MSG Bhandara Jaipur Rajasthan -sachi shiksha hindi

पावन एमएसजी भण्डारा जयपुर, राजस्थान 80 एकड़ में बने 7 पंडाल भी संगत के प्रेम के आगे पड़े बौने

  • लाखों लोगों ने नशा छोड़ने का लिया संकल्प
  • पूज्य गुरु जी ने ठेठ राजस्थानी में गाया ‘प्यारा, प्यारा, म्हारा गरु जी…’ भजन

स्वच्छता की सौगात पाने वाली देश की गुलाबी नगरी जयपुर 5 फरवरी को रूहानियत से झमाझम हुई। श्रद्धा के समंदर में नहाता यह शहर प्रभु भक्ति की नई बानगी पेश कर रहा था। इस रूहानी एमएसजी भंडारे में संगत का इकट्ठ इस कदर था कि करीब 80 एकड़ भूमि में बनाए गए 7 सत्संग पंडाल भी बौने पड़ गए। भंडारे के दौरान राजस्थानी संस्कृति की झलक भी खूब दिखाई दी। स्वयं पूज्य गुरु जी ने राजस्थानी भाषा में शब्द गाया, जिसे सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो गए।

वहीं पूज्य गुरु जी के स्वागत में राजस्थानी गीत ‘शाह सतनाम जी प्यारा म्हारी गली में आया’ ने भी सबका दिल जीत लिया। इस दौरान लोक संस्कृति को संजीवनी देते गीतों में कठपुतली जैसे नृत्य आकर्षण का खास केन्द्र रहे। पूज्य गुरु जी ने सत्संग के दौरान नशा व बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को खत्म करने का आह्वान किया तो कार्यक्रम में पहुंचे लाखों लोगों ने डेरा सच्चा सौदा की शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए एक साथ नशे जैसी तमाम बुरी आदतों को छोड़ने का संकल्प लिया। भंडारे में मट्ठियों व गुलगुलों का प्रसाद वितरित किया गया।

जानकारी अनुसार, पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने राजस्थान के लिए एमएसजी महा रहमोकर्म माह के तौर पर पावन एमएमजी भंडारा मंजूर किया था। भंडारे के मद्देनजर प्रबंधक समिति सदस्यों ने व्यापक स्तर पर तैयारियां की। भंडारे में होने वाले संभावित इकट्ठ को लेकर जयपुर शहर में अलग-अलग 7 जगहों स्टैचू सर्किल, हाऊसिंग बोर्ड ग्राऊंड, शिप्रा पथ थाने के सामने, मानसरोवर, विद्याधरनगर स्टेडियम, सांगानेर पुलिया के नजदीक रेलवे स्टेशन, रूह-ए-सुख आश्रम, दौलतपुरा, सांगानेर स्टेडियम व चोखी ढानी के नजदीक, बीलवा में पंडाल बनाए गए थे।

अनुमान है कि करीब 80-85 लाख की संख्या में साध-संगत पहुंची थी, जिसके चलते सारे इंतजामात छोटे पड़ गए। पंडाल खचाखच भर चुके थे, जिसके बाद सड़कों पर वाहनों की कतारें लगी रही। संगत का यह इकट्ठ बखूबी दर्शा रहा था कि डेरा सच्चा सौदा के प्रेमियों का आज भी कोई सानी नहीं है। यह भंडारा नशे से बदहाल लाखों लोगों के लिए तन्दरुस्ती व खुशहाली की सौगात लेकर आया। भंडारे के शुभ अवसर पर पूज्य गुुरु जी ने लाखों लोगों को नाम-शब्द, गुरुमंत्र की दात देकर उन्हें नशों से मुक्त जिन्दगी जीने का प्रण करवाया। सत्संग में अमृतमई वचनों से प्रभावित होकर पंडाल में ही बड़ी संख्या में दुकानदार लोगों ने भविष्य में अपनी दुकान पर बीड़ी, सीगरेट जैसे तम्बाकू जनित वस्तुएं न बेचने का प्रण लिया।

पावन भंडारे पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने देश में चिट्टा, स्मैक व शराब सहित घातक नशों के पसरने से मर रही युवा पीढ़ी की दुर्दशा का जिक्र करते हुए युवाओं को नशे के कोढ़ से बचने के लिए राम, अल्लाह, वाहेगुरु के नाम सुमिरन, अच्छी खुराक व जागरूकता का सहारा लेने का आह्वान किया। आप जी ने नशा तस्करी जैसे मामलों में लिप्त लोगों से अपील की कि नशे का काला कारोबार करने वालों को नशा बेचना छोड़कर अच्छा कारोबार करना चाहिए। इसी दौरान कई युवाओं ने खड़े होकर नशों से बर्बाद हुए अपने जीवन की दास्तां भी सुनाई।

हमें मान-बढ़ाई की चाह नहीं, समाज का भला करना ही मकसद

राजस्थान के पावन एमएसजी भंडारे पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा यूपी से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से फरमाया कि हमें एक ही बात चाहिए कि पूरे समाज में प्यार-मोहब्बत की गंगा बहे। सबकी काया निरोगी हो, ताकि राम, ओउम्, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, खुदा, रब्ब से जुड़कर हर कोई तमाम उस परमानंद को पा सके, जो हमारे पवित्र धर्मों में, सभी पवित्र ग्रन्थों में लिखा हुआ है। इलाके में हमारा घर बड़ा था तो लोगों ने हमसे बहुत कहा कि आप सरपंच बन जाओ।

हमने कहा कि हमारा इन चीजों से कोई वास्ता नहीं। क्योंकि पांच साल की उम्र में ही गुरु जी से जुड़ गए थे। फिर धीरे-धीरे कुछ लोगों ने ये भी कहा कि आप एमएलए या एमपी की कोई टिकट ले लो। तो हमने उनसे भी हाथ जोड़े और कहा कि हमारा इंटरेस्ट सिर्फ ओउम् में है, उस भगवान में है, अल्लाह, वाहेगुरु, खुदा, गॉड, राम में है, उसकी याद में है। और भला करना हमारी फितरत थी, क्योंकि हमारे फादर साहब भी लोगों का भला करते थे, नैच्युरली गुरु जी से जुड़े थे… तो गुरु जी को देखकर तो कहना ही क्या, उनकी तो कोई तुलना हो ही नहीं सकती।

तो उन्होंने जो शिक्षा दी उसके अनुसार वहां पर भला करते रहे। हमें मान-बड़ाई की कभी चाह नहीं रही। हमारा बस एक ही मकसद समाज का भला करना है। हर धर्म, मजहब, जात के लोग अपने-अपने धर्म को मानें, ऊँच-नीच का भेदभाव मिट जाए, हर कोई प्यार से रहे, कोई नफरत ना करे, कोई झगड़ा ना करे, बस ये मालिक से हमेशा यही दुआएं करते रहते हैं।

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