Save Birds प्रकृति संरक्षण में अहम प्रयास पक्षियों को दें चोगा-पानी
पक्षी आएं, चोगा चुग जाएं, पानी पी लें…, वाह! पता नहीं कब से प्सासे पक्षी पानी पिएंगे। मई-जून के महीने में तो खासकर, दाना नहीं मिलता सब सूख जाता है और आप उन्हें दाना डालते हैं, पता नहीं वो कौन-सी दुआएं दे जाएं और पता नहीं कौन-सी दुआ कब भगवान जी सुन लें! ये है सच्चा दान, अगर आपने दान करना है, तो इस तरह का किया करो।
पूज्य गुरु डॉ. संत एमएसजी जी के पवित्र मुखारबिंद से…
9 मई विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर एक से दूसरे देशोंं में प्रवास करने वाले पक्षियों का जिक्र लाजमी हो जाता है। दुनियाभर में जीव-जन्तुओं और पक्षियों की लाखों प्रवासी प्रजातियां हैं जो अपने अस्तित्व के लिए एक देश से दूसरे देश की सीमाओं से भी आगे का सफर तय करती हैं। इनमें से बहुत सी प्रजातियों के अस्तित्व पर अब खतरा पैदा हो गया है। भारत कई प्रवासी जानवरों और पक्षियों का अस्थायी घर है। अमूर फाल्कन, बार हेडेड घीस, ब्लैक नेकलेस क्रेन, मरीन टर्टल, डूगोंग, हंपबैक व्हेल इत्यादि इनमें से कुछ महत्वपूर्ण प्रजातियां हैं।
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भौर फटते ही पक्षियों की चहचाहट वातावरण को सुरम्य बना देती है, कानों में गूंजते सुरीले स्वर तन-मन को तरोताजा कर देते हैं। लेकिन मई महीने में सुबह की गर्मी प्रकृति के इस मनोरम को प्रभावित करने लगती है। ऐसे वातावरण में न सिर्फ मनुष्य, बल्कि पशु-पक्षी भी गर्मी और लू से बेहाल होने लगते है। गर्मी के इस मौसम में घर के बाहर, छत पर या बालकनी में पक्षियों के लिए दाना-पानी अवश्य रखना चाहिए, ताकि बेजुबान पक्षी भी अपना पेट भर सकें और प्यास बुझा सकें। पक्षियों को इस प्रकार से संरक्षण देकर हम पर्यावरण की रक्षा के लिए एक कदम तो बढ़ाते ही हैं, साथ ही ऐसा करके मानव जीवन को अच्छे स्वास्थ्य देने का सराहनीय प्रयास भी होता है।
पशु-पक्षियों के प्रति ऐसी ही सोच के धनी डेरा सच्चा सौदा ने पक्षियोंद्वार नाम से एक नायाब पहल शुरू की हुई है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु पक्षियों के लिए अपने-अपने घरों की छतों व पेड़ों पर सकोरे लगाकर दाना (चोगा) और पानी की व्यवस्था करते हैं और पूरे गर्मी सीजन में इस कार्य को बरकरार रखते हंै, ताकि कोई बेजुबान भूख व प्यास से बेहाल होकर अपनी जान ना गंवा बैठे। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाए जा रहे 156 मानवता भलाई कार्यों में यह 37 वां कार्य है, जिसको लेकर आमजन भी अपनी भागीदारी खुशी-खुशी सुनिश्चित कर रहा है।
पूज्य गुरु जी अकसर फरमाते हैं कि यदि आप इन भूखे-प्यासे पक्षियों को दाना-पानी देते हैं तो यह बेजुबान आपको दुआओं में बहुत कुछ दे जाते हैं। वास्तव में यह इन्सान के लिए उत्तम दान है। पर्यावरण संरक्षण की इस कोशिश से घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वैज्ञानिक नजरिये से भी पक्षियों का संरक्षण आवश्यक है। पक्षी खाद्य शृंखला में सबसे ऊपर हैं, ये हमारी जैव विविधता की सामान्य स्थिति के अच्छे संकेतक हैं। पक्षी ही हैं जो जलवायु को स्थिर रखते हैं, हवा को आॅक्सीजन देते हैं और प्रदूषकों को पोषक तत्वों में बदलते हैं। इन प्रणालियों के प्रभावी कामकाज में पक्षी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनमें प्रवासी पक्षियों का अपना एक अहम रोल है।
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लारजेस्ट बर्ड्स नर्चरिंग
डेरा सच्चा सौदा ने साढ़े 5 वर्ष पूर्व बनाया था दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी पोषण मोजेक
डेरा सच्चा सौदा ने जीव कल्याण के तहत पक्षियों के संरक्षण की अनूठी पहल करते हुए कई प्रकार के अनाज का उपयोग करते हुए दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी पोषण ‘लारजेस्ट बर्ड्स नर्चरिंग’ मोजेक बनाकर दुनिया को एक महासंदेश दिया है। शाह सतनाम जी धाम सरसा में 20,340 स्कवेयर फुट आकार में विभिन्न अनाजों से बनाई इस आकृति को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
इस आकृति को बनाने में 3737.48 किलो अनाज के दानों का प्रयोग किया गया। विशालकाय आकृति में पक्षी दाना चुगते तथा पानी पीते हुए दर्शाए गए, जोकि एक अति मनमोहक दृश्य पेश कर रहा था। 10 अगस्त 2017 को यह आकृति बनाने के लिए 304 लोगों (आर्टिस्ट्स) ने अपना अहम योगदान दिया और 14 घंटों में 113७180 स्कवेयर फुट में विशालकाय चित्र को जमीन पर उकेरा, जो अपने आप में विश्व रिकार्ड था।
इस महान कार्य के पीछे पूज्य संत डॉ. एमएसजी की प्रेरणा निहित है। पूज्य गुरु जी ने हमेशा पक्षियों को दाना डालने और पर्यावरण और जानवरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने पर जोर दिया है। आपजी ने सभी अनुयायियों को अपने घरों की छतों पर दाना डालने व सकोरे लगाकर पानी देने का आह्वान किया।