तनाव, टेंशन और हार्ट प्राब्लम में मददगार है माफी
अध्ययन: पश्चाताप स्वरूप कहे शब्दों यानि माफी से अहंकार खत्म होता है, जबकि उन शब्दों को सहर्ष स्वीकार करने से संस्कार बनते हैं। इन गुणों से महान बनता है व्यक्तित्व

इन्सान के जीवन में क्षमा का बहुत बड़ा महत्व है। अगर कोई इन्सान गलती कर दे और उसके लिए तुरंत माफी मांग ले तो सामने वाले का गुस्सा काफी हद तक दूर हो जाता है। अच्छे व्यक्तित्व में क्षमा मांगना एक गुण के तौर पर जाना जाता है। वहीं किसी व्यक्ति को क्षमा कर देना भी अच्छे आचरण की शैली में आता है।

यदि आदमी गलती कर दे, लेकिन उसके लिए माफी नहीं मांगे और कोई आदमी माफी मांगने पर भी सामने वाले को माफ न करे तो ऐसे लोगों के व्यक्तित्व में अहंकार का भाव विकसित हो जाता है। दोनों ही तरह के व्यक्ति अपराध से कभी मुक्त नहीं हो पाते। अपनी गलती पर माफी न मांगना और माफी मांगने पर सामने वाले को माफ न करने का मतलब यही हुआ कि ऐसे व्यक्ति खुद के जीवन में विषैले विचारों को तरजीह देते हैं।

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गलती करना आदमी का स्वभाव है और उससे जाने-अनजाने कभी न कभी ये गलतियां होती ही रहती हैं, लेकिन गलती करना उतना बुरा नहीं है, जितना कि गलती करने के बाद उसे स्वीकार न करना या फिर उसके लिए माफी न मांगना है। हालांकि जीवन में की जाने वाली गलती को स्वीकार करना और उसके लिए खुद आगे बढ़कर माफी मांगना भी बहुत बड़ी बात होती है, लेकिन उससे भी बड़ी बात होती है आदमी के द्वारा की गई गलती के लिए दूसरे व्यक्ति को माफ करना।

जीवन में माफी मांगने की कला बहुत लोगों को बहुत अच्छे से आती है तो वहीं कुछ लोगों को माफी मांगना उतना ही कठिन लगता है। दरअसल माफी मांगना या फिर किसी को क्षमा करना उतना भी सीधी-सादी बात नहीं है, लेकिन ऐसा करने के बाद व्यक्ति को बड़ा सुकून मिलता है। हमारे यहां क्षमा को वीरों का आभूषण कहा गया है. जिससे व्यक्ति के जीवन में अहंकार दूर होता है और वह स्वस्थ मन से जीवन जीता है।

दुनियाभर के मनोवैज्ञानिक ‘माफी’ शब्द पर तरह-तरह के शोध करते हैं और अपने-अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। उनके अनुसार माफी मांगना समय व स्थिति के अनुसार अलग-अलग अर्थ प्रदान करता है। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि क्षमा ऐसा शब्द है जो इन्सानी रिश्तों में कड़वाहट को मिटाकर मिठास को फिर से जिंदा कर देता है। इसमें गहरे से गहरे जख्मों को भरने की ताकत है, जो जाने-अनजाने में आपके शब्दों की कटुलता से पैदा हुए हैं। ऐसे में माफी मांगना एक उत्तम कार्य कहा जा सकता है। इसके लिए हिम्मत और साहस की आवश्यकता होती है। जो इन्सान ऐसा करता है वह अपने आत्म सम्मान में फिर से बढ़ोतरी कर लेता है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च कहती है कि किसी बात से दुखी होने वाले लोग अकसर माफी की अपेक्षा करते हैं। उनको ऐसा लगता है कि एक माफी से उनका सम्मान और विश्वास वापस आ जाएगा। उन्हें माफी मांगने की प्रक्रिया न्याय जैसी लगती है। पर, जब माफी की अपेक्षा की जाती है, तब ध्यान इस बात पर नहीं जाता है कि दिल से मांगी गई माफी रिश्ते बना देती है। वहीं, दिखावे के लिए मांगी गई माफी रिश्ते को लंबे समय के लिए बिगाड़ देती है। यही वजह है कि अच्छी और खुशनुमा जिंदगी जीने के लिए गलती करने के बाद साथी से सही तरीके से और सही समय पर माफी मांगना जरूरी हो जाता है।

