सबके भरोसेमंद बनकर पाएं सफलता
कंपनियां चाहती हैं कि आप उन पर भरोसा करें। सहयोगियों को अपना काम कराने के लिए आपके भरोसे की जरूरत होती है। कई मायनों में ये भरोसा ही है जो हमें आपस में जोड़ता है, हमारे बीच संवाद को बढ़ाता है, जिससे काम अच्छे से होता है। हम आॅनलाइन शापिंग साइट से सामान खरदीते हैं और भुगतान करते हैं। ये सब कुछ सिर्फ भरोसे के सहारे ही चलता है।
हर बार जब हम किसी दूसरे से बात करते हैं तो ये मानते हैं कि वो भरोसेमंद होगा। लेकिन केवल अच्छी नीयत-भर से भरोसा हासिल नहीं होता। इसके लिए आपको काफी मेहनत करनी होती है। किसी भी कंपनी के लिए विश्वसनीयता हासिल करना उनके डीएनए में शामिल होता है। ये केवल बातों से जाहिर नहीं होगा बल्कि कंपनी के बोर्ड रूम से लेकर एक्जीक्यूटिव टीम तक, फैक्टरी के फ्लोर से लेकर रिसेप्शन तक वे आपको अपने भरोसेमंद होने का एहसास कराते हैं।
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कंपनियों को भरोसेमंद लोगों की ही तलाश भी होती है। ऐसे में आप कैसे साबित करेंगे कि आप भरोसेमंद हैं? इसको लेकर चार मुख्य बाते हैं जो कारोबार से लेकर व्यक्तिगत मसलों पर एकसमान लागू होती हैं। आपका काम आपके शब्दों से कहीं ज्यादा प्रभावी होता है। केवल ये कहना है कि मेरा भरोसा कीजिए या फिर इस मिशन में सावधानी से जुटना-भर पर्याप्त नहीं होता।
व्यक्तिगत तौर पर, समय का पाबंद होना, मीटिंग के डेडलाइन का ख्याल रखना, सवालों के सीधे जवाब देना, ऐसी चीजें हंै जिनका आपके सहयोगी और उपभोक्ता दोनों पर गहरा असर होता है। यही चीजें कारोबार पर भी लागू होती हैं। आप अपने कारोबारी प्रतिबद्धताओं के अलावा कारोबारी संबंधों के प्रति स्पष्ट हों और दिन-प्रतिदिन इस तरह से व्यवहार करें जिससे लगे कि आपकी संस्था सम्मानीय है।
भरोसा हासिल करने के रास्ते में गोपनीयता या फिर स्वांग करना सबसे बड़ी बाधा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कारोबार में कुछ चीजों को गोपनीय रखना होता है। लेकिन ऐसे तरीके होते हैं जिनके जरिए कंपनियां गोपनीय जानकारी लीक किए बिना अपने काम को कर सकती हैं।
अगर आप चाहते हैं कि लोग या फिर आपकी कंपनी आप पर भरोसा करे तो आप कम से कम वैसी जानकारी शेयर करना चाहेंगे जो आपके फैसले के पक्ष में हो। सवालों के गरिमापूर्वक जवाब देने से और लोगों को सवाल पूछने की इजाजत देने से उनका भरोसा आपके प्रति बनता है। लेकिन अगर आप अक्रामक ढंग से जवाब दें या फिर रक्षात्मक तरीके से बार-बार पूछें कि क्या आप मुझ पर भरोसा करते हैं, तो गलत संकेत जाएगा। दूसरा शख्स ऐसे में सही या गलत कोई भी फैसला ले सकता है या फिर सोच सकता है कि शायद आप कुछ छिपा रहे हैं।
लोग लगातार बेहतर काम होते हुए देखना चाहते हैं। वे ये भी देखना चाहते हैं कि गड़बड़ियों के लिए जिÞम्मेदार लोगों के बारे में क्या कार्रवाई हुई। वह बदलाव देखना चाहते हैं, तब जाकर लंबे समय में आप भरोसा हासिल कर पाते हैं। एक समय था जब कारोबारी लीडर ये सोचते कि अंत से ही औचित्य साबित हो जाता है।
जब तक कंपनियां अपने निवेशकों को बेहतर परिणाम दे रही थीं और बाकी चीजें भी ठीक थीं, तब तक वे इस बात की परवाह नहीं करते थे कि परिणाम हासिल करने में पर्यावरण का नुकसान तो नहीं हो रहा, या फिर श्रमिकों को कम वेतन तो नहीं मिल रहा या फिर प्रशासन खराब तो नहीं है। सब कुछ चल जाता था।
लेकिन अब ना तो उपभोक्ता, ना ही क्लाइंट और ना ही समाज इसे स्वीकार करने के लिए तैयार है। कंपनियों को अब विश्वसनीयता हासिल करने के लिए अच्छे कारपोरेट नागरिक के तौर पर व्यवहार करना पड़ रहा है और अपनी सामाजिक जिÞम्मेदारियों को भी निभाना पड़ रहा है।
यही सब बातें व्यक्तिगत व्यवहार के लिए भी सही हैं। अपने सहयोगियों और क्लाइंट को सम्मान देकर ही आप आगे बढ़ सकते हैं। अगर कोई अनैतिक व्यवहार कर आगे बढ़ता है तो भी उसे जल्द ही मालूम हो जाता है कि समाज का कोई समूह भी उसका साथ देने को तैयार नहीं होगा।
ये बेहद सीधा मसला है। अगर आप कुछ भी गलत करते हैं तो उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। व्यक्ति के तौर पर भी और कारोबार के तौर पर भी। ये बेहद सामान्य सी बात है। अगर कोई शख्स या फिर संस्था अपनी गलती मान लेती है तो लोग आमतौर पर माफ कर देते हैं। गलती को सुधारने की कोशिश भी होनी चाहिए। स्पष्टता और पारदर्शिता से काम करना चाहिए। इससे भरोसा बढ़ता है।