control anger -sachi shiksha hindi

गुस्से पर काबू पाना जरूरी है

गुस्सा प्राकृतिक भावनाओं को बाहर निकालने का एक साधन है पर अधिक गुस्सा दूसरे को हम से दूर तो कर ही देता है और अपने को कितना नुक्सान पहुंचाता है, इसके बारे में हम नहीं जान पाते। गुस्से से चेहरे के हाव भाव बिगड़ते हैं। धीरे-धीरे उसका प्रभाव हमारे चेहरे पर दिखाई देने लगता है। मन अशांत रहता है, काम में मन नहीं लगता, रात्रि में नींद नहीं आती, मन हमेशा निगेटिव सोचता है, तनाव बना रहता है। इतने नुक्सान होते हैं गुस्से के तो हम गुस्सा क्यों करते हैं? यदि इस पर विचार किया जाए तो कुछ टिप्स हमें स्वयं ही मिल जाएंगी।

लगातार गुस्से के कारण आपके संबंध सभी से बिगड़ने लगते हैं जिससे आपकी पब्लिक इमेज खराब होती है, काम बिगड़ते हैं और कार्यक्षमता पर भी इसका प्रभाव पड़ता है, ऐसा कहना है एक विशेषज्ञ का। ऐसे में लोग धूम्रपान सेवन या शराब की ओर अपना ध्यान ले जाते हैं जिससे शरीर को डबल नुक्सान होता है।

गुस्सा आने के भी कई कारण हैं। कुछ लोग स्वभाव से क्र ोधी होते हैं। सोचते बाद में हैं, पहले रिएक्ट करते हैं, कुछ परिस्थितियों के सामने अपने मन मुताबिक कुछ नहीं कर पाते तो उन्हें क्र ोध आता है। कुछ लोग दूसरों को आगे बढ़ता देख मन ही मन ईर्ष्या करते हैं और स्वभाव क्र ोधी हो जाता है। कई बार दूसरे लोग आपको इतना इरिटेट करते हैं जिससे आप अपना आपा खो बैठते हैं।

कई बार कुछ और बातों का गुस्सा या तनाव आप अपने अंदर दबाए होते हैं और अचानक आप गुस्सा दूसरे पर निकाल देते हैं। कभी-कभी आप मेहनत करते हैं, उसका लाभ दूसरे उठा लेते हैं, तब भी आप को गुस्सा आता है। कई बार आप अपनी बात ठीक तरीके से सामने नहीं रख पाते और दूसरा आपको गलत समझता है, तब भी गुस्सा आता है। परिवार में उचित मान सम्मान न मिलने के कारण, उम्मीद पूरी न होने पर, अधिक काम करने पर और शारीरिक मजबूरियां होने पर भी गुस्सा आ सकता है।

इस तरह के गुस्से को निकालने के सामान्यत: तीन तरीके होते हैं, गुस्से को मन में दबा लेना, एक दम भड़क कर गुस्सा निकालना या गुस्से को किसी रूप में स्थानांतरित करना। पहले प्रकार के गुस्से में आप सामने वाले व्यक्ति को तो कोई नुक्सान नहीं पहुंचाते पर आपके मन में उसके प्रति नफरत होती रहती है और आप मन ही मन उसे दबाते रहते हैं जबकि सामने वाला जानता ही नहीं कि आप ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं।

इसका अर्थ है आपको गुस्सा निकालना नहीं आता और अपने आपको दूसरे के सामने एक्सप्रेस करना भी नहीं आता। कभी-कभी आप इसलिए भी गुस्सा पी जाते हैं क्योंकि गुस्सा दिलाने वाला या आपका बॉस है या परिवार का कोई बुजुर्ग। आप उसके सामने गुस्से जैसी घिनौनी हरकत नहीं कर सकते। मन में गुस्सा दबाने वाले लोग बाद में तनाव में रहते हैं और डिप्रेस हो जाते हैं।

वैसे तो गुस्से में भड़कना एक इन्सान में आम आदत नहीं होती पर कभी-कभी जब परिस्थितियां अनियंत्रित होती हैं तो वो अपना गुस्सा एकदम चिल्लाकर निकाल देता है। जब आप गुस्से से चिल्लाते हैं तो आप उस समय यह नहीं सोचते कि आप कहां हैं, आपके सामने कौन है, आप उस समय अनियंत्रित होते हैं।

ऐसे लोग अक्सर कम सहनशील होते हैं, बहुत जल्दी इरीटेट हो जाते हैं, थोड़ी सी परेशानी से परेशान हो जाते हैं चाहे वो टैÑफिक जैम हो, लाइट चली जाए या कोई इलैक्ट्रोनिक गैजेट् तब खराब हो जाए जब उसकी आवश्यकता हो, अपनी डेडलाइन पूरी न हो आदि। वैसे ऐसे लोग जीवन में उच्च महत्त्वाकांक्षी होते हैं, हर काम में परफेक्ट होते हैं, ऊंची अपेक्षाएं रखने वाले होते हैं। ऐसे लोग कई बार अपना नुक्सान अधिक उठाते हैं और सामने वाले को भी नुक्सान पहुंचाते हैं।
गुस्से को ऐसे काबू करें

अपनी ऊर्जा को पॉजिटिव खर्च करें जैसे खेलकर, व्यायाम करके और अपनी रुचियों को आगे बढ़ाकर।
व्यायाम के साथ प्रात: 10 मिनट तक ब्रीदिंग व्यायाम भी करें। इससे नकारात्मक सोच बाहर निकलती है और सकारात्मक सोच अंदर जाती है। चाहें तो इसे आप ड्राइविंग करते समय, सैर करते समय, सफर करते समय भी कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ब्रीदिंग व्यायाम से आपका नर्वस सिस्टम सुचारू होता है।

तो जैसे ही किसी बात पर गुस्सा आये, सोचें कि क्या यह मेरे बस में है नहीं तो फिर गुस्सा क्यों उसे ईजÞी लें सोचें कि सब ठीक हो जाएगा। कुछ ही देर में आप शांत हो जायेंगे।

गुस्सा आने का कारण पता हो तो उसे लिख लें, फिर विचार करें कि क्या मैं ठीक था या गलत। कभी-कभी गुस्सा ऐसे व्यक्ति पर आता है जो आपके सामने नहीं है। ऐसे में अनुमान करें कि वो आपके सामने है और आप भी अकेले हैं। ऐसे में अपना गुस्सा बोलकर निकाल दें।

एक थॉट डायरी बनायें जिसमें रात को नोट करें कि आज मुझे किन बातों पर गुस्सा आया, कितने समय तक गुस्सा रहा और गुस्सा दिलाने वाला तत्व क्या था। इस प्रकार उसे पढेÞंगे तो अहसास होगा कि मैं इसमें कहां स्टैंड करता हूं, गुस्सा कितनी देर में आता है, कितनी बार आता है। धीरे-धीरे गुस्से की मात्रा कम होती जाएगी।

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