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रस्सी कूदना वजन घटाए,लंबाई बढ़ाए

व्यायाम प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। सुबह-सवेरे एक घंटा व शाम को एक घंटा व्यायाम किया जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। इसी तरह रस्सी कूदना भी एक अच्छा व्यायाम है।

रस्सी कूदने से वजन कम किया जाता है, पेट की चर्बी घटाई जा सकती है और शरीर की लंबाई भी बढ़ाई जा सकती है। रस्सी कूद एक कम्पलीट एक्सरसाइज है। रस्सी कूदने से हाथ-पैर की मसल्स मजबूत होती हैं और कैलोरीज खर्च होती हैं, जिससे वजन कम होता है। इसलिए यदि नियमित रूप से रस्सी कूदने का व्यायाम किया जाए तो शरीर को बहुत फायदा होता है।

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तो आइये जानते हैं रस्सी कूदने का सही तरीका, सही समय, नियम, फायदे:-

रस्सी कूदने के फायदे:-

  • 10 मिनट तक रस्सी कूदना 8 मिनट तक दौड़ने के बराबर होता है। एक मिनट तक रस्सी कूदने से 10 से 16 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है।
  • रस्सी कूदने में शरीर के लगभग सभी अंगों का प्रयोग हो जाता है। इसमें आपके पैर, पेट की मसल्स, कंधे और कलाइयां, हार्ट और अंदर के अंगों का भी व्यायाम होता है।
  • रस्सी कूदने से हड्डियों की बनावट में घनापन आता है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। रस्सी कूदने में लय, रणनीति और सही संचालन तीनों की जरुरत होती है, इसलिए ये दिमाग के लिए भी एक बढ़िया एक्सरसाइज है।
  • रस्सी कूदने से वजन कम करने में काफी मदद मिलती है। अगर हर रोज केवल एक एक्सरसाइज मतलब सिर्फ रस्सी कूद ही 20 मिनट तक किया जाए, तो एक हफ्ते तक लगातार कूदने से 500 ग्राम तक वजन कम किया जा सकता है। इसलिए वजन कम करने, शरीर और पेट की चर्बी कम करने लिए रस्सी कूदने को अपने एक्सरसाइज रूटीन में शामिल करना चाहिए।
  • रस्सी कूदने से लम्बाई बढ़ती है। रस्सी कूद से रीढ़ की हड्डी, पीठ, पैर की काफी मसलस स्ट्रेच होती हैं और कुछ नयी मसल्स भी बनती हैं। रस्सी कूदने से हड्डी का बोन मास भी बढ़ता है। इन दोनों वजह से नियमित रस्सी कूदने से 3 से 6 महीने में हाइट बढ़ सकती है।
  • रस्सी कूदने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, फेफड़े मजबूत होते हैं, चेहरे पर चमक आती है। रस्सी कूदने से स्टेमिना भी बढ़ता है और अनियंत्रित हार्ट रेट ठीक होती है।
  • रस्सी कूदना रक्तसंचार तेज करता है, जिससे त्वचा को न्यूट्रीशन मिलता है और शरीर के विषैले तत्व पसीने से बाहर निकल जाते हैं।
  • रस्सी कूदने का एक बड़ा फायदा है कि यह हार्मोन बैलेंस करने का काम करता है, जिससे टेंशन और डिप्रेशन से मुक्ति मिलती है।
  • दौड़ने की बजाय रस्सी कूदने का एक बड़ा फायदा यह है कि इससे आपके घुटनों पर बुरा असर नहीं पड़ता। क्योंकि कूदने से लगने वाले झटके पूरे पैर में बंट जाता है और घुटनों पर सीधा जोर नहीं पड़ता।
  • मुक्केबाजो को आपने रस्सी कूदते जरूर देखा होगा। इसका कारण है कि रस्सी कूदने से शरीर की बैलेंसिंग इम्प्रूव होती है और पैरों के मूवमेंट में फुर्ती और कंट्रोल बढ़ता है, जोकि बॉक्सिंग में बहुत काम देता है।
  • पहले दिन रस्सी कूदने के बाद हो सकता है कि आपके पैरों और जांघों में दर्द और जकड़न हो। इसका कारण लम्बे समय से सुस्त पड़ी मसल्स हैं। थोड़ा-थोड़ा करके रस्सी कूदने की संख्या और समय बढ़ाइये, कुछ ही दिनों में आपके पैरों और शरीर के निचले भाग की मसल्स मजबूत नजर आने लगेंगी।

रस्सी कूदने के नियम व सही तरीका:-

  • रस्सी कूदने का सही समय सुबह के समय या शाम 5-7 बजे है।
  • अगर आपको रस्सी कूदने का अभ्यास नहीं है या आपने पहले कभी रस्सी नहीं कूदा है, तो शुरूआत कम गिनती से करें।
  • एक दिन में 30-50 बार रस्सी कूदने से शुरू करें। कुछ दिन के बाद जब यह आपके लिए आसान हो जाये तो 75-100 बार रस्सी कूदें। धीरे-धीरे एक दिन में 300 बार तक रस्सी कूदना कर सकते हैं।
  • दूसरा तरीका ये है कि शुरू में रोजाना 3-4 मिनट कूदने से स्टार्ट करें, फिर धीरे-धीरे डेढ़-दो महीने में कूदने का समय 15-25 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
  • ध्यान दें कि रस्सी कूदते समय जब सांस फूलने लगे, तो रस्सी कूदना बंद कर दें। 1-2 मिनट का ब्रेक लें, खुद को रिलैक्स करके फिर स्टार्ट करें।
  • एक स्पीड में रस्सी कूदें, जिससे हार्ट रेट एक-सी बनी रहे।
  • रस्सी कूदते हुए और कूदने के तुरंत बाद पानी न पियें। अगर पीना ही पड़ें तो 1-2 घूंट से ज्यादा न पियें।
  • कूदने की रस्सी बहुत लम्बी न हो, नहीं तो वो जमीन से टकराकर उलझ सकती है और बहुत छोटी भी न हो, क्योंकि फिर वो पैरों में फंस सकती है।
  • रस्सी की लंबाई अपनी लंबाई से कम से कम 3 फुट अधिक होनी चाहिए।

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