Modern kitchen -sachi shiksha hindi

आधुनिक किचन-आराम भी, आफत भी

आधुनिकता एवं मशीनीकरण ने किचन में जबरदस्त रूप से घुसपैठ की है। इसने रसोईघर के हर काम को आसान बना दिया है। इसने रसोईघर की स्वामिनी के काम को सरल बनाकर बहुत आराम दिया है किन्तु इस आधुनिकता एवं मशीनीकरण के अपने भी खतरे हैं। किचन में मशीनों की शृंखला बर्तनों जैसी सजी रहती है। अधिकतर बिजली से चलती हैं और खड़े-खड़े उपयोग की जाती हैं।

किचन की मशीनें

ग्रिल, माइक्र ोवेव, हाट प्लेट, इंडक्शन प्लेट, ओवन, मिक्सी, फूड प्रोसेसर, फ्रिज, बर्तन धोने की मशीन, गेहूँ पीसने की मशीन, हीटर आदि।

पैकेट बंद वस्तुएं

किचन में प्रयुक्त हर वस्तु को बाजारवाद ने अपनी चपेट में लिया है और इन्हें तैयार कर पैकेट बंद कर दिया है। ये सभी चीजें इंस्टेंट व रेडी टू प्रिपेयर जैसे संबोधनों के साथ मिलती हैं। मिर्च-मसालों का पाउडर सभी पैकेट बंद मिल जाते हैं। सब्जियां कटी कटाई मिल जाती हैं जबकि ग्रैवी, सूप, चटनियां, अचार, पापड़, शरबत, जैम, जैली आदि सभी डिब्बाबंद, पैकेट बंद या रेडी टू यूज मिलने लगी हैं। अब तो प्रोसेस्ड फूड मिलता है। इन सबने मिलकर किचन स्वामिनी को महारानी बना दिया है। ये सभी चीजें आधुनिक रसोईघरों में वहां के प्लेटफार्म एवं पारदर्शी अलमारियों में सजी-सजाई मिल जाती हैं। यही तो माडर्न किचन की पहचान है।

आधुनिक रसोई घर से लाभ

इसकी मशीन व सुविधाओं ने महिलाओं के हर काम को सरल बना दिया है। इसमें तेजी ला दी है। किचन के काम के लिए उसे अब उठक-बैठक या भागदौड़ नहीं करनी पड़ती। सब किचन में खड़े-खड़े उसके प्लेटफार्म पर फटाफट तैयार हो जाता है। काम आसान, झंझट खत्म और आराम ही आराम। है ना कितनी खुशी की बात। आधुनिकता और मशीनीकरण यही तो चाहता है।

माडर्न किचन की मुश्किलें

  • हर चीज की अपनी मुश्किलें होती हैं। सभी आधुनिकता व मशीनों के अपने खतरे भी होते हैं। लिहाजा माडर्न किचन से मुश्किलें भी हैं जो इस प्रकार हैं।
  • सभी मशीनें बिजली से चलती हैं। बिजली का खतरा अपनी जगह है। यह बिजली बंद होने या मशीन खराब होने पर किचन को पंगु बना देती हैं।
  • किचन में मशीनों का शोर बढ़ गया है।
  • पैकेटबंद एवं डिब्बाबंद या प्रोसेस्ड फूड में उन्हें सुरक्षित रखने के लिए जो रसायन मिला होता है, वह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है।
  • फ्रिज में रखी चीजें बेस्वाद होती हैं।
  • गैस चूल्हे में पकी रोटी में गैस की मात्र होती है।
  • तैयार मसाला पाउडर या मिक्सी एवं फूड प्रोसेसर से तैयार चीजें ज्यादा महीन होती हैं जो पेट व पाचन की समस्या खड़ी करती हैं।
  • नए जमाने के चूल्हों में ज्यादा पकने के कारण चीजों की पौष्टिकता समाप्त हो जाती है। इनका जल तत्व कम हो जाता है।
  • किचन का सभी काम अब खड़े होकर किया जाता है जिसने उठक-बैठक, भाग-दौड़ कम कर उपयोगकर्ता को श्रम शून्य व निठल्ला बना दिया है। उपयोगकर्ता मशीन के भरोसे हो गया है। किचन में लगातार खड़े रहने से पैर की नसें मोटी हो जाती हैं। इनमें सूजन रहती है। घुटनों में दर्द होने लगता है। पीठ अकड़ने लगती है।
  • हमारा उद्देश्य आधुनिकता व मशीनों के उपयोग से आपको रोकना नहीं अपितु उसके खतरे से आपको अवगत कराना है। चाहें तो महिलाएं इसका हल स्वयं निकाल सकती हैं। किचन में ज्यादा शोर न हो। किचन हवादार हो। मशीनों पर ज्यादा आश्रित न हों। कुछ काम अपने हाथों से कीजिए। ज्यादा खड़े होने से बचिए।
  • मसाला, आटा ज्यादा महीन न हो। इंस्टेंट, रेडी टू इट, रेडी टू यूज, प्रोसेस्ड फूड जैसे आयटमों से बचें। ताजा बना भोजन खाएं। फ्रिज का उपयोग सीमित करें। किसी भी मशीन को काम में लाने से पूर्व उसके खतरे को जान जाइए।

कुछ श्रम, व्यायाम कर शरीर को चुस्त-दुरूस्त रखिए। हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ, सेहतमंद व सुखी रखना है। -सीतेश कुमार द्विवेदी

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