Christmas festival of love and brotherhood -sachi shiksha hindi

प्रेम व भाईचारे का पर्व क्रिसमस

ईसाई धर्म के लोगों के लिए क्रिसमस का वही महत्व है, जो हिंदुओं के लिए दिवाली का और मुस्लमानों के लिए ईद का। 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था, जिन्होंने ईसाई धर्म की स्थापना की। इसलिए इस दिन को पूरी दुनिया में क्रिसमस-डे के नाम से जाना जाता है।

वैसे भारतीय ईसाई क्रिसमस का त्यौहार बेहद सादगीपूर्ण तरीके से मनाते हैं, लेकिन गोवा के पणजी में इस त्योहार की धूम विदेशों के जैसे होती है। पणजी के समुद्र तटों पर दिसंबर के शुरू होते ही देशी-विदेशी सैलानी आने लगते हैं और 20 दिसंबर के आस-पास तक तो यहां के तट सैलानियों से भर जाते हैं। चूंकि दिसंबर माह में यहां मौसम बहुत ही खुशनुमा रहता है, इसलिए यहां पर समुद्र पर राइडिंग करने का मजा ही कुछ और होता है।

Also Read :-

यहां दिसंबर के आखिरी दिनों में पब, चर्च या सी-बीच पर सांता क्लॉज की टोपी पहने सभी धर्म के लोग क्रिसमस राइम्स की धुनों पर थिरकते हुए मिल जाएंगे। सही मायनों में यहां इंडियन क्रिसमस देखने को मिलता है। चारों तरफ मौसमी फूलों, फलों और केक की सुगंध यहां फैली होती है। क्रिसमस डे मुख्य रूप से खुशियां बांटने का त्यौहार है और इसका असली मकसद आपस में भाई-चारा स्थापित करना है। ईसा मसीह ने भी दुनिया के लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने और सुख-दु:ख में एक दूसरे के काम आने का संदेश दिया था।

क्रिसमस के त्यौहार को अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जैसे फिलीपींस में क्रिसमस ईव से पहले जायंट लैंटर्न फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। जर्मनी में कोई व्यक्ति निकोलस बनता है। अगर हम अपने भारत की बात करें तो यहाँ पर क्रिसमस डे के दिन लोग चर्च जाते हैं, कैंडल जलाकर प्रेयर करते हैं और भगवान यीशु को याद करते हैं। इसके बाद क्रिसमस ट्री को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है।

क्रिसमस डे दिन बाजार दुल्हन की तरह सज जाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को केक खिलाकर आपस में खुशियाँ बाँटते हैं और क्रिसमस डे सेलिब्रेट करते हैं। सेंटा क्ल़ॉज लोगों को गिफ्ट, चॉकलेट आदि चीजें बांटकर जाता है। क्रिसमस डे के दिन लोग अपने परिवार के साथ या दोस्तों के साथ घूमने भी जाते हैं। इस तरह इसे मनाने का हर देश में अलग कल्चर है।

सजाएं सुंदर सा क्रिसमस ट्री

क्रिसमस पर्व की सजावट में सबसे खास होता है, क्रिसमस ट्री। क्रिसमस ट्री को लाइट्स, रंग-बिरंगे गिफ्ट और कैंडी आदि से सजा कर लोग खुशियां मनाते हैं। बच्चे और बड़े क्रिसमस ट्री को सजाने के लिए उत्सुक तो होते हैं, लेकिन उन्हें कई बार उन्हें यह समझ नहीं आता कि क्रिसमस ट्री को आसानी से कैसे सजाएं।

तो आइये जानते हैं कि क्रिसमस ट्री को कैसे सजाया जा सकता है:-

फल और फूलों से सजाएं:

आप क्रिसमस ट्री को खूबसूरत और रंग-बिरंगे फूलों से सजा सकते हैं। हरे रंग के ट्री पर लाल या सफेद रंग के फूल खूबसूरत लगेंगे। आप चाहें तो फूलों के साथ ही फलों का इस्तेमाल भी सजावट में कर सकते हैं। आप क्रिसमस ट्री पर प्लास्टिक के फलों को सजाएं।

फैमिली फोटो से सजाएं:

क्रिसमस पर अनोखे तरीके से ट्री को सजाना चाहते हैं, तो परिवार के सदस्यों की तस्वीरें क्रिसमस ट्री पर लगा सकते हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग या बच्चों की बचपन की तस्वीरों को भी क्रिसमस ट्री पर सजा सकते हैं। इस तरह की डेकोरेशन आपके परिवार के लिए भावनात्मक होने के साथ ही खूबसूरत भी लगेगी।

