गुरुग्राम में मुंह बोलती हैं कलाकृतियां प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण: पंछियों के बिना सब शून्य
…अब तो चुपचाप शाम आती है, पहले चिड़ियों के शोर हुआ करते थे। बात सादी है मगर अर्थ गहरा है। हम सबको यह पता ही होगा कि एक समय में जब चिड़िया, तोता, मैना, कोयल हमारे आसपास चहचहाट करते थे तो हमें सुकून सा मिलता था। रोते बच्चों को हंसाने के लिए इन पक्षियों की आवाज सुनाया करते थे।
सुबह-शाम पक्षियों, चिड़ियों से जो रौनक हुआ करती थी, वह समय के साथ खत्म सी होती चली गई। ग्रामीण अंचल में भले ही अभी कुछ चिड़ियों की चहचहाट सुनाई दे जाए, पर शहरों में चिड़ियों की आवाज हमारे कानों में घनघनाते मोबाइल की तरंगों के आगे दब सी गई है। इनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
Gurugram Artifacts इसी खतरे का अहसास कराने के लिए आपको गुरुग्राम में भारी-भरकम चिड़िया अपने अस्तित्व को बचाने की गुहार लगाती नजर आ जाएगी। भले ही यह चिड़िया उद्योगों से निकले स्क्रैप से बनाई गई हो, लेकिन यह आपसे मार्मिक अपील करती प्रतीत होती है। सड़क पर चलते हुए लोग रोजाना शहर में नए मॉडल की गाड़ियों को देखते होंगे, गगन को चूमती इमारतों को देखते होंगे। विकासशील होने का हर तरह से आपको अहसास होता होगा। अगर कुछ दिखाई, सुनाई नहीं देता है तो वह है पंछी और उनकी चहचहाट। खास बात यह है कि इनके अस्तित्व को मिटाने में सबसे बड़ी भूमिका मोबाइल टावर्स की रेडिएशन रही है, ऐसा एक्सपर्ट मानते हैं। मोबाइल रेडिएशन की सबसे अधिक शिकार चिड़िया ही हुई हैं। साथ ही दाना-पानी की कमी भी चिड़ियों के जीवन पर संकट का एक कारण के रूप में देखा जा रहा है।
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चिड़ियों और अन्य पंछियों का जीवन बचाने के लिए जागरुकता भी जरूरी है। हम ज्ञान तो खूब बांटते हैं, लेकिन पंछियों को अपनी छत, बालकनी पर दाना-पानी रखने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाते। जबकि यह सोचने और कहने से पहले करना चाहिए। इन पंछियों का अस्तित्व बचाने को गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) के सहयोग से एम3एम फाउंडेशन ने कदम आगे बढ़ाया है। शहर में चौक-चौराहों पर मॉडल के रूप में विशालकाय पंछियों की कलाकृतियां स्थापित की जा रही हैं। उद्योगों से निकले स्क्रैप से यह अनूठा प्रयोग है। इसका मकसद शहर की सुंदरता के साथ बेजुबान पंछियों का अस्तित्व बचाने की मार्मिक अपील भी है।
यह अपील भी स्क्रैप से बने निर्जीव पंछी ही कर रहे हैं। मिलेनियम सिटी गुरुग्राम के दो प्रमुख खुशबू चौक और इफको चौक पर 2 विशालकाय स्कलप्चर (मूर्ति) स्थापित किए हैं। देश के कई राज्यों से चुने गए 16 कलाकारों ने ये स्कलप्चर बनाए हैं। इन कलाकारों का सुशील सखुजा और अनुज पोद्दार जैसे महान स्कलप्चर आर्टिस्ट ने मार्गदर्शन किया है। इनके बनाए स्कलप्चर देश के प्रधानमंत्री दूसरे देशों के जनप्रतिनिधियों को तोहफे के रूप में देते हैं।
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Gurugram Artifacts साइकिल व साइकिलिस्ट दे रहे सेहत का संदेश
पंछियों के अलावा इन्सानों के लिए भी जीएमडीए के साथ एम3एम ने खास कलाकृति से संदेश देने का प्रयास किया है। शहर के राजीव चौक पर साइकिल और साइकिल्ट की मूर्ति लगाई गई है। जो सबके लिए संदेश है कि जितना हो सके खुद को स्वस्थ रखें। साइकिलिंग से स्वस्थ रहा जा सकता है। इससे सड़कों पर कम ट्रैफिक होगा, प्राकृतिक संसाधन डीजल, पेट्रोल की खपत पर भी नियंत्रण होगा। प्रदूषण का स्तर भी नीचे जाएगा।
16 कलाकारों की कड़ी मेहनत का परिणाम ये मूतियां
इन मूर्तियों, कलाकृतियों को देखकर हम सब भले ही खुश हो रहे हों, लेकिन इनके निर्माण के पीछे 16 कलाकारों की कड़ी मेहनत की भी सराहना करनी होगी। देश के कई राज्यों से चयनित किए गए 16 युवा कलाकारों ने इन स्कलप्चर को साकार रूप दिया। चिड़िया के स्कलप्चर को रबिंद्रा भारती यूनिवर्सिटी पश्चिम बंगाल से अक्षय मायती, रंजय सरकार, पिंटु दास और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय बालाघाट मध्यप्रदेश से रानी ने बनाया है। वन अर्थ स्कलप्चर को जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के राजेश सिंह, नागालैंड के गवर्नमेंट कॉलेज आॅफ आर्ट एंड क्राफ्ट के तत्सिमु त्रखा, बिहार के विश्वाभारती विश्वविद्यालय से आदित्य प्रकाश और पश्चिम बंगाल से थिन्ले डोलमा गुरुंग ने मूर्तरूप दिया है।
