बाढ़ में फंसे हजारों लोगों के लिए मसीहा बन आए डेरा सच्चा सौदा के सेवादार
पहाड़ों से कलकल करते हुए बहने वाला जल इस बार जुलाई महीने में मैदानी क्षेत्रों में आफत बनकर पहुंचा। बादल फटने व मूसलाधार बरसात से जहां खुद हिमाचल बाढ़ की चपेट में आ गया, वहीं पंजाब, हरियाणा व दिल्ली राज्य में बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान हुआ। बाढ़ के इस कहर में कई जानें भी भेंट चढ़ गई।
पंजाब के पटियाला, संगरुर, मानसा जिला तथा हरियाणा के अंबाला, कैथल, कुरूक्षेत्र, फतेहाबाद व सरसा जिले में सबसे ज्यादा तबाही का मंजर देखने को मिला। डेरा सच्चा सौदा ने इस संकट के दौर में बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिए पहलकदमी करते हुए बेहतरीन प्रयास शुरू किए। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा का अनुसरण करते हुए शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने मोर्चा संभाला तो मुसीबत मेें घिरे लोगों में भी एक हौंसला दिखाई दिया।
सेवादारों का हौंसला इतना मजबूत था कि घग्गर नदी के उफान को मोड़ कर रख दिया। घग्गर नदी में चामल (सरसा) गांव के नजदीक 20 फुट गहरे और करीब 100 फुट चौड़े कटाव को बांध कर इन जांबाज सेवादारों ने दर्शा दिया कि मानवता के प्रहरियों का हौंसला कभी कम नहीं होता, हालात चाहे कितने भी विकट हों। बता दें कि वर्ष 1993 में यही घग्गर नदी इतनी उफान पर थी कि सरसा शहर डूबने की कंगार पर पहुंच गया था। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन दिशा-निर्देशन में उस वक्त भी डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने घग्गर के तटबंध में आए गहरे कटाव को एक योजनाबद्ध तरीके से बांधा था।
कमोबेश ऐसी ही स्थिति इस बार जुलाई में भी दिखाई दी। घग्गर दरिया के रौद्र रूप को देखकर लोग जान बचाने के लिए अपने घरों को छोड़ कर भाग रहे थे, उसी दरिया के टूटे बांधों को शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार फिर से बांध रहे थे। सेवादारों ने घग्गर के करीब आधा दर्जन टूटे तटबंधों को फिर से बांध कर आस-पास के एरिया व कई गांवों को डूबने से बचा लिया।
सेवादार अन्य तटबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ राहत कार्य भी लगातार चला रहे थे। रोजाना बाढ़ पीड़ितों व रेस्क्यू आॅपरेशन में जुटे लोगों के लिए लंगर-भोजन उपलब्ध करवाया। यही नहीं, इन सेवादारों ने इन्सानियत की नई बिसात लिखते हुए बाढ़ में फंसे बेजुबानों की सार संभाल का भी जिम्मा उठाया। प्रभावित क्षेत्र के आस-पास के ब्लॉकों की साध-संगत ने हरे चारे व तूड़ी इत्यादि का प्रबंध करते हुए पशुओं को भूखे मरने से भी बचाया। डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने बाढ़ से बर्बाद हुई फसलों को दोबारा बोने में भी पीड़ित लोगों की मदद की। कई जगहों पर धान की पनीरी फ्री में वितरित की गई।
बता दें कि सरसा में साल 1993, 94, 95, 2010 के दौरान आई बाढ़ के समय में भी डेरा सच्चा सौदा की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने जिला प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बाढ़ राहत कार्य में लोगों की सहायता की थी और घग्गर के टूटे हुए तटबंधों को बांधकर शहर सहित अनेक गांवों को बचाया था। इसके अलावा देश व प्रदेश में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादार बढ़-चढ़कर लोगों की सहायता करते हैं।
- उफनती नदियों के पानी के सम्मुख बांध बनकर खड़े हुए सेवादार
- आधा दर्जन से ज्यादा टूटे बांधों को फिर से बांधकर नजदीकी गांवों को डूबने से बचाया, घरों का सामान सुरक्षित जगह तक पहुंचाया
- खाने को भोजन, पीने का पानी और पशुओं के लिए चारे का किया प्रबंध
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पूज्य गुरु जी ने की अरदास तो शांत हुई उफनती नदियां
संतों का पूरी सृष्टि से लगाव होता है, मानवता पर आने वाली बाढ़ जैसी आपदा में मदद के लिए उनका शिष्य हमेशा तत्पर दिखाई देता है। उफनती नदियों से कई राज्यों में पैदा हुए बाढ़ के हालातों के दरमियान पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने प्रभु से प्रार्थना की कि वो सभी को सुरक्षित रखें। आप जी ने बाढ़ पीड़ितों को संदेश दिया कि डेरा सच्चा सौदा व शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग इस आपदा के समय में हर संभव सहायता के लिए हर समय और हर जगह तैयार है। पूज्य गुरु जी के वचनों का अनुसरण करते हुए शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने बाढ़ पीड़ितों के लिए जी-जान लगा दी। खास बात यह भी रही कि पूज्य गुरु जी द्वारा अरदास करने के बाद मैदानी क्षेत्रों में कहर ढाह रही घग्गर, ब्यास, सतलुज, यमुना, टांगरी और मारकंडा नदियों का जल स्तर घटने लगा जिससे आमजन ने राहत की सांस ली।
पूज्य गुरु जी ने सेवादारों को दिया आशीर्वाद
पूज्य हजूर पिता संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों व साध-संगत द्वारा चलाए गए राहत कार्यों के लिए आशीर्वाद दिया। पूज्य गुरु जी ने खासकर चामल गांव में आई 20 फुट गहरी दरार को पाटने वाले सेवादारों के हौंसले की भरपूर प्रशंसा की और करीब 30 साल पूर्व वर्ष 1993 में सरसा शहर में बाढ़ से उपजे हालातों का भी जिक्र किया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि उस समय टूटे बांध को फिर से जोड़ने के लिए सेवादारों ने जो तकनीक अपनाई थी, इस बार भी सेवादारों ने वही तरीका अपनाया। लोहे के सरियों, लंबे बांस इत्यादि की मदद से जाल बनाकर पहले उनको उस कटाव में लगाया गया और फिर मिट्Þटी के कट्टे भरकर उनकी स्पोट से बांध को भरा गया।