Auli Nature -sachi shiksha hindi

औली नेचर संग एडवेंचर का मजा

जिन लोगों ने कभी स्कीइंग करने या सीखने में अरमान संजो रखा हो, उनके लिए बहुत अच्छी जगह है औली। देश में गुलमर्ग (कश्मीर) और नारकंडा (हिमाचल प्रदेश) के बाद स्कीइंग का नवीनतम तथा विकसित केंद्र औली है। जहां लोग स्कीइंग करने का अपना अरमान पूरा कर सकते हैं। औली में प्रकृति ने अपने सौन्दर्य को खुल कर बिखेरा है।

बर्फ से ढकी चोटियों और ढलानों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। यहां पर कपास जैसी मुलायम बर्फ पड़ती है और पर्यटक, खासकर बच्चे इस बर्फ में खूब खेलते हैं। जिंदादिल लोगों के लिए औली बहुत ही आदर्श स्थान है। यहां पर केवल स्कीइंग और केवल स्कीइंग ही की जा सकती है। सूर्य की किरणें जब यहां की पर्वतों की शृंखलाओं पर पड़ती हैं तो उसकी चमक देखते ही बनती है।

‘औली’ उत्तराखंड राज्य में चमोली जिले का मशहूर और खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यह जगह शहर की गर्मी, शोरगुल और सफोकेशन से दूर मंद-मंद ठंडी हवाओं का झोंका महसूस कराने वाली है, जो पर्यटकों के शरीर और मन दोनों को फ्रेश कर देती है। ऊंचे-ऊंचे सफेद चमकीले पहाड़ों पर धुंध में लिपटे बादल और मीलों तक जमी बर्फ के प्राकृतिक नजारे यहां आने वालों को लुभाते हैं।

पौराणिक महत्व:-

समुद्र तल से 8 हजार फीट से 13 हजार फीट तक की ऊंचाई पर फैले औली को कभी ‘संजीवनी शिखर’ के नाम से जाना जाता था। पौराणिक गाथाओं के अनुसार, हनुमान जी जब संजीवनी लेने हिमालय की इस वीरान पहाड़ी में आए तो उन्हें संजीवनी शिखर औली से ही द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी का खजाना दिखा था। कालांतर में यहां हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई।

संजीवनी शिखर से औली तक का सफर तय करने वाले इस क्षेत्र की प्राकृतिक खूबसूरती का बखान करना शब्दों में संभव नहीं होगा। जिस तरह यहां अलग-अलग मौसम में प्रकृति अपना अलग-अलग रूप दिखाती है, उससे यह कहा ही जा सकता है कि यहां के नजारे बेनजीर हैं। बरसात में हरियाली ओढ़े औली एक खूबसूरत नवयौवना के रूप में दिखती है, तो शीतकाल में बर्फ की श्वेत चादर ओढ़े औली की सादगी भी भव्य रूप में प्रकट होती है।

औली के मुख्य दर्शनीय स्थल निम्न लिखित हैं:-

स्कीइंग प्लेस

गर्मियों में भी पहाड़ हरी चमकीली घास और चटख फूलों से ढंके रहते हैं। औली में तीन कि.मी. लंबी रोमांचकारी ढलान है, जिसकी ऊंचाई 2519 मीटर से लेकर 3049 मीटर तक है। यह भारत का सबसे बड़ा स्कीइंग क्षेत्र भी है।

जोशीमठ

यह बेहद पवित्र स्थान है। ऐसा माना जाता है कि महागुरू आदि शंकराचार्य ने यहीं पर ज्ञान प्राप्त किया था। श्री बद्रीनाथ की यात्रा यहीं से शुरू होती है। इसके अलावा तपोवन भी घूमा जा सकता है।

मुंडाली

यह देहरादून से 129 किलोमीटर की दूरी पर है। हिमालय की बर्फ से ढंकी चोटियों का बेहद रोमांचक नजारा यहां से देखा जा सकता है। स्कीइंग के लिए यहां भी अच्छा स्लोप है।

औली में स्कीइंग टैÑनिंग

यहां पर स्कीइंग करना सिखाया जाता है। गढ़वाल मण्डल विकास निगम ने यहां स्कीइंग सिखाने की व्यवस्था की है। मण्डल द्वारा 7 दिन के लिए नॉन-सर्टीफिकेट और 14 दिन के लिए सर्टीफिकेट ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग हर वर्ष जनवरी से मार्च में दी जाती है। मण्डल के अलावा निजी संस्थान भी ट्रेनिंग देते हैं। यह पर्यटक के ऊपर निर्भर करता है कि वह कौन-सा विकल्प चुनता है।

रज्जू मार्ग

जाड़ा, गर्मी और बरसात-तीनों मौसम में औली घूमने का आनंद भले ही बदलता रहता हो, लेकिन यहां के रोप-वे (रज्जू मार्ग) का महत्व हमेशा बरकरार रहता है। वस्तुत: यहां का सबसे बड़ा आकर्षण यह रज्जू-मार्ग ही है। विश्व की श्रेष्ठतम तकनीक से निर्मित, एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा यह रज्जू मार्ग 4 किलोमीटर लंबा है। समुद्र-तल से 1927 मीटर से 3027 मीटर की ऊंचाई तक चलने वाले इस रज्जू मार्ग में 10 विशाल स्तंभ और दो कैबिन हैं।

