Come be the support of the voiceless -Editorial -sachi shiksha hindi

आओ बेजुबानों का सहारा बनें -सम्पादकीय

जून महीने में गर्मी अपने शिखर पर होती है। जनमानस ही नहीं, पशु-पक्षी भी इस गर्मी में बेहाल होने लगते हैं। यहां तक कि पेड़-पौधे भी झुलसने लगते हैं। हालांकि मानव तो अत्याधुनिक संसाधनों की बदौलत अपना तो बचाव उपाय कर लेता है, लेकिन इन्सान होने के नाते हमारे कई दायित्व भी होते हैं, जिन्हें समानुसार निर्वाह करना चाहिए।

बेजुबानों के लिए यह गर्मी किसी आफत से कम नहीं होती । कई क्षेत्र तो ऐसे भी हैं जहां दिन का तापमान 50 डिग्री के करीब पहुंच जाता है, मौसम के ऐसे गर्म मिजाज के चलते कई बार बेजुबान पशु-पक्षी अपनी जान तक गंवा बैठते हैं। इन्सानी दायित्व कहता है कि प्रकृति के इस मौसमी बदलाव में आमजन को ऐसे निरीह जीवों की मदद के लिए आगे आना चाहिए और उनके बचाव के उपाय करने चाहिएं। कई बार हमारा छोटा सा प्रयास भी दूसरों को नया जीवन दे जाता है।

अक्सर हम देखते हैं कि गर्मी की चपेट में आकर पशु-परिन्दे मारे-मारे इधर-उधर भटकते फिरते हैं। कोई परिन्दा नल की टोंटी से टपक रही एक-एक बूंद को शिद्दत से पी रहा होता है। ऐसा भी देखा जाता है कि इन दिनों में तालाबों-जोहड़ों का पानी सूख जाता है, जिससे मवेशियों को जल के लिए भटकना पड़ता है। हम प्रयास करें कि गर्मी के इस दौर में दूसरों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया जाए। पशु-पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध करें, उनके चोगे की भी उचित व्यवस्था करें, वहीं आवारा पशुओं के लिए भी पेयजल का स्त्रोत तैयार किया जाए।

अक्सर लोग राहगीरों के लिए पानी का प्रबंध करते हैं, यह उत्तम सेवा है। इस पुण्य को हम सरलता से कमा सकते हैं। हमेशा मानवता भलाई की सीख देने वाला डेरा सच्चा सौदा इस क्षेत्र में एक बहुमूल्य मील का पत्थर साबित हो रहा है। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से लाखों नहीं, अपितु करोड़ों श्रद्धालु गर्मी के मौसम में बेजुबानों की मदद के लिए अभियान चलाते हैं।

पक्षियोद्धार मुहिम के तहत अप्रैल-मई महीने में ही इन लोगों द्वारा गांव-गांव, शहर-दर-शहर जाकर पक्षियों के लिए पेयजल व भोजन की व्यवस्था बनाने के लिए मिट्टी के बने सकोरे-परिंडे वितरित किए जाते हैं। यही नहीं, डेरा सच्चा सौदा का हर अनुयायी इस गर्म मिजाज मौसम में अपने घर, मंडेर, पेड़ों की टहनियों पर सकोरे लगाकर उसमें पानी व भोजन का नियमित प्रबंध करता है, ताकि पक्षी अपनी प्यास व भूख बुझा सकें और गर्मी से खुद का बचाव कर सकें।

आओ मिलकर प्रयास करें कि कोई भी पानी की कमी के कारण प्यासा ना रह जाए। यह हमारा सबका फर्ज बनता है।
-सम्पादक

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