कीटनाशक सबके लिए काल Pesticides for All
कृषि, डिब्बाबंद प्रोसेस्ड फूड एवं सभी पैक्ड ड्रिंक्स में उन्हें सुरक्षित बनाने हेतु अंधाधुंध कीटनाशकों का उपयोग बढ़ गया है। परिणाम स्वरुप सभी खाद्य एवं पेय पदार्थों में कीटनाशकों की उपस्थिति बढ़ गई है और मनुष्य सहित अन्यान्य जीव-जन्तुओं की असामयिक जानें जा रही हैं। वर्तमान समय में हमारे सामने कोई भी ऐसा खाद्य या पेय पदार्थ मौजूद नहीं है जो कीटनाशकों के प्रभाव से बच पाया हो।
वनस्पति जगत से लेकर जीव-जगत तक सभी का आपसी जीवन संबंध सधा-बधा है। धरती पर उपस्थित सभी पेड़-पौधों से जीव-जगत का संबंध है। इनका आपसी सह अस्तित्व है। सभी पेड़, पौधों, फल-फूलों, बीज में कीट पनपते हैं। कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में ऐसे कीटों के सफाए के लिए बाजार में अनेक प्रकार के तेज व घातक कीटनाशक मिलते हैं जिनका किसान अधिकाधिक उपयोग करने लगे हैं जिसके चलते सभी उत्पादित खाद्य वस्तुओं में कीटनाशक स्वयंमेव पाये जाने लगे हैं। इनके उत्पादन के बाद भी इनके भण्डारण एवं विपणन के दौरान इसमें कीटनाशक डाला जा रहा है।
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लगभग सभी खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, फल, फूल, सब्जी में कीटनाशक डले हैं, अतएव कीटनाशक डले ऐसे किसी भी खाद्य पदार्थ का उपयोग सीधे तौर पर करना खतरों से भरा है। डिब्बाबंद सभी प्रोसेस्ड फूड में एवं पेय पदार्थों में निर्माता उसके उत्पादन के दौरान उसे टिकाऊ बनाने हेतु कुछ न कुछ मात्र में कीटनाशक मिलते है। इन्हीं कीटनाशक की मौजूदगी उन्हें उपयोग तक कीड़ों से बचाकर रखती है। परिणामत: कोई भी प्रोसेस्ड फूड या ड्रिंक्स उपयोग करते हैं तब तक उसमें कीटनाशक प्रभावी रहते हैं। हम प्रोसेस्ड फूड के साथ उसमें मिली इस कीटनाशी दवा को भी खाते हैं। पेय पदार्थ पीते समय उसमें मौजूद कीटनाशी को भी पीते हैं।
स्थिति आज यह है कि जो भी प्रोसेस्ड फूड एवं ड्रिंक्स हमारे सामने हैं, उनमें कीटनाशी घातक रसायन मिला है जिसे हम बेधड़क उपयोग करते हैं। मिनरल वाटर में भी यह कीटनाशक रसायन मिलाया जाता है। कृषि उत्पाद चारे को खाने से दूध देने वाली गायों एवं भैंसों के दूध में भी कीटनाशक की मात्र मिल रही है। बिना धुले फल-फूल, सब्जी खाने वाली प्रसूता के दूध में कीटनाशकों की मामूली मात्रा मौजूद रहती है जो स्तनपान करने वाले शिशु को इसके माध्यम से मिल जाती है।
खेतों व बागों में डला कीटनाशक वर्षा के दौरान जल में घुलकर बह कर नदी, तालाब, समुद्र या समस्त जल स्रोतों एवं जल भण्डारों में पहुंच रहा है। इस कीटनाशक की अधिकता ने सब कुछ गड्ड-मड्ड कर दिया है। कृषि मित्र व कृषि रक्षक जीव मारे जा रहे हैं। कछुआ, केकड़ा, मेंढक, सांप, तितली, पक्षी, पतंगे, नेवले, सियार, सब एक-एक कर मरते व गायब होते जा रहे हैं। खेतों व बागों में इन कृषि मित्रों के दर्शन दुर्लभ होते जा रहे हैं। नदी, तालाबों की मछलियों की कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं।
नदी-तालाबों के पानी को स्वच्छ रखने वाले शैवाल, सीपी, घोंघे अब बहुत कम हो गए हैं। हर जगह इस कीटनाशकों का दुष्प्रभाव दिख रहा है। कीटनाशकों की अधिकता सबको नानाविध रोग से कमजोर कर रही है और सबको असमय काल कवलित कर रही है। कृषि बागवानी के क्षेत्र में इसके उपयोग में कमी एवं वैकल्पिक प्राकृतिक कीटनाशकों को बढ़ावा देना जरूरी हो गया है। साथ ही सरकार द्वारा प्रोसेस्ड फूड एवं ड्रिंक्स में कीटनाशकों की मात्र को कम या निर्धारित किया जाना जरूरी हो गया है।
आमजन को भी इस दिशा में स्वयं सावधानी बरतनी चाहिए। सभी अनाज, दलहन, तिलहन, फल, फूल, सब्जी को धोकर उपयोग करना चाहिए। इन्हें बहते पानी की धार के नीचे धोने से इनकी ऊपरी परत पर मौजूद कीटनाशक पानी में धुलकर साफ हो जाएंगे। डिब्बाबंद प्रोसेस्ड फूड एवं ड्रिंक्स का उपयोग न्यून कर देना चाहिए।
मिनरल वाटर के स्थान पर परंपरागत पद्धति या फिल्टर किए पानी का उपयोग करना चाहिए। यदि किसी खाद्य पदार्थ को सादे या नमक घोल वाले पानी में धोकर भाप से या अन्य तरीके से पकाया जाता है तो उसमें मौजूद कीटनाशक 50 से 60 प्रतिशत कम हो जाते हैं। स्वयं सावधानी बरतना बहुत सीमा तक मद्दगार सिद्ध होगा।