Jamun is a priceless gift of nature

जामुन प्रकृति का अनमोल तोहफा Jamun is a priceless gift of nature
भारत फलों की विविधता की दृष्टि से अनुपम देश है। यहाँ हर मौसम में स्वादिष्ट व गुणों से भरपूर फल उपलब्ध हो जाते हैं। प्रकृति की ओर से जामुन एक अनमोल तोहफा है। यह जामुन का मौसम है। इस मौसम में सेहत के लिए बेहद फायदेमंद जामुन को डायबिटीज जैसी कुछ बीमारियों के लिए वरदान माना जाता है।

स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह अनेक रोगों की अचूक दवा भी है। आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य चरक द्वारा सुप्रसिद्ध ग्रंथ, ‘चरक संहिता’ में वर्णित औषधीय योग ‘पुष्यानुग-चूर्ण’ में भी जामुन की गुठली मिलाए जाने का विधान है। इस संहिता के अनुसार जामुन की छाल, पत्ते, फल, गुठलियाँ, जड़ आदि सभी आयुर्वेदिक औषधियाँ बनाने में काम आते हैं। जामुन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा कैल्शियम भी बहुतायत में पाया जाता है।

जामुन एक सदाबहार वृक्ष है, जिसके फल बैंगनी रंग के होते हैं। यह वृक्ष भारत एवं दक्षिण एशिया के अन्य देशों एवं इण्डोनेशिया आदि देशों में भी कई जगह पर पाया जाता है।

जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है। एक मध्यम आकार का जामुन 3-4 कैलोरी देता है। इस फल के बीज में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह लौह खनिज का बड़ा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम में एक से दो मिग्रा आयरन होता है। इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं।

जामुन स्वाद में खट्टा-मीठा होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। इसमें उत्तम किस्म का शीघ्र अवशोषित होकर रक्त निर्माण में भाग लेने वाला तांबा पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह त्वचा का रंग बनाने वाली रंजक द्रव्य मेलानिन कोशिका को सक्रिय करता है,

अत:

यह रक्तहीनता तथा ल्यूकोडर्मा की उत्तम औषधि है।

जामुन के मौसम में जामुन अवश्य खायें। यह साल के बाकी के दिनों में आसानी से उपलब्ध नहीं होता। यदि होता भी है तो जो बात मौसमी फलों में होती है, वह बेमौसम फलों में नहीं होती। इसलिए जहां तक हो सके हर मौसम के फलों का लुत्फ उसके मौसम में ही उठाएं तो ज्यादा अच्छा रहता है। जामुन सामान्यत: जून-जुलाई माह में सर्वत्र उपलब्ध रहते हैं।
जामुन में आयरन (लौह-तत्व), विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में होने से यह हृदय-रोग, लीवर, अल्सर, मधुमेह, वीर्य दोष, खाँसी, कफ (दमा), रक्त विकार, वमन, पीलिया, कब्ज, उदररोग, पित्त, वायु-विकार,अतिसार, दाँत और मसूढ़ों के रोगों में विशेष लाभकारी है।


