रहें टेंशन फ्री
दुखी होने और तनावग्रस्त होने में फर्क है हालांकि ये दोनों ही स्थितियां एक दूसरे को कॉम्पलीमेंट करती हैं। दु:ख और तनाव ही जैसे आज व्यक्ति का मुकद्दर बन गया है। गरीब, गरीबी से दु:खी है, अमीर तनाव के मारे परेशान है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि गरीब केवल दुखी है तनावग्रस्त नहीं और यह कि अमीर केवल तनावग्रस्त है, दुखी नहीं।
दु:ख तनाव व्यक्ति का जीवन रस सोख लेते हैं व जिन्दगी छोटी कर देते हैं। जीवन में दुखों से बचा नहीं जा सकता। असफलता असुरक्षा का भय, मौत, बीमारी, आर्थिक नुकसान आदि ऐसी बातें हैं जो व्यक्ति को तोड़ के रख देती हैं और तनावग्रस्त कर देती हैं, दुखों के सागर में डुबो देती हैं। इनसे उबरना मुश्किल है मगर असंभव नहीं। जरूरत है तो बस दृढ़ इच्छा-शक्ति, मजबूत विलपावर की तनाव प्रबंधन सीखा जा सकता है।
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टैंशन फ्री रहने के कुछ कारगर उपाय हैं।
मेडिटेशन:
मेडिटेशन यानी ‘माइंड विदाउट एजिटेशन’ अर्थात बिलकुल निर्विचार दिमाग। ध्यान लगाने के लिए किसी बड़े कौशल की जरूरत नहीं है। बस चित्त को एकाग्र कर शांत होकर बैठ जाएं। मन में जो विचार उठ रहे हैं, उन्हें खामोशी से देखते रहें, निर्लिप्त होकर। थोड़े दिन ये बेकाबू रहेंगे, फिर आपका उन पर कंट्रोल होगा। तनावग्रस्त होने के बाद मेडिटेशन शुरू करने के बजाय तनाव में आने से पहले से ही मेडिटेशन की नियमित आदत डाल लें।
खुद के लिए भी जिएं:
भारतीय नारी की छवि अब आत्मत्यागी बलिदान की देवी की नहीं रह गई। वह अपने लिए जीना भी सीख गई है लेकिन फिर भी घर बाहर की दोहरी जिन्दगी का भार उसे इतना थका देता है कि वह अपने पर उतना ध्यान नहीं दे पाती जितना जरूरी है। समय समय पर अपने को रिचार्ज करती रहें, अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें। योग फिटनेस के लिए अच्छा है। नृत्य भी एक संपूर्ण व्यायाम है।
अच्छा सोचें, सही सोचें:
हमेशा दूसरों में बुराई ढूंढते रहने से मन खराब होता है। नेगेटिव वॉइब्स पैदा होती हैं। सेरिटोनिन हारमोंस प्रवाहित नहीं होते। घृणा अंदर ही अंदर आपकी शक्ति क्षीण करती है। दूसरों के गुणों को हाईलाइट कर देखें। उनके अवगुणों पर चित्त न धरें। देखिए फिर आप अपने को कितना एनर्जेटिक महसूस करते हैं। सकारात्मक सोच खुश रहने सफल जीवन की पहली शर्त है।
प्लानिंग जरूरी है:
टेंशन फ्री रहने के लिए जीवन में प्लान करके चलें। प्लानिंग केवल बड़े-बड़े कार्यस्थलों पर ही नहीं होती। प्लानिंग गृहकार्यों के लिए भी अहम है। कार्य-भार कैसा भी हो, टेंशन का कारण बन सकता है, इसलिए उसे प्राथमिकता के हिसाब से निपटाएं। एक बार में उतना ही कार्य करें जितना आपका तन मन करने के लिए तैयार है। इसी तरह पहले एक काम निपटा कर दूसरे में हाथ डालें। एक साथ कई कार्यों में उलझने से आप अपना ध्यान हंड्रेड परसेंट उसे नहीं दे पायेंगे। इससे बाद में केवल असंतुष्टि ही हासिल होगी।
शौक को पनपने दें :
हर व्यक्ति के कुछ न कुछ शौक जरूर होते हैं। आधुनिक नेट सर्फिंग हो या खेलकूद, साहित्यिक, संगीत, नृत्य प्रेम, पेंटिंग का हो या फोटोग्राफी, एक्टिंग या पुरातत्व या विज्ञापन से संबंधित कुछ भी हो, उन्हें बनाये रखें। जिन्दगी में कुछ शौक न हो तो मनुष्य बेहद नीरस व ऊबाऊ तो होता ही है, तनावग्रस्त भी रहने लगता है। ये शौक ही तो हैं जो तनावों से छुटकारा दिलाते हैं। इन में व्यस्त रहने पर मन भटकने से बच जाता है। नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिलता है जो टेंशन क्रि एट करते हैं।
खुशियां तलाशें थोड़े में:
अपनी खुशियों का दायरा विस्तृत रखें। सिर्फ हीरे की अंगूठी, कंगन या बढ़िया इंपोर्टेड शानदार गाड़ी ही अपनी खुशी का कारण न मानें। अपनी खुशियों को सस्ता रखें ताकि आप उन्हें थोक में अफोर्ड कर सकें। बस नजरिया बदलने की बात है। इसी तरह सुपर वुमन बनने के फेर में अपने रात और दिन का चैन न गंवाएं। अत्यधिक महत्त्वाकांक्षा सिर्फ तनाव देती हैं। उतनी ही आशा रखें जितना कर पाने की आपमें क्षमता है।
शांति रखें हर हाल में :
आपा खो देने से कुछ हासिल न होगा। शांत चित से मुसीबत का सामना बेहतर ढंग से कर पाएंगे। वैसे भी जीवन में शांत चित्त होना बहुत मायने रखता है। आपको पता नहीं लगे शायद लेकिन यह आपका शांतिपूर्ण रवैय्या, शांत व्यवहार ही है जिसके कारण आपके रिश्ते सभी से मधुर हैं।
उषा जैन शीरीं