Ilam Chand - sachi shiksha hindi

पूज्य गुरु जी के अनमोल टिप्स से बदली 85 वर्षीय एथलीट की जिंदगी पदकवीर इलमचंद इन्सां Ilam Chand

हाल ही में 27 अप्रैल से 01 मई 2023 को चेन्नई (तमिलनाडू) के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुई 42वीं नेशनल मॉस्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो स्वर्ण पदक सहित चार पदक जीतकर वयोवृद्ध एथलीट इलम चंद ने यह दर्शा दिया कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।

‘62 साल की उम्र गुजरते ही बीमारियों ने मेरे शरीर को जकड़ना शुरू कर दिया था। शुगर, खांसी जैसी कई दिक्कतें इस कदर बढ़ गई कि दो-चार कदम चलने पर ही दम उखड़ जाता। लेकिन पूज्य संत जी से एक उस खास मुलाकात ने मेरे जीवन की दशा और दिशा ही बदल दी।’ 85 वर्षीय इलमचंद इन्सां बताते हैं कि दरअसल उस दिन डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का रूहानी सत्संग था,

मुझे भी दर्शनों संग वार्तालाप करने का अवसर मिला। पूज्य गुरु जी ने मुझे योग के लिए प्रेरित करते हुए कई टिप्स दिए तो मैंने उसी दरमियान गर्भासन आसन करके दिखाया। यह देखकर पूज्य गुरु जी बड़े प्रसन्न हुए और मेरी उम्र के बारे पूछा। गुरु जी ने फिर फरमाया, ‘देखो भई! 62 साल का जवान’! पूज्य गुरु जी की रहमत से कुछ दिनों में ही मैं शारीरिक तौर पर फिट हो गया और 2002 में पांडिचेरी में वैटरन खेलों में भाग लिया, जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इलम चंद फर्राटा दौड़ में आज बड़े-बड़े धुरंधरों को मात देते नजर आते हैं। वे योगा व एथलीट खेलों में अब तक 450 मैडल जीत चुके हैं, जो अपने आप अजूबे से कम नहीं है।

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हाल ही में 27 अप्रैल से 01 मई 2023 को चेन्नई (तमिलनाडू) के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुई 42वीं नेशनल मॉस्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो स्वर्णों सहित चार पदक जीतकर वयोवृद्ध एथलीट इलम चंद ने यह दर्शा दिया कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।

वर्ष 1938 में उत्तर प्रदेश में जन्मे डॉ. इलमचंद इन्सां Ilam Chand के जीवन में कठिनाइयों का दौर भी चला। मैट्रिक तक शिक्षा पाने के लिए उन्हेें हर रोज 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था, लेकिन इसी मजबूरी ने आज उसे मैराथन का धावक बना दिया। इलमचंद बताते हैं कि किसी समय में योग उसके लिए अनसुना सा नाम था, लेकिन डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने मेरे अंदर ऐसा कोई टेलेंट देखा, जो मुझे योग के लिए प्रेरित किया।

डॉ. एमएसजी ने 2001 में योग के कई टिप्स बताए, मैंने पूरा अभ्यास किया। जिसके बाद वर्ष 2002 में पहली बार पांडिचेरी में योगा प्रतियोगिता में भाग लेकर छठे स्थान पर रहा, इस प्रतियोगिता में इंटरनेशनल खिलाड़ी भी थे। पिछले 21 साल में 150 स्वर्ण व 70 रजत पदक सहित 450 से ज्यादा पदक अब तक जीत चुका हूं। भारत ही नहीं, योगा के सहारे मुझे मलेशिया और चीन में भी अपनी प्रतिभा दिखाने का कई बार अवसर मिला।

वर्ष 2018 में एक साल में सबसे ज्यादा 53 मैडल जीते हैं। Ilam Chand इलमचंद एथलेटिक्स में खूब दमखम दिखाता है। वर्ष 2018 में सिरसा में 22 किलोमीटर की मैराथन में अव्वल रहने वाले इलम चंद ने दिल्ली की 22 किलोमीटर मैराथन में कई बार भाग लिया है। वहीं पोलवाल्ट में भी कई स्वर्ण पदक जीत चुका है। यही नहीं, पोलवाल्ट में तो मलेशिया और चीन में भी वह धमाल मचा चुके हैं।

