रूहानी कॉलेज है डेरा सच्चा सौदा 75वां रूहानी स्थापना दिवस मुबारक! मुबारक!
जन्म-मरण की फाही मुकाने के अल्लाह-मालिक ने सतगुरू का रूप धारण किया और दुनिया को चेताया कि मुक्ति देने वाला वो सच्चा राम अंदर हृदय मंदिर में बैठा है। उसी राम का जाप करने और कराने के लिए पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा रूहानी कॉलेज बनाया है।
पूजनीय बेपरवाह जी के वचनों में आया है:- ‘अंदर वाला राम मेहर करे, अपना राम जपे, अपने राम की गंढ कपे, पराया माल कभी न तके, खुशियां नित नहियां खले, मालिक मेहर करे।’ सच्चे सतगुरु सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का ये पावन उपदेश सभी के लिए यह सांझा उद्देश्य है और यही सभी रूहानी महापुरुषों का उद्देश्य रहता है। किसी भी जात, धर्म, मजहब का सवाल नहीं और न ही अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा और ऊंच-नीच का कोई सवाल है। दुनिया, समाज में अकसर कहा जाता है:- ‘हिन्दु, मुस्लिम, सिख-ईसाई। हैं आपस में भाई-भाई।’ कोई शक नहीं है।
सभी देशवासी ‘एक’ यानि भाई-भाई हैं और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की स्थापना के द्वारा दुनिया भर को दिखा दिया है कि चाहे कोई किसी भी धर्म-जात का है, यहां पर सभी को बराबर सम्मान प्रदान किया जाता है। कोई हिन्दू या सिख, ईसाई या मुस्लमान और चाहे किसी भी अन्य जात-धर्म का है, यहां पर सभी एक साथ इकट्ठे बैठ कर अपने-अपने धर्मानुसार बंदगी-इबादत करते हैं। कोई राम कहे या अल्लाह, रहीम कहे या वाहेगुरु, गॉड कहे, कोई रोक-टोक नहीं, कोई मनाही नहीं। यहां केवल सर्व सांझा उपदेश, रूहानी शिक्षा दी जाती है। इसलिए यह सच्चा सौदा ‘सर्व-धर्म संगम है, एक रूहानी कॉलेज है।’
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सच्चा सौदा क्या है:-
सच ओ३म, हरि, अल्लाह, राम, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब कुछ भी कहें, नाम अनेक हैं, परन्तु वो परमपिता परमात्मा एक है और जो एक सच है और सौदा यानि उसी सच परम पिता परमात्मा का नाम जपना। न कोई ढोंग करना, न कोई पाखण्ड, ना कोई दिखावा है और न ही दान-दक्षिणा का कोई सवाल है। उस सच परमपिता परमात्मा की बगैर कोई ढोंग-दिखावे के भक्ति करना ही सच्चा सौदा है। डेरा सच्चा सौदा एक रूहानी कॉलेज है, जहां प्रेम और राम-नाम का अमली व असली सबक पढ़ाया जाता है। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने मुर्शिद-ए-कामिल हजूर बाबा सावण सिंह जी महाराज के वचनानुसार बेगू रोड (शाह सतनाम जी मार्ग) पर सरसा शहर से 2 किमी. दूरी पर 29 अप्रैल 1948 को अपने इसी पावन उद्देश्य से डेरा सच्चा सौदा नाम से एक कुटिया बनाई जोकि आज उन्हीं के ही पावन वचनों के अनुसार बहुत बड़ा रूहानी कॉलेज है। यहां पर प्रेम और राम-नाम से जुड़ने का असली व अमली पाठ-पढ़ाया जाता है।
कुल आलम यहां झुकेगा:-
उन दिनों इलाका-भर में भयानक सूखा पड़ा हुआ था। ‘भूखा मरता क्या न करता।’ चोरी-चकारी की वारदातें भी आम बात थी। पूज्य सार्इं जी अपने परोपकारी कार्याें हित पीने के पानी के घड़े भराकर गेट से बाहर वृक्षों की छाया में रखवा दिया करते। क्योंकि लोगों के आने-जाने का आम रास्ता यही था। ताकि थक्के-हारे राहगीर ठंडा पानी पीकर अपनी प्यास बुझा सकें। उन दिनों रास्ते कच्चे थे और लोग ज्यादातर सफर पैदल ही तय किया करते थे। लेकिन लोग डेरा सच्चा सौदा के बाहर रखे पानी के घड़े ही चुरा कर ले जाते।
