‘एक ही सही, दो के बाद नहीं’ -ऐतिहासिक मुहिम पूज्य गुरु जी ने बढ़ती जनसंख्या को देश के लिए बताया चिंताजनक
BIRTH (Be proud In taking the Responsibility To control High population rate)
- शादी के दिन ही वर-वधु लेंगे छोटे परिवार का संकल्प
- आॅनलाइन गुरुकुल के दौरान करोड़ों साध-संगत ने दोनों हाथ उठाकर मुहिम में बढ़-चढ़कर सहयोग का किया वादा
पहले दिन इन नवविवाहित जोड़ों ने लिया संकल्प
जनसंख्या विस्फोट से देश को बचाने के लिए पूज्य गुरु जी द्वारा चलाई गई मुहिम में आहुति डालते तीन नवविवाहित जोड़ों ने संकल्प लिया कि वे अपना एक बच्चा रखेंगे या सिर्फ दो। साहिल इन्सां पुत्र गिरधारी लाल निवासी प्रीत नगर (सरसा) व मुस्कान इन्सां पुत्री रामनरायण इन्सां निवासी गांधी नगर दिल्ली, नवनीत इन्सां पुत्र सुखमंदर सिंह इन्सां निवासी लुधियाना (पंजाब) व सिमरन इन्सां पुत्री गुरमीत सिंह इन्सां निवासी गाँव ढाबां लुधियाना (पंजाब) तथा सतनाम इन्सां पुत्र शुबेग इन्सां निवासी ढढ्ढरियां जिला (संगरूर) व रूबल इन्सां पुत्री सुखदर्शन इन्सां निवासी भटिंडा (पंजाब) विवाह बंधन में बंधे। इस अवसर पर इन नवविवाहित जोड़ों ने पूज्य गुरु जी के आह्वान पर ‘एक ही सही, दो के बाद नहीं’ का प्रण लिया।
बढ़ती जनसंख्या के कारण भूखमरी, बेरोजगारी जैसी कई समस्याएं पैदा हो गई हैं, समय-दर-समय यह समस्या और विकराल होती जा रही है। जनसंख्या का यह दानव इन्सान की मूलभूत सुविधाओं को निगलता जा रहा है और प्राकृतिक संसाधनों का लगातार ह्नास कर रहा है, जो भविष्य के लिए भयावह साबित हो सकता है। महान समाज सुधारक पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए ऐतिहासिक पहल की है। छोटा परिवार-सुखी परिवार की तर्ज पर पूज्य गुरु जी ने ‘एक ही सही, दो के बाद नहीं’ का फार्मूला बनाया है, जिसे लागू करने को लाखों डेरा प्रेमियों ने हामी भरी है।
गत 18 फरवरी 2023 को उत्तर प्रदेश के शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा में आॅनलाइन गुरुकुल के दौरान पूज्य गुरु जी ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए ‘एक ही सही, दो के बाद नहीं’ का नारा दिया। कार्यक्रम के दौरान ही डेरा प्रेमियों ने इस मुहिम से जुड़ते हुए तीन नवविवाहित युगलों ने अपनी शादी के दौरान ‘एक ही सही दो के बाद नहीं’ का संकल्प लिया। वहीं कार्यक्रम दौरान आॅनलाइन जुड़े करोड़ों श्रद्धालुओं ने भी अपने दोनों हाथ उठाकर इस मुहिम में बढ़-चढ़कर सहयोग करने का प्रण लिया।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि परमपिता परमात्मा ने इन्सान को खुदमुखत्यार बनाया है, मर्जी का मालिक बनाया है। चौरासी लाख शरीर, जोनियां हमारे धर्मों में बताई गई हैं, जिसमें वनस्पति है, कीड़े-मकौड़े हैं, पक्षी हैं, जानवर हैं और इन्सान। गंधर्व, देवता अलग से उनकी चर्चा भी होती है। सर्वश्रेष्ठ मनुष्य को कहा गया, सर्वोत्तम, खुदमुखत्यार और मुखिया या सरदार जून, कि सबसे जबरदस्त शरीर प्रभु-परमात्मा ने इन्सान को बनाया। इसका दिमाग बाकी सब जीवों से बहुत ही ज्यादा है। आज आदमी 10 से 15 पर्सेंट हिस्सा ही काम में लेते हैं और उससे ही सुपर कंप्यूटर बन गए, बड़ा कुछ बना है, पर सिर्फ 10-15 पर्सेंट इस्तेमाल करने से।
पर जब हम हर चीज के लिए दिमाग का इस्तेमाल करते हैं तो फिर जनसंख्या जो बढ़ रही है, पानी की कमी आ रही है, इसके लिए इन्सान क्यों नहीं सोचता? कई कह देते हैं कि जी भगवान देता है, ये तो भगवान का लिखा हुआ है, इसलिए बच्चे आते जाते हैं। भगवान ने आपको खुदमुखत्यार बनाया है, उस परमपिता परमात्मा ने आपको मर्जी का मालिक बनाया है, कुछ हद तक आप नए कर्म कर सकते हैं, वो आपके हाथ में है अच्छे करो या बुरे। बुरे कर्म करके आप राक्षस, शैतान को भी शर्मिंदा कर सकते हैं और अच्छे कर्म करके आप परमपिता-परमात्मा को भी पा सकते हैं। तो उस खुदमुखत्यारी का फायदा उठाते हुए आप उसकी दी हुई कुदरत की चीजों का विनाश ना करें।
