बहुत कारगर है गिलोय
जब से विभिन्न बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है, लोग आयुर्वेद की शरण में जा रहे हैं। इलाज के रूप में गिलोय का नाम खासा चर्चा में है। गिलोय या गुडुची, जिसका वैज्ञानिक नाम ‘टीनोस्पोरा कोडीफोर्लिया’ है, का आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके खास गुणों के कारण इसे अमृत के समान समझा जाता है और इसी कारण इसे ‘अमृता’ भी कहा जाता है। प्राचीन काल से ही इन पत्तियों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाइयों में एक खास तत्व के रुप में किया जाता है।

गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर इस्तेमाल में लाया जाता है। गिलोय को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है। यह तैलीय होने के साथ-साथ स्वाद में कड़वा और हल्की झनझनाहट लाने वाला होता है। गिलोय के गुणों की संख्या काफी लंबी है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण मौजूद हैं।

गिलोय के इस्तेमाल से सांस संबंधी रोग, जैसे दमा और खांसी में भी फायदा होता है। इसे नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग, जैसे एग्जिमा और सोराइसिस दूर किए जा सकते हैं। इसे खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोगों के इलाज में भी कारगर माना जाता है। सूजन कम करने के गुण के कारण, यह गठिया और आथेर्राइटिस से बचाव में अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय के पाउडर को सौंठ की समान मात्रा और गुगुल के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से इन बीमारियों में काफी लाभ मिलता है। इसी प्रकार अगर ताजी पत्तियां या तना उपलब्ध हों तो इनका ज्यूस पीने से भी आराम होता है।

आयुर्वेद के हिसाब से गिलोय रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रूप में कार्य करता है। इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है और शरीर में अति-आवश्यक सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारु बनाता है। यह शरीर को बैक्टिरिया जनित रोगों से सुरक्षित रखता है। लंबे समय से चलने वाले बुखार के इलाज में गिलोय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है जिससे यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है। इसके दैनिक इस्तेमाल से मलेरिया से बचा जा सकता है। गिलोय के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।

शरीर में पाचनतंत्र को सुधारने में गिलोय काफी मददगार होता है। गिलोय के चूर्ण को आंवला चूर्ण या मुरब्बे के साथ खाने से गैस में फायदा होता है। गिलोय के ज्यूस को छाछ के साथ मिलाकर पीने से अपाचन की समस्या दूर होती है और साथ ही साथ बवासीर से भी छुटकारा मिलता है।

गिलोय के अंदर शरीर में शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने का खास गुण होता है। इसके इस गुण के कारण यह डॉयबीटिज टाइप 2 के उपचार में बहुत कारगर है। गिलोय एडाप्टोजेनिक हर्ब है। यह मानसिक दबाव और चिंता को दूर करने के लिए उपयोग में अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढ़ने के प्रभाव की गति को कम करता है। अपने अनगिनत गुणों के साथ गिलोय सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है।

ध्यान योग्य बात यह भी है कि कुछ लोगों में इससे विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं। इससे कुछ लोगों की पाचन क्रिया खराब हो सकती है। गर्भवती महिलाओं को भी बिना चिकित्सकीय सलाह के इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।
-पुश्पेन्द्र शर्मा

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