Editorial - sachi shiksha hindi

अनमोल है वर्षा जल -सम्पादकीय

दुनिया की आबादी का 17.5 फीसदी हिस्सा भारत में रहता है, लेकिन यहां धरती के ताजे पानी के स्रोत का केवल 4 फीसदी ही है। वर्ल्ड रीसोर्सेस इंस्टीट्यूट में भारतीय शहरी जल कार्यक्रम के निदेशक अनुसार लोग एयर कंडीशनर, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे उपकरण अधिक खरीद रहे हैं।

देश में बिजली की कुल जरूरत का 65 फीसदी से अधिक थर्मल पावर प्लांट से आता है और इनमें पानी का अधिक इस्तेमाल होता है और अगर बिजली का इस्तेमाल ज्यादा होगा, तो इसके उत्पादन के लिए पानी की मांग भी उतनी ही बढ़ेगी। इसके अलावा शहरीकरण का बढ़ता दायरा और बारिश के पानी का बर्बाद होना भी बड़ी समस्या है। देश में पीने के पानी की जरूरत का 85 फीसदी भूजल से पूरा होता है। ऐसे में जल संकट का खतरा पैदा हो रहा है।

वर्तमान में घर, कृषि और व्यापार के क्षेत्र में पानी का अत्यधिक उपयोग हो रहा है। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक बोरवेल स्थापित हो जाने से भूजलस्तर कम होने लगा है और कई जगहों को तो डार्क जोन तक घोषित करना पड़ा है। ऐसे में पानी को संरक्षित यानि कि जल संरक्षण के विषय में जल्द से जल्द सोचना होगा, क्योंकि जल ही जीवन है।

आज ना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में बोरवेल, बल्कि शहरी क्षेत्रों में कई बड़े कल-कारखानों में पानी का उपयोग होने के कारण भी पानी की किल्लत होने लगी है। ऐसे में घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए वर्षा जल को संरक्षित करना सबसे सरल और महत्वपूर्ण तरीका है। जुलाई महीने में मानसून पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली सहित पूरे देश में पूर्णत: सक्रिय मोड में होता है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखते हुए वर्षा के अनमोल जल को संरक्षित किया जा सकता है।

वर्षा जल संचयन यानि रेन वाटर हारवेस्टिंग के लिए वर्षा के पानी को एक निर्धारित स्थान जैसे मकान की छत, घर का आंगन इत्यादि पर जमा करके उसका संचयन कर सकते हैं। इस दौरान यह भी ध्यान रखने योग्य है कि उसे संचित जल को स्वच्छ बनाना बरकरार रखने के लिए भी कुछ उपाय करने होते हैं। हालांकि वर्षा-जल संचयन कोई आधुनिक तकनीक नहीं है, यह वर्षों पूर्व से ही चल रहा है, लेकिन धीरे-धीरे नई टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ने के चलते इस ओर ध्यान कम होने लगा है। संचयन वर्षा-जल को हम व्यावसायिक और साथ ही घरेलू उपयोग में भी ला सकते हैं।

जिन क्षेत्रों में औसतन बारिश कम होती है, उनमें वर्षा-जल को कुओं, नदी, तालाबों में जमा करके रखा जा सकता है, जो बाद में पानी की कमी को दूर कर सकता है। वहीं आप छत पर गिरने वाले बारिश के पानी को संचय करके रख सकते हैं। ऐसे में ऊंचाई पर खुली टंकियों का उपयोग भी किया जा सकता है।

बड़े बांध के माध्यम से वर्षा जल को बड़े पैमाने में रोका जाता है, जिन्हें गर्मी के महीनों में या पानी की कमी होने पर कृषि, बिजली उत्पादन और नालियों के माध्यम से घरेलू उपयोग में भी इस्तेमाल में लाया जाता है। यही नहीं, भूमि के अंदर भी पानी को संरक्षित रख सकते हैं। इस प्रक्रिया में वर्षा-जल को एक भूमिगत गड्ढे में भर दिया जाता है। यह तरीका बहुत ही मददगार साबित हुआ है, क्योंकि मिट्टी के अंदर का पानी आसानी से नहीं सूखता है और उसे लंबे समय तक उपयोग में ला सकते हैं। दिनोंदिन गहराते जल संकट के बीच इसके संचय के नए तौर-तरीकों पर गहन विचार करना होगा।
-सम्पादक

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