एक बार डेरे के साथ लगती जमीन के मालिक बूटा राम जी ने पूज्य बाबा जी से कह ही दिया कि बाबा जी, यहां तो चोर रहते हैं जो पानी के घड़े भी चुरा कर ले जाते हैं। आप डेरा कहीं और बना लो जी। इस पर सच्चे पातशाह जी ने हंसते हुए फरमाया, ‘पुट्टर पानी किस लिए रखा था? पानी तो लोगों के पीने के लिए ही रखा था। अब यह उनकी मर्जी है पानी यहां पर पिएं या घड़े घर ले जाकर पिएं।’ पूजनीय सार्इं जी ने यह भी वचन फरमाया, ‘बूटा राम पुट्टर! आज की बात याद रखना, गांठ बांध ले। सच्चा सौदा में खुटने वाली कोई चीज नहीं है, अखुट खजाना है सच्चा सौदा। तू बोलता है पुट्टर इस धरती को छोड़ कर चले जाएं। कुटिया (डेरा) कहीं और बनाएं।
याद रखना इत्थे चढ़दा झुकेगा, लैहिंदा झुकेगा, झुकेगी दुनिया सारी। कुल आलम इत्थे झुकेगा।’ पहले भी लोगों ने बहुत जोर लगाया कि डेरा नहीं बनने देंगे, धन-धन (धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा) नहीं करने देंगे, लेकिन अंदर वाले जिंदाराम सावण शाही मौज ने डेरा भी बनाकर दिखा दिया। अभी तो पुट्टर सच्चा सौदा की दुकान बनी है, इसमें सौदा डलेगा, फिर दुकान चलेगी, तब दुनिया को पता चलेगा। अभी तो जैसे रिमझिम, बूंदा-बांदी होती है, जब मूसलाधार बारिश होगी तो पता चलेगा। अभी तो सावणशाही मौज काम करती है, जब मस्तानी मौज काम करेगी, तो सब मस्त कर देगी, फिर पता चलेगा।
हमेशा रहेगा सच्चा सौदा:-
सन् 1958 की बात है, एक दिन सरसा शहर के कुछ सेवादार भाई पूज्य सार्इं जी के दर्शन-दीदार करने के लिए डेरा सच्चा सौदा दरबार में आए। इसी दौरान उन सेवादारों में से एक भाई खेमा राम जी ने अचानक एक ऐसी बात कह दी जिसे सुनकर अन्य सभी लोग भी दंग रह गए। हो सकता है कि उनके मन में ऐसी कोई शंका थी और वह अपनी शंका को मिटाने के लिए यह बात पूछना चाह रहा हो।
उस भाई ने कहा, सार्इं जी, आप जी के बाद यहां पर क्या बनेगा? सार्इं जी ने उसकी तरफ देखते हुए आश्चर्य से पूछा ‘खेमा, तुम्हारी बात हमारी समझ में नहीं आई।’ उसने विनती की, सार्इं जी, आपजी के बाद यहां कहीं पूजा का स्थान न बन जाए कि लोग आएं, माथा टेकें, चढ़ावा चढ़ाएं और मन्नतें लेकर लौट जाएं। यह सुनते ही वाली दो जहान सच्चे दातार जी ने जोशभरी आवाज में फरमाया, ‘खेमा! कितने समय से तू हमारे साथ है! तुमने हमें आदमी ही समझा है! ये जो सच्चा सौदा बना है, ये किसी आदमी का नहीं बनाया। यह खुद-खुदा सावण शाह सार्इं जी के हुक्म से बना है।
जब तक धरती-आसमान रहेगा, सच्चा सौदा रहेगा। सावण शाह दाता ने हमें जो अपना नूरी खजाना बख्शा है, उसमें से एक बाल जितना भी हमने खर्च नहीं किया है, वो सावण शाही खजाना वैसे का वैसा ही दबा पड़ा है। हमारे बाद जो ताकत आएगी, हमने तो लोगों में नोट, सोना, चांदी, कपड़े कम्बल बांटे हैं, वो ताकत चाहे तो हीरे-जवाहरात भी बांट सकती है। हमने तो मकान बनवाए, गिरवाए, फिर बनवाए और वो ताकत चाहे तो बने-बनाए मकान आसमान से धरती पर भी उतार सकती है। सच्चा सौदा में इतनी संगत होगी कि हाथी पर चढ़कर दर्शन देंगे पर फिर भी मुश्किल से दर्शन होंगे। संगत इतनी ज्यादा होगी कि सरसा-नेजिया एक हो जाएगा। ऊपर से थाली फेंके तो नीचे न गिरे। सरसा से यहां तक संगत ही संगत नजर आएगी और दिन दोगुनी, रात-चौगुनी बढ़ेगी।’ प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं है। भंडारों पर इस सच्चाई को खुद अपनी आंखों से देखा जा सकता है।
