Editorial -sachishiksha

परोपकारों की मिसाल हैं पूज्य गुरु जी -सम्पादकीय

संतों का पवित्र जीवन दुनिया के लिए एक उदाहरण सिद्ध होता है। ईश्वर स्वरूप संत-सतगुरु का एकमात्र उद्देश्य जीव सृष्टि का भला करना है और इसी उद्देश्य को लेकर वे संसार पर आते हैं। उनका पूरा जीवन समाज व मानवता के प्रति समर्पित होता है। वे सच के प्रहरी होते हैं और दूसरों के लिए भी प्रेरणादायक बनते हैं। तात्पर्य कि पूर्ण संतजन परोपकारी होते हैं। अपनी परोपकारी भावना से वे बिना किसी भेदभाव से अपने परोपकारों की वर्षा सृष्टि के हर प्राणी पर बरसाते हैं। वे अपने मन, वचन और कर्म एवं हर यत्न से सृष्टि का भला करते हैं।

पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने सन् 1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना करके रूहानियत के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। आप जी ने 1960 तक दुनिया में सच का डंका बजाया, दुनिया को उस असल सच अल्लाह, राम, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब से रूबरू करवाया। अपने इस परोपकारी कर्म को निरविघ्न जारी रखते हुए आप जी ने 28 फरवरी 1960 को पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को डेरा सच्चा सौदा में बतौर दूसरे पातशाह गद्दीनशीन किया।

पूजनीय परमपिता जी ने 1991 तक 30-31 वर्षों में 11 लाख से भी ज्यादा लोगों को गुरुमंत्र, नाम-शब्द देकर हर तरह की बुराइयों से उन्हें मुक्त किया और सतलोक, सचखंड का अधिकारी बनाया। कुल मालिक का यह परोपकारी करम आदि-जुगादि से निरंतर चलता आ रहा है। पूजनीय परमपिता जी ने सच्चा सौदा की इस पवित्र परम्परा को निरंतर आगे चलाने के लिए 23 सितम्बर 1990 को पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को बतौर तीसरे पातशाह गद्दीनशीन किया।

23 सितम्बर पूज्य मौजूदा गुरु हजूर पिता जी का पावन गद्दीनशीनी दिवस (महापरोपकार दिवस) है। पूजनीय परमपिता जी ने फरमाया, ‘हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे।’ जबकि आमतौर पर यही कहा जाता है कि हमारे बाद। परंतु पूजनीय परमपिता जी ने ये फरमाया कि हम थे, हम हैं और हम ही रहेंगे। रूहानियत के इतिहास में यह एक अद्भुत मिसाल है। पूज्य गुरु जी ने डेरा सच्चा सौदा के पवित्र मिशन को तूफानमेल गति प्रदान की।

पूज्य गुरु जी ने मानवता भलाई के 159 कार्य निश्चित किए, जोकि एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र में साध-संगत व शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सहयोग से दिन-रात बढ़-चढ़कर चलाए जा रहे हैं। पूज्य गुरु जी ने रूहानियत के साथ-साथ जहां समाज में फैले भ्रष्टाचार, कन्या भ्रूण हत्या, समलैंगिकता, वेश्यावृति आदि बुराइयों को जड़ से खत्म करने का जिम्मा उठाते हुए ठोस प्रक्रिया आरम्भ की, वहीं गरीबों, जरूरतमदों, बीमारों, बच्चों, बुजुर्गों की भलाई एवं नारी-उत्थान के प्रति जबरदस्त लहर चलाई हुई है।

वास्तव में सच्चे परोपकारी संत ही समाज को दिशा व दशा प्रदान करते हैं। वे अपने निजी स्वार्थ या अपनी मान-बढ़ाई के लिए नहीं, बल्कि कुल सृष्टि की भलाई के लिए ही ऐसे नेक व पवित्र कदम उठाते हैं, जिसमें उनका लेशमात्र भी स्वार्थ नहीं होता। पूज्य गुरु जी ने इन 33 वर्षों में साढ़े छ: करोड़ से भी अधिक लोगों को नशों आदि बुराइयों से रहित करके उन्हें सच्ची इन्सानियत व प्रभु भक्ति का मार्ग दर्शाया है।

यकीनन ही पूज्य गुरु जी द्वारा आरम्भ की गई समाज व मानवता भलाई की ये पवित्र लहर दिनोंदिन रंग ला रही है और बहुत जल्द स्वस्थ समाज का स्वरूप हम सबके सामने होगा। डेरा सच्चा सौदा की तरफ से चलाए ऐसे लोक भलाई के कार्य जग-जाहिर हैं। ऐसे हर भले कार्य के लिए देश व दुनिया के सब लोग सहयोग करें, यह परमपिता परमेश्वर से दुआ है!
-सम्पादक

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