बेटा! तुझे हम पर यकीन नहीं…सत्संगियों के अनुभव
पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत
माता लाजवंती इन्सां पत्नी सचखण्ड वासी प्रकाश राम कल्याण नगर सरसा से पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने परिवार पर हुई रहमत का वर्णन करती है:-
‘बेटा! इसके कर्मों में चार बेटियां हैं। इसके बाद बेटा देंगे।’ तो मैंने पिता जी को अर्ज की।, पिता जी! मुझे नहीं पता, अभी दे दो। फिर पिता जी ने वचन फरमाया, ‘दो बड़े की बेटियां, एक छोटे की है। एक से और मम्मी कहलवा दे, चार पूरियां कर दे। फिर दे देंगे।’
सन् 1992 की बात है कि उस समय मेरे बड़े लड़के के घर दो बेटियां थी। मेरी यह इच्छा थी कि इसके घर लड़का हो जाए। अपने सतगुरु जी के चरणों में यह अरदास करती रहती कि पिता जी! मेरे बेटे को बेटा दे दो। आप जी के पास किस चीज की कमी है। आप क्या नहीं कर सकते। मेरी निमाणी की यह विनती जरूर मंजूर करो। उन्हीं दिनों में एक रात को मुझे हजूर पिता जी (संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) ने दर्शन दिए तो मैंने पिता जी की हजूरी में अर्ज कर दी कि पिता जी! मेरे बेटे को बेटा दे दो। आप क्या नहीं कर सकते।
तो पिता जी ने वचन फरमाया, ‘बेटा! इसके कर्मोें में चार बेटियां हैं। इसके बाद बेटा देंगे।’ तो मैंने पिता जी को अर्ज की।, पिता जी! मुझे नहीं पता, अभी दे दो। फिर पिता जी ने वचन फरमाया, ‘दो बड़े की बेटियां, एक छोटे की है। एक से और मम्मी कहलवा दे, चार पूरियां कर दे। फिर दे देंगे।’
फिर मैं जनवरी 1993 में पूजनीय परमपिता जी के पावन अवतार दिवस 25 जनवरी के भण्डारे पर अपनी पुत्र वधु तथा तीनों पौत्रियों को साथ लेकर सरसा दरबार आई। वह भण्डारे का सत्संग शाह मस्ताना जी धाम के साथ लगती स्कूल-कॉलेज वाली जमीन पर था। पण्डाल में बैठी हुई थी। मुझे पिता जी का वचन याद आया कि एक बच्ची से और मम्मी कहलवा दे, चार नग पूरे कर दे। मैंने किसी और की बच्ची को अपनी पुत्रवधु की तरफ ईशारा करते हुए कहा कि इस को कह दे कि मम्मी, तुझे वो बीबी बुलाती है। तो उस बच्ची ने उसी तरह मेरी पुत्रवधु को मेरी तरफ ईशारा करते हुए कहा कि मम्मी, तुझे वो बीबी बुलाती है। इस तरह मैंने अपने सतगुरु का वचन पूरा कर दिया।
इसके बाद जब बच्चा मां के पेट में चार-पांच महीनों का था तो मैं हजूर पिता जी के चरणों में अर्ज करती रहती कि कहीं वो बात न हो जाए कि एक लड़की और हो जाए। उन्हीं दिनों में एक रात हजूर पिता जी ने मुझे फिर दर्शन दिए तथा वचन फरमाया, ‘बेटा! तुझे हम पर यकीन नहीं।’ तो मैंने कहा, पिता जी! यकीन तो है, पर मेरा मन डोलता है। फिर पिता जी ने वचन किए, ‘तुझे दिखाएं!’ मैंने कहा, दिखा दो, पिता जी। उस समय वहां एक लेडी डाक्टर आ गई। हजूर पिता जी ने लेडी डॉक्टर को कहा, ‘बेटा! इस माता को पेट के अंदर वाला बच्चा दिखा दो।’
उस लेडी डॉ. ने पर्दा करके मेरी पुत्र-वधु के बच्चा पैदा करके मुझे दिखा दिया और कहा कि माता यह देख, लड़का है। तो मुझे यकीन आ गया कि सचमुख लड़का है। मैं अपने सतगुरु की क्या सिफत करूं, मेरे पास लफ्ज ही नहीं हैं। मैं अपने सतगुरु का लाखों-करोड़ों बार धन्यवाद करती हूं जिन्होंने मेरी हर जायज मांग को पूरा किया है और कर रहे हैं।
मेरी परम पूजनीय हजूर पिता जी के चरणों में यही अरदास है कि मेरे सारे परिवार को सेवा-सुमिरन का बल बख्शो जी तथा इसी तरह रहमत बनाए रखना जी।