सच्चा सौदा की पावन मर्यादा:-
पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज की पावन शिक्षाओं के अनुसार अण्डा-मांस नहीं खाना, शराब आदि नशे नहीं करना, बड़े हैं तो माता-पिता के समान, बराबर के हैं तो भाई-बहन के समान और उम्र में छोटे हैं तो बेटा-बेटी के समान समझें। हक-हलाल, मेहनत, दसां नहुआं दी किरत करके खाएं। कोई घर बार नहीं छोड़ना, कोई पहनावा और धर्म परिवर्तन नहीं करना।
अपने घर-परिवार में रहते हुए परिवार व समाज के प्रति अपने मानवीय कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वाहन करना। माता-पिता, बुजुर्गाें की सेवा, बच्चों को अच्छे संस्कारी बनाना, जरूरतमंद गरीबों की मदद करना और साथ में सेवा और सुमिरन, भक्ति-इबादत करना। यानि दीन भी रहे और दुनिया भी रहे। भाव अपने धर्म-ईमान अपने सतगुरु जी की शिक्षाओं पर चलते हुए दुनिया में भी खुशहाल जीवन जिएं, यही है डेरा सच्चा सौदा की पावन शिक्षा। इसका आगाज पूजनीय बेपरवाह जी ने सच्चा सौदा में किया और डेरा सच्चा सौदा आज भी इसी बुनियाद पर कायम है।
मानवता भलाई कार्याें में डेरा विश्व प्रसिद्ध:-
आज 29 अप्रैल को साध-संगत डेरा सच्चा सौदा के रूहानी स्थापना दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रही है। यह पाक-पवित्र दिवस डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत सर्वधर्म समभाव के रूप में बढ़-चढ़कर मानवता भलाई के कार्य करके मनाती है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन मार्गदर्शन में डेरा सच्चा सौदा रूहानियत का बहुत ही विशाल महासागर है। पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए 156 मानवता भलाई के कार्य आज पूरे विश्व में साध-संगत पूरे जोशो-खरोश में बढ़-चढ़कर कर रही है।
रक्तदान और पौधारोपण में जहां डेरा सच्चा सौदा का नाम गिनीज बुक आॅफ रिकार्ड में तीन-तीन बार दर्ज है, वहीं स्वास्थ और जन-सेवा क्षेत्रों में दर्जनों और रिकार्ड एशिया बुक आॅफ रिकार्ड व इंडिया बुक आॅफ रिकार्ड में भी दर्ज हैं। ये सब पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज एवं परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पवित्र वचनों और पावन प्रेरणाओं से ही हुआ है और हो रहा है। समाज में सुधार की यह महान परोपकारी लहर संत डॉ. एमएसजी के पावन मार्ग दर्शन में निरंतर जारी रहेगी।
सचखंड का नमूना है सच्चा सौदा:-
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज व बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने पावन वचन फरमाए कि यहां बाग-बहारें होंगी, सचखंड का नमूना बनेगा। डेरा सच्चा सौदा दिन दोगुनी, रात-चौगुनी तरक्की करेगा, राम-नाम वाले भी कई गुणा बढ़ेंगे। परमपिता शाह सतनाम जी धाम सचमुच ही सचखंड का नमूना है और राम नाम वालों की बात की जाए तो पूजनीय मौजूदा हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के मार्गदर्शन में आज पूरी दुनिया में साढ़े छह करोड़ से भी ज्यादा अनुयायी हैं।