भारत का सबसे छोटा हिल स्टेशन ‘माथेरान’
कल्पना कीजिए ऐसी जगह की जहां कोई कार, स्कूटर, बस न हो! ट्रैफिक के शोर मचाते हॉर्न न हों! दम घोटने वाले ट्रैफिक का धुआं न हो! मानो आप थोड़ा अतीत में चले गए हों, जहां केवल घोड़े, खच्चर हों और हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शा! जी हां, यह सब आपको मिलेगा महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के पश्चिमी घाट में स्थित भारत के सबसे छोटे हिल स्टेशन ‘माथेरान’ में।
चाहे शहर की गर्मी से बचना हो, पागल कर देने वाली रोजमर्रा की जिंदगी से बचना हो, प्रदूषण या ट्रैफिक से बचना हो, तो माथेरान प्रत्येक यात्री की आवश्यकताओं को पूरा करता है। माथेरान पश्चिम भारत में महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई से लगभग 90-100 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक सुन्दर पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यह समुद्र तल से लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां वाहन वर्जित हैं इसीलिए मुंबई की भीड़भाड़ भरी जिंदगी से दूर सुकून के कुछ पल बिताने के लिए माथेरान उपयुक्त स्थान है।
अपने चारों ओर जल-प्रपातों (पानी के प्राकृतिक झरने) को गिरते हुए देखना और हरियाली देखना वास्तव में एक रोमांचकारी अनुभव है। इस स्थान में घाट पर कार द्वारा यात्रा भी एक रूमानी और यादगार अनुभव होता है। भारत के सभी प्रमुख शहरों और महानगरों से माथेरान तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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माथेरान यानि ‘सिर पर जंगल’:-
माथेरान का अर्थ है, ‘सिर पर जंगल’। यहां आकर प्रकृति की मोहकता का अनुभव किया जा सकता है। व्यस्त जीवनशैली से रिलैक्स होने के लिए यह बढ़िया जगह है। माथेरान की प्राकृतिक सुंदरता इतनी है कि आंखें हटतीं ही नहीं। इतिहास से यह जानकारी मिलती है कि ‘पोलिंट्ज मलेट’ नाम के व्यक्ति ने वर्ष 1850 में माथेरान की खोज की थी। पंचगनी के साथ ही अंग्रेजों ने इस स्थान को भी गर्मियों के एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया था।
ऐसे बना पर्यटन स्थल:-
माथेरान को सबसे पहले बाहरी दुनिया से परिचय कराने का श्रेय ठाणे जिले के कलेक्टर हग पन्तेज मालेट को जाता है जो 1850 में यहां पहुंचे और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत हो गए। दूसरी तरफ, किसी एक व्यक्ति का सपना कैसे हकीकत में बदलता है, यह कोई सर अदम पीरभाई से सीखे। सन् 1902 में पीरभाई ने सपना देखा कि माथेरान रेल जायेगी! फिर उन्होंने निर्माण कार्य अपने बलबूते पर शुरू किया और सन् 1907 में रेल माथेरान पहुंच गई।
आज भी पहाड़ पर रेल की पटरी बिछाना आसान नहीं है, लेकिन आज से 100 साल पहले तो यह काम कितना दुश्वार रहा होगा, यह महज कल्पना ही की जा सकती है । बॉम्बे के शेरिफ रहे पीरभाई ने अब से सौ साल पहले इस परियोजना में अपनी जेब से 14 लाख रुपये लगाये थे! मजे की बात यह कि इस विलक्षण शख्सियत का कोई स्मारक नेरल या माथेरान में नहीं है।
दर्शनीय स्थल:-
प्रकृति प्रेमियों के लिए माथेरान किसी तोहफे से कम नहीं। चारों तरफ हरियाली है। यहां पर आप पीहा, मैना, किंगफिशर और मुनिया जैसे पंछी देख सकते हैं। यहां बंदरों की खासी आबादी ह। औषधीय वनस्पतियां भी यहां पर खूब हैं। माथेरान में 28 व्यू प्वाइंट, दो झीलें, दो पार्क हैं। सारे व्यू प्वाइंट का मजा लेने के लिए दो-तीन दिन का समय लग जाता है।
- एलेक्जेंडर प्वाइंट,
