Experiences of satsangis

शिष्य की मुश्किल समय में सहायता की -सत्संगियों के अनुभव

पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत

प्रेमी रकम सिंह इन्सां पुत्र कंवरपाल सिंह इन्सां, निवासी गांव झिटकरी जिला मेरठ (यूपी) हाल आबाद गली नं. 7, हरि नगर, कंकरखेडा, मेरठ से अपने बेटे पर हुई पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की रहमत का वर्णन इस प्रकार करता है:

वर्ष 2008 को दीपावली के अवसर की घटना है। तब मेरा मेरठ में नया घर बन रहा था। कार्य पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ था। मैं एवं मेरी पत्नी डेरा सच्चा सौदा शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा में गए हुए थे। मेरा लड़का सुमित उर्फ धर्मपाल सिंह आयु उस समय 16 वर्ष, मेरे भतीजे सोनू के साथ पटाखे लेकर रात्रि के नौ बजे मकान की दूसरी मंजिल की छत पर चढ़ गए। दोनों ने आपस में विचार बनाया कि इससे भी ऊपर जीने की मुंमटी पर चढ़कर पटाखे छुड़ाएंगे।

मेरा भतीजा तो छत पर ही खड़ा रहा एवं मेरा पुत्र छत की चार इंची बनी चार-दिवारी की र्इंटों पर पैर रखकर मुंमटी की छत पकड़कर ऊपर चढ़ने लगा, तो उसके पैरों के नीचे की र्इंट हिल गई और उसका हाथ ऊपर मुंमटी की किनारी से छूट गया। गिरते वक्त एक र्इंट उसके हाथ लग गई, जो थोड़ा बाहर की तरफ बढ़ी हुई थी। चार दिवारी के अंदर खड़े मेरे भतीजे सोनू को कुछ भी पता नहीं लगा कि उसका भाई किधर गिर गया। वह भाई-भाई कहकर चिल्लाता रहा। घर में कोई भी नहीं था और लाईट भी नहीं थी।

वह उन र्इंटों को पकड़कर काफी देर मकान के बाहर की तरफ लटका रहा। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया एवं वह बहुत घबरा गया। इसे कुछ भी नहीं सूझ रहा था। नीचे र्इंटें-रोड़े पडेÞ हुए थे। उसे अपने सतगुरु पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का ख्याल आया, साथ ही नारा याद आ गया। ज्यों ही उसने ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ नारा बोला, उसी समय पूज्य हजूर पिता जी ने उसे उठाकर ऊपर छत की तरफ धकेल दिया। उसे पूज्य पिता जी के दर्शन नहीं हुए, परंतु उनके कर-कमलों का आभास हुआ। एकदम भाई को पास देखकर सोनू हैरान हो गया। इस घटना से मेरा लड़का इतना घबरा गया कि पटाखे छुड़ाने ही भूल गया और अपने भाई को साथ लेकर नीचे आ गया। उसी समय दोनों सोने के लिए लेट गए।

अगले दिन जब मैं दरबार से घर लौटा तो मेरे लड़के ने डरते हुए उक्त सारी बात सुनाई। मैं यह सुनकर वैराग्य में आ गया। मैंने वो सारा वाक्या उस स्थान पर जाकर देखा। अगर बेटा 25 फुट ऊंचाई से गिर जाता तो कुछ भी हो सकता था। पूज्य पिता जी, मैं आप जी का किन शब्दों से धन्यवाद करूं, जिन्होंने मौके पर पहुंचकर मेरे इकलौते बेटे की जान बचाई। पूज्य पिता जी के चरणों में यही अरदास है कि इसी प्रकार सभी जीवों पर अपनी कृपा-दृष्टि बनाए रखना एवं हमें अपने चरणों से लगाए रखना जी।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!