Diwali a festival of joy and happiness -sachi shiksha hindi

आनन्द और उल्लास का उत्सव दीपावली

दीपोत्सव यानी ‘आनन्द का उत्सव’, ‘उल्लास का उत्सव’! ‘प्रसन्नता का उत्सव’! ‘प्रकाश का उत्सव’! दीपोत्सव सिर्फ एक उत्सव ही नहीं है, बल्कि उत्सवों का स्नेह सम्मेलन भी है। धनतेरस, दीपावली, नया साल और भैय्यादूज जैसे उत्सव विभिन्न सांस्कृतिक विचारधाराएं लेकर इस उत्सव में सम्मिलित होते हैं।

दीपों का यह प्रकाश पर्व हमारे अंत: करण में व्याप्त अज्ञान अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश करने का प्रतीक है। हमारे यहां पर प्रत्येक सदृहस्थ के लिए आवश्यक था कि घर में अग्नि हमेशा रखनी चाहिए। अग्नि के कई अर्थ होते हैं। अग्नि का एक अर्थ ‘भौतिक-अग्नि’ से है जो कि हमारे भोजन आदि के बनाने में सहायक होती है,

दूसरे हमारे खून में गर्मी हो अर्थात यहां अग्नि का अर्थ है ‘जमीर’ अर्थात अन्यायी और अत्याचारी व्यक्ति के खिलाफ आवाज बुलंद करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। तीसरे अग्नि का अर्थ है ‘ज्ञानाग्नि’ उसे सदा प्रज्ज्वलित रखना चाहिए, हृदय-मंदिर में सदा अलौकिक प्रकाश का अनुभव करना। इस अग्नि को ‘आध्यात्मिक ज्योति’ भी कह सकते हैं। ये सारी अग्नियां हर किसी को उन्नत जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं।

अनगिनत दीयों की जगमगाती लौ दीपावली की रात अमावस के अंधियारे को दूर करती है। वहीं पटाखे और आतिशबाजी अपनी रोशनी और रंगों से मन की उमंग को व्यक्त करते हैं, लेकिन उत्साह और उमंग के अतिरेक में इस दौरान हुई थोड़ी-सी गलती इन्सानी जिंदगी की रोशनी को बुझा सकती है। आपकी दिवाली मंगलमय और सुरक्षित हो, इसके लिए जरूरत है थोड़ी-सी सावधानी की।

ध्यान रखें इन बातों का:-

ऊपर की मंजिल पर रहने वाले बच्चों को भूलकर भी बालकनी से नीचे पटाखे जलाकर नहीं फेंकने चाहिए। वाहनों पर जलते पटाखे फेंकने जैसा मजाक भी नहीं करना चाहिए। ध्यान रखें कि जलते हुए दीये को ज्वलनशील वस्तु या पटाखों के पास न रखें।

  • आज बिजली के बल्बों के प्रयोग का प्रचलन है। ऐसे में बिजली की तारों की व्यवस्था को ठीक से जांचें-परखें।
  • पटाखे खरीदते समय हमेशा क्वालिटी का ध्यान रखें।
  • घर में पटाखे ऐसी जगह पर रखें, जो बच्चों की पहुंच से दूर हों।
  • आतिशबाजी चलाते वक्त बच्चों को पटाखों से निश्चित दूरी बनाए रखने के बारे में समझाएं। उन्हें बताएं कि वे पटाखों को झुक कर न जलाएं।
  • पटाखे जलाते समय पानी की बाल्टी अपने पास जरूर रखें।
  • नवजात शिशु और छोटे बच्चों के आसपास तेज आवाज वाले पटाखे न जलाएं।
  • बच्चों को पटाखे जेब में डालकर घूमने न दें, क्योंकि पटाखों का जहरीला मसाला हाथों में लग जाने से बच्चों की त्वचा को नुकसान हो सकता है।
  • यदि कोई पटाखा जलाने पर भी नहीं फूटा हो तो उसे हाथ लगाकर या उस पर झुक कर न देखें, न ही उसे दोबारा चलाने की कोशिश करें।
  • पटाखे चलाते समय सूती और चुस्त कपड़े पहनें। ढीले, झालरों वाले और जरूरत से ज्यादा लंबी बांहों के कपड़े न पहनें।
  • फुलझड़ी जलाने के बाद अपने और अपने मित्रों के सिर के ऊपर घुमाने जैसी शरारत न करें। जली हुई फुलझड़ियों को बिजली के तारों पर न फेंकें।

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