सतगुरु जी ने जीवन दान दिया -सत्संगियों के अनुभव पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का रहमो-करम
प्रेमी तेजा राम इन्सां पुत्र श्री आत राम, गांव बरालू जिला भिवानी (हरियाणा) से पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने पर हुई रहमत का वर्णन इस प्रकार करता है:-
सन् 1999 की बात है। उस समय मेरी जिह्वा पर छाले हो गए और गला खराब हो गया। उस समय मैं हुक्का बीड़ी व शराब का खूब नशा करता था। मैंने राजगढ़ सादुलपुर शहर जिला चुरु के भगवान देवी अस्पताल में चैकअप करवाया। उन्होंने कहा कि तम्बाकू के सेवन की वजह से तुम्हें यह तकलीफ हुई है। मैं वहां पर पच्चीस दिन दाखिल रहा। उसके बाद उन्होंने दवाईयां देकर मुझे छुट्टी दे दी। मैं डेढ़ महीने बाद फिर वहां पर चैकअप करवाने गया, तो डॉ. शांति कुमार ने मुझे कहा कि तेरी बीमारी बढ़ गई है। हमारे पास इसका ईलाज नहीं है।
डॉक्टर ने मेरे संबंधियों को कहा कि इसको राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग, दिल्ली ले जाओ। वहां पर मेरा दोस्त डॉक्टर है, जिसने अमेरिका से कोर्स किया है, मैं उसे फोन कर दूंगा। इसके बाद मुझे दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया और जुलाई 2000 में मुझे उक्त अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया। वहां पर मैं सोलह दिन दाखिल रहा। वहां डॉक्टरों ने चैकअप करके रिपोर्ट करवाई और कहा कि इसको तीसरी स्टेज का गले व जिह्वा का कैंसर है। इसका आॅपरेशन करना पड़ेगा। जिह्वा को काटना पड़ेगा। जिस दिन आॅप्रेशन होना था, उससे पहले दिन की शाम को मैं आॅप्रेशन के भय से वहां से भाग निकला और अपने घर पहुंच गया।
घर आने पर मेरे घर वालों और रिश्तेदारों ने मुझ पर दबाव डाला कि आॅप्रेशन करवा ले, जान बच जाएगी। लेकिन मैंने बिल्कुल ही मना कर दिया और कहा कि मुझे मरना मन्जूर है। क्योंकि मैंने मर तो जाना ही है, फिर क्यों आॅप्रेशन करवाऊं। इसके बाद एक दिन मैं अपने रिश्तेदार के पास भिवानी गया। उसके पास दो आदमी उसके जानकार बैठे हुए थे। उसने उन्हें मेरी बीमारी के बारे बिस्तार से बताया और उनसे पूछा कि अब कहां लेके जाए? वो कहने लगे कि इसको आप डेरा सच्चा सौदा ले जाओ। सच्चा सौदा वाले संतों की रहमत से यह ठीक हो जाएगा। मैंने सच्चा सौदा जाने के लिए हां कर दी। मेरा रिश्तेदार रात की ट्रेन से मुझे डेरा सच्चा सौदा सरसा ले आया।
उस दिन अगस्त माह का दूसरा रविवार था। उस दिन दूसरे हफ्ते का सत्संग था। मैंने पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के सत्संग में दर्शन किए और पूरा सत्संग सुना। सत्संग के बाद मैंने हजूर पिता जी से नाम-शब्द, गुरुमंत्र ले लिया। बीमारों वाला प्रसाद भी लिया। पूज्य पिता जी ने बीमारों वाला प्रसाद देते समय वचन किए कि दिन-रात सुमिरन करना है। सुमिरन से कैंसर जैसी बीमारियां भी कट जाती हैं। मैंने दिन-रात नाम का सुमिरन किया और डेरे में रहकर सेवा भी करता रहा। सेवा, सुमिरन व प्रसाद से मेरा तीसरी स्टेज का कैंसर बिल्कुल ठीक हो गया। अब मैं बिल्कुल ठीक हूं। अब मेरी पिता जी के चरणों में यही अरदास है कि सेवा, सुमिरन करते-करते मेरी ओड़ निभ जाए जी।