मनोवैज्ञानिक सिंडी फ्रांट्ज का मानना है कि माफी मांगने में थोड़ा समय लेना चाहिए, क्योंकि जल्द माफी मांगने के पीछे लालच हो सकता है। मनोविज्ञान के प्रोफेसर रविंद्र पुरी का कहना है कि कई बार इन्सान को थोड़े समय बाद अपनी गलती का अहसास होता है, ऐसे में वह माफी भी मांगना चाहता है लेकिन उसका दिमाग ऐसा करने से रोकता है। क्षमा मांगना रिश्तों को फिर से जोड़ने का बेहतरीन प्रयास है। इससे तनाव कम होता है, मानसिक स्वास्थ्य में भी बढ़ोतरी होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि माफी मांगने वाले इन्सान के रक्तचाप और दिल की धड़कनों में सुधार की संभावना बढ़ जाती है।

मनोवैज्ञानिक इंगल कहते हैं कि ‘मुझे खेद है या जो कुछ हुआ, वो गलत हुआ।’, जैसे सशर्त शब्दों की बजाय सीधे-सीधे अपनी गलती की माफी मांगना उचित है।
क्षमा वाणी पर्व न सिर्फ आध्यात्मिक स्तर पर हमारे जीवन को और चरित्र को पवित्र करता है, बल्कि विज्ञान कहता है कि इसके मानसिक और शारीरिक फायदें भी हैं। फॉरगिवनेस पर की गई एक स्टडी की रिपोर्ट कहती है कि गलती होने पर माफी मांगना हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए फायदेमंद है।

माफी मांगने से ज्यादा माफ कर देना उच्च और महान अवस्था है। यह सही भी है, मांगने से अहंकार खत्म हो जाता और देना ‘जॉय आॅफ गिविंग’ है। – महावीर स्वामी।
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माफी मांगना साहसी लोगों का काम है, यह वीरों को सुहाती है। – रामधारी सिंह दिनकर, प्रख्यात कवि।
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कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता, क्षमा करना शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है। – महात्मा गांधी।

ख्याल रखें…

जल्दबाजी में माफी न मांगें

माफी मांगते समय कभी भी जल्दबाजी ना दिखाएं। पहले खुद के मन-विचार को एकाग्र करते हुए इस विषय में एक निश्चित राय बनाएं और समय की मर्यादा का चयन करें ताकि सामने वाले को भी आपकी बात को स्वीकार करने में कोई शक ना रहे।

आपसी रिश्ते को फिर दें मौका

किसी गलतफहमी या विषय पर तकरार के बाद उपजे विवाद को माफी मांगने के बाद फिर से रिश्ते को मौका दें। क्योंकि बिखराव के बाद रिश्तों को फिर से संजोने में थोड़ा समय लगता है।

पीड़ित की बात अनसुना ना करें

जब आपने माफी मांगने का मन बना ही लिया है तो यह जरूरी है कि सामने वाले की बात को अनसुना ना करें। इस दौरान पीड़ित व्यक्ति अपनी बात को स्पष्ट करना चाहता है इसलिए आपका भी फर्ज बनता है कि उसकी हर बात के पहलु पर गौर किया जाए। उसकी बात सुनना और उसकी सुविधा पर भी चर्चा होनी चाहिए।

शब्दों में संवेदना का भाव हो

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आपके शब्दों में कोई घुमाव नहीं होना चाहिए, अपितु साफ व सीधे शब्दों में माफी मांगें। जैसे आप मुझे क्षमा करें या मैं आपसे माफी चाहता हूं। सशर्त शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें।

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