मधुमक्खी और छत्ते को झारखंड के दियोघर की कलाभवन विश्व भारती यूनिवर्सिटी से राज चक्रबोर्ती, हरियाणा की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से कमलजीत, सुशांत स्कूल आॅफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर से नलिनी सिंह, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से इक्रा नियाज ने अपनी कलात्मक सोच से बेहतर बनाया है। साइकिल और साइक्लिस्ट की मूर्ति केरल के गवर्नमेंट कॉलेज आॅफ फाइन आर्ट्स से अब्दुल्ला एबी, विश्वभारती विश्वविद्यालय के छात्र नागालैंड के शिलुती लांगकुमार, पुणे महाराष्ट्र से मीनल पारखी, त्रिस्सुर केरल के गवर्नमेंट कॉलेज आॅफ फाइन आर्ट्स से किरन इवीएस ने तैयार किया है। जी-20 के स्कलप्चर को इन सभी विद्यार्थियों ने मिलकर आकार दिया।
लोग इनसे प्रेरित होकर जागरुक हों: सुभाष यादव
जीएमडी के एडिशनल सीईओ सुभाष यादव कहते हैं कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे इन प्रयासों में आमजन सहभागी बनें तो खुशी होगी। यह कदम तभी सार्थक कहा जाएगा जब गुरुग्राम ही नहीं हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों के लोग इनसे प्रेरित होकर जागरुक होंगे।
कलाकारों ने अपनी कला से किया पे्रेरित: डॉ. पायल
एम.एम. फाउंडेशन की चेयरपर्सन और ट्रस्टी डॉ. पायल कनोडिया का कहना है कि फाउंडेशन हमेशा पर्यावरण, जल, शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम बेहतरीन कार्य करने के लिए युवा कलाकारों के साथ अन्य संस्थाओं को भी साथ लेकर चलेंगे। उन्होंने कहा कि सभी कलाकारों ने दिल छू लेने वाली इस कलाकृतियों से सबको पे्ररित किया है।
4000 किलो का छत्ता और एक टन वजनी मधुमक्खी
गुरुग्राम के प्रमुख इफको चौक पर इंडस्ट्रियल वेस्ट से ही बनाया गया करीब 4000 किलो का छत्ता और एक टन वजनी मधुमक्खी भी सबको आकर्षित करती है। यहां लगभग पूरे दिन लोग इसकी तस्वीरें व इसके साथ सेल्फी लेते नजर आते हैं। यह कलाकृति संदेश देती है कि इन्सान को खुद के भविष्य के लिए इन्हें भी बचाना होगा। अगर मधुमक्खियां विलुप्त हो गईं तो यह अपने आप में शांत प्रलय होगी। इनका अस्तित्व मिटा तो इन्सानी जीवन के अस्तित्व पर भी खतरा होगा। ऐसे में खुद को बचाने के लिए हमे इन मधुमक्खियों की रक्षा करनी होगी। अपने सुरक्षित कल के लिए हमे इन्हें बेहतर आज दें, यह जरूरी है। यह भी एक तरह से पर्यावरण का असंतुलन है, जो हमारे आसपास से बहुत से कीड़े-मकौड़े, पक्षी, वन्य प्राणी खत्म हो रहे हैं।
3000 किलो स्क्रैप से बनाई विशालकाय चिड़िया
खुशबू चौक पर स्थापित की गई करीब 3000 किलोग्राम इंडस्ट्रियल स्क्रैप से बनाई गई विशालकाय चिड़िया गोरैया यह अहसास दिला रही है कि हमारे घरों में चहकने वाली नन्हीं चिड़िया अब कहीं गुम हो गई है। पास से निकलेंगे तो उसकी खामोश गुहार आपको जरूर सुनाई देगी। राह चलते, गाड़ियों में चलते लोग इस निर्जीव चिड़िया को अपने मोबाइल में कैद करते नजर आते हैं। कलाकार की तारीफ करते हैं। कलाकार की कलाकारी तब सार्थक होगी जब हम सब चिड़ियों का जीवन बचाने को आगे आएंगे। और कुछ नहीं तो अपनी छत, बालकनी पर दाना-पानी रख दें, ताकि भूली-भटकी चिड़िया या कोई और पंछी अपनी भूख, प्यास मिटा सके।
एटलस चौक पर बनाया 22 फुट का हाथ है खास
अपनी धरती को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना बेहद जरूरी है। इसी का संदेश देता यहां एटलस चौक पर इंडस्ट्रियल वेस्ट से बना 22 फुट का एक हाथ भी स्थापित किया गया है। इस हाथ ने धरती को उठा रखा है। जिसे सहारा देते दो अन्य हाथ ये याद दिला रहे हैं कि हमारे पास एक ही पृथ्वी है। इसे हमें हर हाल में बचाना है। पृथ्वी को बचाने के लिए पेड़ों की संख्या बढ़ानी है। जल की बबार्दी नहीं करनी। भूजल रिचार्ज के संसाधन बढ़ाने हैं। इन सब प्रयासों से हम पृथ्वी, पर्यावरण को बचा सकते हैं। इसके अलावा गुरुग्राम-महरौली (दिल्ली) बॉर्डर पर बायो डायवर्सिटी पार्क में उल्लू की भी विशालकाय मूर्ति पहले से लगाई हुई है। वह भी लोगों को आकर्षित करती है।
-संजय कुमार मेहरा