मौज-मस्ती के यही रंग हमारे लिए तब परेशानी का कारण बन जाते हैं जब होली खेलने के बाद अपने आपको हम आईने के सामने निहारने की कोशिश करते हैं। कच्चे-पक्के तरह-तरह के रंग उस समय हमें मुंह चिढ़ाते हुए नजर आते हैं और इन रंगों से छुटकारा अत्यंत कठिन प्रतीत होने लगता है। आपकी ये मुश्किलें काफी आसान हो सकती हैं यदि होली खेलने के पहले और होली खेलने के बाद इन उपायों को ध्यान में रखें और अमल में लायें –
- होली खेलने के पहले ही अगर अपने चेहरे एवं हाथ-पैरों पर कोई कोल्ड क्र ीम अथवा सरसों या नारियल का तेल अच्छी तरह मल लें तो किसी भी प्रकार का रंग आसानी से निकल जाएगा और रंगों में मिले हानिकारक रसायनों से भी त्वचा सुरक्षित रहेगी।
- शरीर का रंग छुड़ाने के पहले क्लीजिंग-मिल्क से त्वचा को साफ कर लें।
- बालों में कोई भी हेयर आयल अच्छी तरह से लगा लें ताकि रंग छुड़ाने में सुविधा रहे। होली खेलने के बाद बालों को शैम्पू करके रंग निकाल दें।
- रंग निकालने के लिए ठंडे पानी का प्रयोग करें। गर्म पानी का प्रयोग न करें क्योंकि गर्म पानी के संपर्क में आकर रंग और पक्के हो जाते हैं और आसानी से नहीं छूटते।
- रंग निकालने के लिए उबटन का प्रयोग भी सुरक्षित रहता है। एक चम्मच बेसन या आटे में एक चम्मच तेल के अनुपात में उबटन बनाकर इसे रंग लगे स्थानों पर लगायें। यह क्रि या कई बार करने पर रंग पूरी तरह से छूट जाता है और चेहरे पर चमक आ जाती है।
- रंग निकालने के लिए किसी डिटर्जेंट की बजाय सिर्फ नहाने वाले साबुन का प्रयोग करें। साबुन के झाग को किसी कपड़े में लगाकर पोंछते जाएं ताकि रंग कपड़े पर उतरता जाए।
- यदि त्वचा पर सीधे रंग लगाया गया हो तो इसको हल्का करने के लिए पहले नींबू से रगड़कर साफ कर लें, तत्पश्चात आटे तेल का उबटन लगाएं।
- चेहरे पर यदि पालिश या पेंट लग गया हो तो मिट्टी के तेल में रुई को भिगोकर हल्के हाथों से त्वचा पर मलें। फिर साबुन-पानी से साफ कर लें।
जीवन में रंगों का महत्व
सफेद रंग हल्केपन एवं शीतलता का आभास देता है।
- पीला रंग उत्फुल्लता, हल्केपन, खुलेपन और गरमाहट का आभास देता है; नब्ज की रफ्तार तेज करता है परंतु आक्रामक प्रतिक्रिया भी पैदा कर सकता है।
- बैंगनी रंग थकान और भारीपन का भ्रम उत्पन्न कर थकान, बोरियत या बोझ की अनुभूति कराता है।
- गहरा नीला रंग मस्तिष्क को विश्रान्ति देता है किन्तु दु:ख का बोध भी कराता है। गहरे नीले रंग से पूरा कमरा ठण्डा एवं भरा-भरा प्रतीत होता है।
- हरा रंग शांति एवं शीतलता का अहसास कराता है। आंखों से दबाव घटाकर नेत्र ज्योति तेज करता है। खून का दबाव भी सामान्य करता है।
- हल्का नीला रंग शीतलता व अलगाव द्वारा चैन देता है।
- काला रंग ओजस्विता कम करता है, अवसादकारक एवं उत्पीड़क बोझ देने वाला है। काले रंग पुते तल काफी बड़े प्रतीत होते हैं।
- भूरा रंग स्थायित्व, गरम और मानसिक संतुलन बोधकारक होता है।
- सलेटी रंग को ठंडा, नीरसता व विरक्तिबोधक माना जाता है।
- श्वेत एवं नीले रंग के सम्मिश्रण को शीतलता और चैन का द्योतक कहा गया है।
- जामुनी रंग गरम एवं उत्साहवर्धक माना गया है।
- लाल रंग गर्मजोशी, मनोबल बढ़ाता है मगर देर तक हावी रहना, थकान एवं धकड़न बढ़ाता है।
- नारंगी रंग दृढ़ता का आभास देता है एवं नब्ज की गति बढ़ाता है।
होली रे होली मैं तो पिया की होली
रंग बरसाया ऐसा पिया ने दुनिया को छोड़
मैं तो पिया की होली। होली रे होली…
-पूज्य ग्ांुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां