junk food -sachi shiksha hindi

घातक है जंक फूड का अत्यधिक सेवन

भागदौड़ भरी इस जिंदगी में अधिकांश लोगों की जंक फूड पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। वैसे जंक फूड सिर्फ पश्चिमी देशों की ही देन नहीं है। परंपरागत भारतीय भोजन में समोसा, टिक्की, कचौड़ी इत्यादि के रूप में जंक फूड शामिल हैं। हां, यह बात अलग है

कि भारतीय जंक फूड विदेशी जंक फूड जितना हानिकारक नहीं है क्योंकि देशी जंक फूड जैसे समोसा, ब्रेड पकौड़ा, टिक्की, कचौड़ी इत्यादि को तैयार करने में रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल नहीं होता और अगर होता भी है तो बिलकुल नाममात्र का जबकि पिज्जा, बर्गर, नूडल्स इत्यादि विदेशी जंक फूड में रसायनों का प्रयोग आवश्यक रूप में होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं।

विदेशी जंक फूड के अत्यधिक सेवन के परिणामस्वरूप ही आजकल बहुत-से व्यक्ति छोटी उम्र में ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग व धमनी संबंधी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जंक फूड के रूप में जिन खाद्य पदार्थों का हम सेवन करते हैं उनमें कार्बोहाइडेऊट व चीनी की काफी मात्र होती है जो खून में हीमोग्लोबिन की मात्र को कम करती हैं। इस भोजन के अधिक सेवन से शारीरिक क्रि याओं में भी कमी आती है।

कोल्ड ड्रिंक में फॉस्फोरिक एसिड तथा कार्बन डाइआॅक्साइड होते हैं जो शरीर के लिए नुक्सानदेह हैं।

  • पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, चिप्स इत्यादि पदार्थों में वसा व कैलोरी उच्च मात्र में होती है जिससे मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह व हृदय रोग जैसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। साथ ही मानसिक विकास में भी बाधा आती है। इससे व्यक्ति में चिड़चिड़ापन व हिंसक प्रवृत्तियां पैदा होती हैं।
  • जंक फूड के अत्यधिक सेवन की सबसे बड़ी हानि यह है कि कुछ समय बाद अगर व्यक्ति सामान्य व पौष्टिक आहार का सेवन करना भी चाहे तो वह पूर्णरूप से फास्ट फूड से छुटकारा नहीं पा सकता क्योंकि वह इसका आदी हो चुका होता है तथा सामान्य आहार में उसकी रूचि नहीं रहती।
  • यदि समय रहते ही इस समस्या का निदान न किया जाए तो भविष्य में इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं अत: जरूरी है कि प्रत्येक आहार के सेवन संबंधी कुछ बातों का ध्यान रखें।
  • जंक फूड का सेवन करना उतना नुक्सानदेह नहीं पर इसके सेवन संबंधी पर्याप्त जानकारी के अभाव में यह हानिकारक अवश्य हो सकता है। कई लोग या तो सप्ताह भर इसका सेवन करते ही नहीं व जब करते हैं तो लगातार अधिक मात्र में करते हैं। यह तरीका सर्वथा अनुचित है। आयुर्वेद के अनुसार जंक फूड का कम मात्र में व कभी-कभार सेवन करना सेहत को नुक्सान नहीं पहुंचाता। अत: अगर आपने सुबह नाश्ते में बर्गर, पैटीज इत्यादि का सेवन किया है तो दोपहर व रात के खाने में पौष्टिक आहार लें।
  • इन पदार्थों का सेवन करने के बाद यदि एक आधा गिलास गर्म पानी पी लिया जाए तो ये आसानी से पच जाते हैं।
    ल्ल आहार-चार्ट बनाएं। तय करें कि आप सप्ताह में सिर्फ दो या तीन बार ही जंक फूड का सेवन करेंगे व शेष दिन संतुलित व पौष्टिक आहार ही लेंगे।
  • घर पर जंक फूड तैयार करें। नूडल्स को सब्जियां डालकर बनाएं। इसी तरह पिज्जा व बर्गर भी घर पर बनाकर खाएं जा सकते हैं।
  • कोल्ड ड्रिंक की बजाय लस्सी, नींबू पानी, शिकंजी, फलों का जूस, नारियल पानी, ठंडाई इत्यादि परंपरागत पेय पदार्थों का सेवन अधिक करें।
  • चॉकलेट का सेवन कम से कम करें।
  • रेशेदार पदार्थों को अपने भोजन में अवश्य सम्मिलित करें। इन पदार्थों से दांतों का व्यायाम तो होता ही है, साथ ही ये आंतों के लिए भी लाभदायक होते हैं।
  • हरी व मौसमी सब्जियों का अधिक सेवन करें। इन्हें स्वादिष्ट व रूचिकर बनाने हेतु नई व्यंजन विधियां अपनाएं लेकिन इनमें रसायनों व चिकनाई का प्रयोग कदापि न करें।
  • मीठे के शौकीन हैं तो बाजार में मिलने वाली मिठाइयां या अन्य मीठे व्यंजन खाने की बजाय घर पर ही मीठे पदार्थ, जैसे-गाजर का हलवा, खीर, मीठे चावल या अपने पसंदीदा व्यंजन बनाकर खाएं।
  • रात को भोजन के बाद कुछ देर अवश्य टहलें, ताकि भोजन को पचने में कठिनाई न हो।
    भाषणा गुप्ता

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