जनसंख्या जब तक रूकेगी नहीं देश और संसार तरक्की नहीं कर सकता
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि अब जनसंख्या कंट्रोल की बात है, तो ये किया जा सकता है, अगर आप चाहें तो। ना चाहें तो बात अलग है। और हमने सारे धर्मों के पाक पवित्र ग्रन्थ पढ़े, पवित्र गुरबाणी पढ़ी, पवित्र कुरान शरीफ पढ़ी, पवित्र हमारे वेदों की चर्चा तो हम शुरूआत से ही करते हैं। तो सारे पवित्र ग्रन्थों में, धर्मों में कहीं भी ये जिक्र नहीं है कि बच्चे 5,10,15, 20 पैदा करो। संयम का जिक्र मिलता है, संतोष धन होना चाहिए। संतुष्टि होनी चाहिए इसका जिक्र मिलता है। तो आप चाहें तो कंट्रोल कर सकते हैं। कितना अच्छा हो कि आपके या तो एक ही हो या फिर दो, इससे ज्यादा ना हों। अच्छा पालन-पोषण भी कर पाएंगे, अच्छा पढ़ा-लिखाकर उसको देश के लिए, समाज के लिए बहुमूल्य बना देंगे।
और जितने ज्यादा होंगे, एक तरह से आप समाज के लिए, देश के लिए और संसार के लिए घातक काम कर रहे हैं। अनजाने में ही सही, लेकिन जो जनसंख्या विस्फोट, आपको कुछ दिन पहले भी चर्चा की थी, कि वो होने वाला है। क्योंकि एक सैकिंड में पता नहीं कितने बच्चे पैदा हो जाते हैं। तो आप देखेंगे कि जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। साधन कम होते जा रहे हैं तो ये दो-तीन बातें हमेशा आप दिलोदिमाग में रखें, कि प्रकृति हमें देती बहुत कुछ है, पर हम अगर उसका नाश करते हैं तो फिर वो भी कहीं न कहीं उग्र हो जाती है। पेड़ कट रहे हैं, पहाड़, नदियां खत्म होती जा रही हैं, खत्म होती जा रही हैं या फिर कहीं बाढ़ आ रही है और मौसम, बेमौसम हुआ पड़ा है।
जब सर्दी चाहिए गर्मी है और गर्मी चाहिए तो सर्दी है। ये सारे बदलाव संकेत देते हैं कि खासकर आदमी कहीं न कहीं इसका जिम्मेवार है। चाहे तो वो पोल्यूशन कर रहा है, प्रदूषण फैला रहा है, चाहे वो पेड़-पौधे काट रहा है, चाहे वो पहाड़ों की कटाई कर रहा है, खात्मा कर रहा है। तो ये खुदमुखत्यार इन्सान आज, जिम्मेदार इन्सान इस जिम्मेदारी से हटकर प्रकृति का नाश करने में लगा है और बड़ा डर लगता है कि कहीं प्रकृति उग्र रूप धारण करके प्रलय-महाप्रलय ना ले आए। क्योंकि राम जी, ओउम्, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब ने, उस ओउम परमपिता परमात्मा ने सृष्टि का बैलेंस बना रहे, तालमेल बना रहे इसके लिए हर चीज बनाई है।
बेतहाशा जनसंख्या बढ़ा रही कई परेशानियां
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जनसंख्या के विस्फोट से कितना रेश्यो बढ़ गया बेरोजगारी का, क्राइम-आवारागर्दी के कितना रेश्यो बढ़ गए, तो ये चीजें बढ़ती जाएंगी, क्योंकि इतना कोई भी आपको काम नहीं दे सकता। कहां से देंगे जब पैदा ही एक के पाँच-पाँच, सात-सात हैं। कईयों को तो गिनती नहीं पता होती कि मेरे कितने घर में घूम रहे हैं और कितने बाहर घूम रहे हैं। हम कई बार सत्संग करने जाते थे ऐसे इलाकों में, जिनके 10-10, 12-12 बच्चे होते थे। वहां पहले ही कह देते थे कि गाड़ी आराम से चलाना भाई या ख़ुद चलाते थे तो आराम से कर लेते थे। क्यों? वो हॉर्न बजा नहीं, गाड़ियां आर्इं नहीं, और घर से यूं निकलते थे जैसे पूछो मत।