- आर्टिरट प्वाइंट,
- रामबाग प्वाइंट,
- लिटिल चौक प्वाइंट,
- हनीमून प्वाइंट,
- वन ट्री हिल प्वाइंट,
- ओलंपिया रेसकोर्स,
- लॉर्डस प्वाइंट,
- हार्ट प्वाइंट,
- माउंट बेरी प्वाइंट,
- सेसिल प्वाइंट,
- पनोरमा प्वाइंट,
- स्पॉट लुईस प्वाइंट,
- इको प्वाइंट,
नवरोजी लार्ड गार्डन आदि हैं। इसके अलावा माउंट बेरी और शार्लोट लेक भी यहां के मुख्य आकर्षण हैं। माथेरान का एक अन्य आकर्षण है वैली क्रॉसिंग, जिस में रस्सियों की मदद से दो पहाड़ियों के बीच की खाई को पार किया जाता है। पर्यटकों को यह खूब भाता है।
माथेरान के बाजार में ग्राहक उत्तेजित हो जाते हैं क्योंकि पर्यटकों के लिए यहां अनेक वस्तुएं, रचनात्मक कलाकृति से स्मृति चिन्ह तक रखी होती हैं, जिन्हें आप घर ले जा सकते हैं।
लॉर्ड्स प्वायंट:
लॉर्ड्स प्वायंट से आप सहयाद्रि पर्वत शृंखला से घिरा माथेरान देख सकते हैं। माथेरान में कई तरह के जीव-जंतुओं का भी बसेरा है।
पेनोरमा पॉइंट:
38 सरकारी बिंदुओं में पेनोरमा पॉइंट एक ऐसा पॉइंट है जो संपूर्ण क्षेत्र का 360 डिग्री का दृश्य प्रस्तुत करता है। इस स्थान से देखे जा सकने वाले सूर्योदय और सूर्यास्त को देखकर आप मुग्ध हो जायेंगे।
वन-ट्री-हिल:
माथेरान का ‘वन ट्री हिल’ अद्भुत है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस पहाड़ पर सिर्फ एक ही पेड़ है। इस वजह से इसे ‘वन ट्री हिल’ कहा जाता है। ट्रेकर्स के लिए यहां बेहतरीन ढलान है।
खंडाला प्वांइट:
‘खंडाला प्वांइट’ देखने का मजा बारिश के दिनों में आता है। उन दिनों में यहां हरियाली और वाटर फाल्स का मजा लिया जा सकता है।
प्रबल फोर्ट:
लुइस पॉइंट से एक ऐतिहासिक किले ‘प्रबल किला’ को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह भी एक प्रसिद्ध स्थल है। वर्तमान में यह किला खंडहर बन चुका है परंतु अपने जमाने की यह एक मजबूत राजसी संरचना थी।
चारलोट झील:
आराम करने के लिए यह एक सबसे उत्तम स्थान है। यहां आप पक्षियों को चहचहाते देख सकते हैं, किसी प्रिय व्यक्ति के साथ किनारे पर शांत चल सकते हैं या उद्यान में अपने बच्चों के साथ समय व्यतीत कर सकते हैं।
पिसारनाथ के ग्रामीण मंदिर:
चारलोट झील पर रहते हुए पिसारनाथ के ग्रामीण मंदिर को देखना न भूलें। मोरबे बांध पानी से संबंधित एक अन्य पर्यटन स्थल है, जिसे देखना भूलना नहीं चाहिए।
हार्ट पॉइंट (प्वाइंट):
मुंबई के रात्रि जीवन से आने वाले विभिन्न रंगों के प्रकाश का एक मोहक दृश्य ‘हार्ट पॉइंट’ प्रस्तुत करता है।
कैसे पहुंचें:
माथेरान मुंबई से सौ किलोमीटर और पुणे से 120 किलोमीटर दूर है। यही दोनों सबसे पास के हवाई अड्डे हैं। पुणे-मुंबई रेल लाइन पर नेरल स्टेशन से माथेरान के लिए छोटी लाइन की गाड़ी चलती है। वर्ष 2007 में इस गाड़ी ने अपने सौ साल पूरे किए थे।
माथेरान सचमुच बहुत करीब है। लोखंडवाला से अंधेरी स्टेशन महज 20 मिनट, अंधेरी से दादर 25 मिनट, दादर से नेरल कोई डेढ़ घंटा और फिर वहां से छुक-छुक खिलौना रेल में 2 घंटे, यानि कुल मिला कर 5 घंटे में आप आराम से माथेरान पहुंच सकते हैं।
कब जाएं:
छोटे से शहर में पूरे साल पर्यटकों का तांता लगा रहता है। घाटियों में फैला कोहरा, हवा में तैरते बादल, भीगा-भीगा मौसम एक अलग ही समां पैदा करता है। जून से अगस्त तक का समय छोड़कर माथेरान साल में कभी भी जाया जा सकता है। अप्रैल-मई में वहां की ठंडी आबो-हवा का मजा लिया जा सकता है तो मानसून के बाद वहां की हरियाली का। तब वहां के सारे झरने व झीलें भी लबालब हो जाते हैं।