खाने की चीजों से सजावट:

आप क्रिसमस ट्री पर कैंडी, चॉकलेट, लॉलीपॉप आदि लटका सकते हैं। रंग-बिरंगी ये खाने की चीजें क्रिसमस ट्री की सजावट को आकर्षक बनाएंगी ही, साथ ही अगर घर में बच्चे हैं तो उन्हें ये डेकोरेशन बहुत पसंद आएगी।

अगर न हो क्रिसमस ट्री तो ऐसे करें सजावट:

अगर आपके पास क्रिसमस ट्री नहीं है या फिर आपके घर में क्रिसमस ट्री लगाने की जगह नहीं है तो आप घर की दीवार पर क्रिसमस ट्री सजा सकते हैं। इसके लिए रंग-बिरंगे छोटे-छोटे क्रिसमस ट्री बनाकर दीवार पर हैंगिंग वॉल की तरह सजा सकते हैं। इससे घर में स्पेस भी बचेगा और क्रिसमस की सजावट खूबसूरत भी दिखेगी।

…ताकि वे भी अच्छे इंसान बनें

एक प्रचलित प्रसंग के अनुसार एक दिन ईसा मसीह दुष्ट लोगों के साथ बैठकर भोजन कर रहे थे। ईसा मसीह को बुरे लोगों के साथ बैठा देखकर अन्य लोगों ने प्रभु के शिष्यों से कहा कि तुम्हारा गुरु कैसा है, ये बुरे लोगों के साथ बैठकर खाना खा रहा है। शिष्यों को भी ये बात अच्छी नहीं लगी। उन्होंने अपने गुरु यानी ईसा मसीह को पूरी बात बताई और पूछा कि आप दुष्ट लोगों के साथ बैठकर भोजन कैसे कर सकते हैं?

ईसा मसीह ने सभी लोगों से कहा कि आप सभी मुझे ये बताओ कि स्वस्थ व्यक्ति और बीमार व्यक्ति में सबसे ज्यादा वैद्य की जरूरत किसे होती है? सभी लोगों ने जवाब दिया कि बीमार व्यक्ति को वैद्य की जरूरत होती है। ईसा मसीह बोले कि मैं भी एक वैद्य की तरह ही हूं। बुरे लोग रोगी की तरह हैं। उन लोगों की बीमारी दूर करने के लिए मैं उनके साथ बैठकर खाना खाता हूं, उनके साथ रहता हूं। ताकि वे भी अच्छे इंसान बन सके। अच्छे लोगों से पहले बुरे लोगों का मार्गदर्शन करना चाहिए, क्योंकि उन्हें सही-गलत का ध्यान नहीं रहता है।

भटके हुओं से करें विशेष प्रेम

एक दिन ईसा मसीह ने देखा कि एक गडरिया अपनी छोटी भेड़ को अपने कंधे पर उठाकर ले जा रहा है। कुछ देर बाद उसने भेड़ को कंधे से उतारा, फिर स्नान कराया और उसके बालों को सुखाया। गडरिए ने भेड़ को खाने के लिए ताजी हरी खास दी। इतना सब करके वह गडरिया बहुत खुश था। ईसा मसीह उसके पास गए और उससे पूछा कि तुम इस भेड़ की देखभाल करके बहुत खुश हो, इसकी वजह क्या है?

गडरिए ने जवाब दिया कि प्रभु ये भेड़ जंगल में जब भी जाती है भटक जाती है। मेरे पास और भी भेड़ें हैं, लेकिन वे सभी शाम अपने घर आ जाती हैं, बस ये छोटी भेड़ ही रास्ता भटक जाती है। मैं इसे विशेष स्नेह देता है, इसका खास ध्यान रखता हूं, ताकि ये फिर कहीं रास्ता न भटके।

गडरिए की बात सुनकर ईसा मसीह ने शिष्यों से कहा कि ये बात हमेशा ध्यान रखना, अपने भटके हुए भाइयों के साथ हमें विशेष स्नेह रखना चाहिए, उनके साथ ठीक ऐसा ही व्यवहार करें, जैसा ये गडरिया अपनी इस भेड़ के साथ करता है। जो लोग अपने मार्ग से भटक गए हैं, उन्हें विशेष स्नेह और प्रेम द्वारा ही वापस रास्ते पर लाया जा सकता है।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!