किसी सज्जन ने बताया कि भारत में हर मिनट में 51 बच्चे पैदा हो रहे हैं और हर घंटे में 3074 बच्चे पैदा हो रहे हैं और एक मिनट में 19 की मौत और एक घंटे में 1116 की मौत हो रही है। तो इसका मतलब है कि 1900 या 2000 तो बढ़ ही रहे हैं। और पूरे विश्व का तो और भी तगड़ा काम है, एक सैकिंड में 4, एक मिनट में 278 और एक घंटे में 16720 बच्चों का जन्म हो रहा है और मृत्यु एक घंटे में 6611 हो रही हैं। तो मतलब 10700 बच्चे तो बढ़ रहे हैं तो ये विस्फोट वाला काम है कि नहीं है। ये तो होता जा रहा है।
तो चिंता करनी चाहिए। संसाधन कहां से जुटाएगा कोई? कितना भी जोर लगा ले, कितना भी मशीनरी का प्रयोग कर ले, इतने पैदा करोगे तो हर किसी को रोजगार मिल ही नहीं सकता। रोजगार बनाएंगे कहां से और किस चीज का। क्या रोटी बनाने का, कि इनको खिलाओ भई बना-बनाकर। वो तो घरों में बन जाती हैं। वो भी खिलाई जाती हैं फ्री में अन्न चल रहा है, फ्री में खाना दिया जाता है, लेकिन अब कंट्रोल करना और वश में रखना तो आदमी के हाथ में है।
सभी जीवों के लिए बना है प्रकृति का सिस्टम
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कई बार कई सज्जनों को कहा कि बकरे, मुर्गे नहीं खाने चाहिए। कहते ये नहीं खाएंगे तो ये बढ़ जाएंगे। तो आप बढ़ रहे हो, उसका भी कोई तरीका बताओ। बकरे, मुर्गे का तो आपने सर्टिफिकेट ले रखा है कि हम खाते ही इसलिए हैं ताकि जनसंख्या कंट्रोल में रहे, जोकि सौ पर्सेंट झूठ है। क्योंकि बकरे, मुर्गे अगर हैं तो माँसाहारी जीव भी, शेर है, चीता है, बिल्लियां हैं, कुत्ते हैं, पता नहीं कितने जीव-जन्तु ऐसे हैं जो माँसाहारी हैं। तो आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं है। उनको कंट्रोल करने के लिए सिस्टम बना हुआ है।
समुन्द्र में सिस्टम है छोटी मछली को बड़ी, उससे बड़ी को उससे बड़ी, फिर उससे बड़ी, वो उससे बड़ी। तो कंट्रोल में रहता है सारा साजोसामान। पर इन्सान तो खुदमुखत्यार है और खुद कंट्रोल कर सकता है। अगर आप जागृत हो जाएं, हालांकि काफी जागृति आई है पहले से, लेकिन आज भी गाँव में अगर पहली बेटी हो जाए तो फिर बेटा और दूसरी बेटी हो जाए तो कहता नहीं, जब तक बेटा नहीं तब तक नहीं रूकेंगे। बेटियां, बेटों से किसी मामले में कम हैं ही नहीं, बराबर है। बल्कि कहीं ना कहीं बेटियां अपने माँ-बाप के लिए, जो सॉफ्ट कॉर्नर रखती है या ममता का भाव रखती हैं, वो बेटों के अंदर नहीं होता, कुदरती तौर पर।
ऐसा नहीं है कि बेटे कोई गलत होते हैं, अच्छे हों, कितने भी अच्छे क्यों ना हों, लेकिन जो ममता की भावना बेटियों के अंदर होती है, वो अपने माँ-बाप के लिए आखिर तक रहती है। एक बेटा हो गया चाहे बेटी हो गई बस मालिक की देन है, पर ज्यादा ही है तो दो, दो के बाद नहीं। तो हमारी साढ़े छह करोड़ साध-संगत अमल करेगी तो कुछ तो कंट्रोल होगा। इतने बच्चे अगर मिलकर आगे से ख्याल रखेंगे, कि जिनकी नई शादियां हो रही हैं, जिनके एक-एक बच्चा है, कि भई ‘‘एक ही सही, दो के बाद नहीं’’ ये ध्यान रखिये। और जो नई शादियों वाले आते हैं अगर वो शादी के वक्त ये प्रण भी लेंगे तो हमें और भी खुशी होगी।
जनसंख्या नियंत्रण से कई समस्याएं होंगी हल
जनसंख्या नियंत्रण से कैसे फर्क पड़ता है जरा सोचकर देखिये, पाँच बीघे, पाँच एकड़ एक के पास जमीन है, दो एकड़ एक के पास है। एक-एक बच्चा है, दोनों की शादी हो गई। पहले तो सात एकड़ हो गई। जमीन घटने की बजाय बढ़ गई। दूसरी बात घरों की जो भरमार है, पेड़ कट रहे हैं। दो की जगह एक घर बन गया। और माँ-बाप की संभाल दोनों की करो। तो इस तरह से आप अगर देखेंगे, आगे से आगे, आगे से आगे जमीनें जैसे आपने घटाई हैं पैदा कर करके और वैसे बच्चे अगर कम रखोगे, फिर से आपके नाम जमीनें बढ़ने लग जाएंगी, फिर से जायदाद आपके नाम ज्यादा होने लग जाएगी और आप सुखमय ज़िंदगी जी पाएंगे। तो हमारा काम तो चौकीदार, सेवादार की तरह बताना है भाई, मानना या न मानना आपकी मर्जी।