प्रत्येक कैबिन में 25 लोग बैठ सकते हैं। इसका आठवां स्तंभ औली में स्थित है। यहां पर जो लोग उतरते हैं, उनके लिए यहां पर 800 मीटर लंबी चेयर लिफ्ट तैयार खड़ी मिलती है। इस हवाई चेयर पर बैठते ही पर्यटक ढलानों का मजा लेता हुआ स्कीइंग सेंटर में पहुंच जाता है। इस रज्जू मार्ग के केबिन से यहां के विस्तृत भू-भाग के आवासीय क्षेत्र, जंगल, खेत वगैरह तो ऊंचाई से दिखते ही हैं, सामने नजर दौड़ने पर नंदा देवी, द्रोणगिरि, नीलकंठ, मानापीठ, कामेट, हाथी गौरी आदि हिमाच्छादित पर्वतों का विहंगम दृश्य भी दृष्टिगोचर होता है।

गुरसौं बुग्याल

यहां की स्थानीय भाषा में ‘बुग्याल’ चरागाह को कहा जाता है। आप संभवत: यह सोचें कि ‘भला चरागाह भी कोई देखने लायक चीज होती है?’ हां, कम-से-कम यहां की चरागाहें तो देखने लायक ही हैं! वो इसलिए कि अन्य चरागाहों से ये सर्वथा भिन्न हैं-प्राकृतिक सुषमा से युक्त है!

औली से 3 किलोमीटर दूर यह स्थान मीलों लंबा-चौड़ा चरागाही मैदान है, जो ओक और कोनिफर के जंगलों से घिरे होने के कारण अधिक मनोरम प्रतीत होता है। जाड़े के दिनों में यहां बर्फ जमी रहती है, जबकि गर्मी के दिनों में दर्जनों किस्म के ऐसे फूल खिले रहते हैं, जो जल्दी कहीं देखने को नहीं मिलते।

छत्राकुंड

गुरसौं बुग्याल से 1 किलोमीटर यानी औली से 4 किलोमीटर दूर जंगल के मध्य में स्थित इस स्थान पर साफ और मीठे पानी का एक छोटा-सा सरोवर है। हालांकि यहां विशेष कुछ नहीं है, फिर भी यहां का शांत माहौल और सुहाना दृश्य तन-मन को ताजगी प्रदान करता है।

तपोवन

जोशीमठ-नीति मार्ग पर स्थित ‘तपोवन’ नामक स्थान पर काफी संख्या में पर्यटक आते रहते हैं। यहां का मुख्य आकर्षण गरम जल के प्राकृतिक स्त्रोतों का समूह है। यहां के ठंडेपन में इस गरम जल से स्नान करने का आनंद उठाना पर्यटक नहीं भूलते।

सेलधार

तपोवन से 3 किलोमीटर आगे इस स्थान पर गरम जल के प्राकृतिक फव्वारे हैं। यह जल इतना गरम रहता है कि इससे चाय बनाई जा सकती है। यह फव्वारा देखने में अत्यंत सुंदर लगता है।

क्वारी बुग्याल

औली से लगभग 16 किलोमीटर दूर मीलों फैले इस स्थान के ढलान का अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य किसी को भी मोहित कर देता है। यहां से हिमालय की चोटियों और घाटियों का भी नयनाभिराम दृश्य दिखलाई पड़ता है। जिन दिनों मैदानी भागों में भीषण गर्मी पड़ती है, उन दिनों यहां पर लोग तंबू गाड़ कर लेटे-बैठे रहते हैं। ट्रैकिंग करने वालों को यह स्थान अत्यंत प्रिय है।

चिनाब झील

जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर इस स्थान तक पहुंचने के लिए घने जंगल और मखमली घास के मैदान से होते हुए जाना पड़ता है। यहां एक सुंदर झील है, जिसके कारण यहां का दृश्य बहुत मनमोहक प्रतीत होता है। दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यहां ठहरने और खाने-पीने की दिक्कतों को ध्यान में रखकर ही यहां आने का कार्यक्रम बनाना हितकर होता है।

बेहतर समय:-

हालांकि गर्मी के दिनों में भी औली में काफी आनंद आता है और बरसात के मौसम में अनगिनत प्रकार के फूल-पौधे देखने को मिलते हैं, लेकिन इस स्थान की विशेषता और महत्ता को देखते हुए यहां दिसंबर के मध्य से मार्च के मध्य तक की अवधि में आने पर यात्रा अधिक सार्थक होती है।

औली कैसे जाएं:-

सड़क मार्ग:

जोशीमठ से सिर्फ 13 किमी की दूरी पर स्थित है औली। यह दिल्ली से लगभग पांच सौ किमी. और देहरादून से लगभग 273 किमी की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग:

औली जाने के लिए आपको देहरादून या हरिद्वार की ट्रेन पकड़नी पड़ेगी। उसके बाद सड़क-मार्ग का ही उपयोग करना पड़ेगा।

एयर मार्ग:

आप देहरादून तक ही जा पाएंगे, क्योंकि औली का नजदीकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (देहरादून) है। यहां से औली की दूरी 286 किलोमीटर है।
-डेस्क

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