एथलीट इलमचंद इस उम्र में भी 60 साल के खिलाड़ियों को मात देने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने 2007 में मलेशिया में हुई एशियाई वैटरन एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान 800 मीटर में कांस्य पदक और 2015 में चीन में हुई अंतर्राष्टÑीय वैटरन खेलों में पोलवोल्ट और ऊंची कूद में क्रमश: रजत व कांस्य पदक जीतकर भारत का परचम लहराया। इसके अलावा भारत में पांडूचेरी में वार्षिक अंर्तराष्टÑीय योग चैंपियनशिप में 2015 से 2018 तक लगातार स्वर्ण पदक जीतकर चैंपियन बने। गुरुग्राम में रुरल इंडिया स्पोर्ट्स डिवलपमेंट प्रोग्राम के तहत हुई ओपन नेशनल स्पोर्ट्स चैम्पियनिशप में 4 स्वर्ण पदकों पर कब्जा किया।

हरियाणा की ओर से 80 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में खेलते हुए इलमचंद इन्सांं ने 42वीं नेशनल मॉस्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पोलवोल्ट में स्वर्ण, 400 मी. रिले रेस में स्वर्ण, ट्रिपल जंप में कांस्य और 100 मी. रिले रेस में भी कांस्य पदक जीतकर प्रदेश व गांव शाह सतनाम जी पुरा का नाम रोशन किया। वहीं इंडियन योगा फेडरेशन की तरफ से श्रीराम कॉलेज, जिला पलवल (हरियाणा) 8 से 10 मई 2022 में हुए 38वें आॅल इंडिया योगासन स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप में इलमचंद इन्सां ने 50 से 60 आयु वर्ग में खेलते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया।

योगा डैमो में गेस्ट आॅफ आॅनर का पुरस्कार भी दिया गया। इसके बाद कोलाघाट, पूर्वा, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के कोला यूनियन हाई स्कूल में खेली गई आॅल इंडिया योगासन स्पोर्ट्स चैम्पियनिशप 26 से 28 मई तक (50 वर्ष से अधिक आयु में खेलते हुए) योगासन में स्वर्ण पदक हासिल किया। गुजरात में हुई पहली नेशनल ओपन मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पोल वाल्ट में स्वर्ण और लांग जंप में रजत पदक हासिल किया। एथलीट इलमचंद इन्सां अब तक 450 से भी अधिक पदक जीत चुके हैं जिसमें 100 के लगभग अंतर्राष्टÑीय, 200 के करीब राष्टÑीय तथा अन्य जिला, ग्रामीण स्तर पर पदक अपने नाम कर चुके हैं।

ब्रह्मचर्य, ध्यान और योग

इलमचंद Ilam Chand का कहना है कि पूज्य संत डॉ. एमएसजी से गुरुमंत्र लेकर ध्यान में नियमित समय लगाता हूं। ध्यान आसन इसमें बहुत मददगार है। मैं ब्रह्मचर्य का पालन करता हूं। एक ऐसा समय भी था, जब मुझे शुगर, खांसी जैसी बीमारी ने जकड़ा हुआ था, लेकिन जब से योग को अपनाया है सभी बीमारियां छू मंत्र हो गई। शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान में बच्चे उनसे नियमित योग सीख रहे हैं। इलमचंद का कहना है कि इन दिनों लोगों में सांस की परेशानी ज्यादा आ रही है, ऐसे में प्राणयाम नियमित रूप से करते रहने से थोड़ा आराम अवश्य मिलेगा। घुटनों के दर्द में पश्चिमोतान आसन करना चाहिए।

पूज्य गुरु जी की रहमत से ही यह संभव हो पाया: इलमचंद

एथलीट इलमचंद ने जीवन के इस पड़ाव में खेलों में ऐसे उपलब्धि को हासिल करने का श्रेय डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं और रहमत को देते हुए कहा कि यह सब पूज्य गुरु जी के मार्गदर्शन से ही संभव हो पाया है। इलमचंद को बेहतर प्रदर्शन के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा लाइफ अचीवमेंट अवार्ड व तत्कालीन महामहिम उप राष्टÑपति वैंकेया नायडू द्वारा स्पोर्ट्समैन एडवेंचर में वयोवृद्ध सम्मान से नवाजा जा चुका है। बता दें कि पिछले दिनों यूपी में राष्टÑीय जाट महासभा, सीनियर सिटीजन एसोसिएशन, समन्त सम्राट सलक्षणपाल देव तोमर ट्रस्ट और कोषागार बागपत (यूपी) की ओर से भी सम्मानित किया गया।

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