काले जामुन के उजले गुण :-

  • जामुन की गुठली के अंदर की गिरी में ‘जंबोलीन’ नामक ग्लूकोसाइट पाया जाता है। यह स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है। इसी से मधुमेह के नियंत्रण में सहायता मिलती है।
  • जामुन के कच्चे फलों का सिरका बनाकर पीने से पेट के रोग ठीक होते हैं। अगर भूख कम लगती हो और कब्ज की शिकायत रहती हो तो इस सिरके को ताजे पानी के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह और रात्रि में सोते वक्त एक हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज दूर होती है और भूख बढ़ती है।
  • गले के रोगों में जामुन की छाल को बारीक पीसकर सत बना लें। इस सत को पानी में घोलकर ‘माउथ वॉश’ की तरह गरारा करना चाहिए। इससे गला तो साफ होगा ही, साँस की दुर्गंध भी बंद हो जाएगी और मसूढ़ों की बीमारी भी दूर हो जाएगी।
  • विषैले जंतुओं के काटने पर जामुन की पत्तियों का रस पिलाना चाहिए। काटे गए स्थान पर इसकी ताजी पत्तियों का पुल्टिस बाँधने से घाव स्वच्छ होकर ठीक होने लगता है। क्योंकि, जामुन के चिकने पत्तों में नमी सोखने की अद्भुत क्षमता होती है।
  • जामुन यकृत को शक्ति प्रदान करता है और मूत्राशय में आई असामान्यता को सामान्य बनाने में सहायक होता है।
  • जामुन का रस, शहद, आँवले या गुलाब के फूल का रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक-दो माह तक प्रतिदिन सुबह के वक्त सेवन करने से रक्त की कमी एवं शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।
  • जामुन के एक किलोग्राम ताजे फलों का रस निकालकर ढाई किलोग्राम चीनी मिलाकर शरबत जैसी चाशनी बना लें। इसे एक ढक्कनदार साफ बोतल में भरकर रख लें। जब कभी उल्टी, दस्त या हैजा जैसी बीमारी की शिकायत हो, तब दो चम्मच शरबत और एक चम्मच अमृतधारा मिलाकर पिलाने से तुरंत राहत मिल जाती है।
  • जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है।
  • गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है। इसकी छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है।
  • जामुन की गुठली का चूर्ण बनाकर खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है।
  • यदि आपके पथरी बन भी गई हो तो इसकी गुठली के चूर्ण का प्रयोग दही के साथ करने से लाभ मिलता है।
  • 20 ग्राम जामुन की गुठली पानी में पीसकर आधा कप पानी में घोलकर सुबह-शाम दो बार पिलाने से खूनी दस्त बन्द हो जाते हैं
  • जामुन की गुठली का चूर्ण आधा-आधा चम्मच दो बार पानी के साथ लगातार कुछ दिनों तक देने से बच्चों द्वारा बिस्तर गीला करने की आदत छूट जाती है।
  • मुंह में छाले होने पर जामुन के रस का प्रयोग करने से छाले समाप्त हो जाते हैं।
  • मुंहासे होने पर, जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लीजिए। इस पाउडर में रात को सोते समय गाय का दूध मिलाकर चेहरे पर लगाइए और सुबह ठंडे पानी से धुल लीलिए।
  • एसिडिटी होने पर जामुन का भूना हुआ चूर्ण, काला नमक के साथ सेवन कीजिए। एसिडिटी समाप्त हो जाएगी।

सावधानियां:-

  • अधिक मात्रा में जामुन खाने से शरीर में जकड़न एवं बुखार होने की सम्भावना भी रहती है।
  • इसे कभी खाली पेट नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे पेट दर्द की शिकायत हो सकती है।
  • यह पाया गया है कि जामुन खाने के बाद कभी भी दूध नहीं पीना चाहिए।

डायबिटीज से बचना है तो खाएं जामुन, चॉकलेट

लंदन (20 जनवरी 2014)। एक अध्ययन में पता चला कि जामुन, चाय और चॉकलेट का हर रोज पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से मधुमेह का खतरा कम रहता है। ईस्ट एंजेलिया विश्वविद्यालय एवं ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकतार्ओं के मुताबिक जामुन, चाय और चॉकलेट में मौजूद फ्लेवोनॉयड एवं एंथोसाइनिंस का उच्च स्तर टाइप 2 मधुमेह से रक्षा करता है।

’ पत्रिका ‘जर्नल आॅफ न्यूट्रीशन’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक जामुन, चाय और चॉकलेट का पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से इंसुलिन प्रतिरोध का स्तर और रक्त में ग्लूकोज का स्तर ठीक बना रहता है। शोधकतार्ओं ने करीब 2,000 स्वस्थ महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी कारकों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जो महिलाएं एंथोसाइनिंस और फ्लेवोंस का भरपूर मात्रा में सेवन करती हैं, उनके शरीर में इंसुलिन का स्तर सामान्य है।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!