रूरल मैनेजमेंट: ग्रामीण क्षेत्रों को गति देने वाला पेशा

यदि आप ग्रामीण विकास में योगदान के साथ ही अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो आपके लिए रूरल मैनेजमेंट की फील्ड बेहतरीन साबित हो सकती है। हमारे देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, जब गांवों में इतनी ज्यादा संख्या में लोग रहते हैं, तो यहां करियर की कई बेहतरीन संभावनाएं भी उपलब्ध हैं।

दरअसल हमारे देश की जीडीपी में ग्रामीण क्षेत्रों का 50 प्रतिशत योगदान है। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की विकास दर भी बढ़ रही है, यानि ग्रामीण भारत का तेजी से विकास हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए रूरल मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की भारी मांग है। रूरल मैनेजमेंट में न केवल बेहतरीन पैकेज दिया जा रहा है बल्कि रोजगार की अपार संभावनाओं के चलते युवा इस करियर में अपनी किस्मत आजमा रहे है। यदि आप भी ग्रामीण विकास में अपना योगदान देने के साथ ही करियर बनाना चाहते हैं,

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तो आइये जानते है इस फील्ड से जुड़े करियर के बारे में।

रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज की अवधि:

रूरल मैनेजमेंट के क्षेत्र में चार प्रकार के कोर्सेज उपलब्ध हैं। इन कोर्सेज की अवधि मुख्यत: कोर्सेज के लेवल पर निर्भर करती है। कुछ कोर्सेज का उल्लेख नीचे किया गया है।

डिप्लोमा:

12वीं पूरी करने के बाद रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है। इस कोर्स की अवधि आम तौर पर छह महीने से एक वर्ष तक की होती है।

अंडर ग्रेजुएट:

रूरल मैनेजमेंट में अंडर ग्रेजुएट कोर्स को रूरल मैनेजमेंट में बीए के नाम से जाना जाता है। आम तौर पर यह कोर्स 3 साल की अवधि का होता है। इसमें एडमिशन के लिए 10+2 पास होना जरुरी होता है।

पोस्ट ग्रेजुएट:

रूरल मैनेजमेंट के क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री 2 साल की अवधि में प्राप्त की जाती। इस कोर्स को पूरा करने पर रूरल मैनेजमेंट में पीडीजीएम या रूरल मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री प्रदान की जाती है।

डॉक्टोरल कोर्स:

डॉक्टोरल कोर्स को सामन्यत: पीएचडी की डिग्री के रूप में जाना जाता है। किसी भी क्षेत्र में पीएचडी की डिग्री को सबसे हाइएस्ट डिग्री के रूप में जाना जाता है। इसे आमतौर पर 3 से 4 साल में पूरा किया जाता है।

एडमिशन लेने के लिए योग्यता:

डिप्लोमा :

रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा एक फाउंडेशन कोर्स है जिसे आपके द्वारा 10+2 पूरा करने के बाद न्यूनतम 50% मार्क्स लाने वाले कैंडिडेट्स कर सकते हैं।

अंडर ग्रेजुएट:

न्यूनतम 50% मार्क्स के साथ किसी भी स्ट्रीम में 10+2 पूरा करने के वाले कैंडिडेट रूरल मैनेजमेंट में बीए के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

पोस्ट ग्रेजुएट:

किसी मान्यता प्राप्त संस्थान / कॉलेज से न्यूनतम 50% मार्क्स के साथ ग्रेजुएशन पूरा करने वाले कैंडिडेट पोस्ट ग्रेजुएट के लिए आवेदन कर सकते हैं।

डॉक्टरेट कोर्स:

रूरल मैनेजमेंट में पीएच.डी. के लिए कैंडिडेट के पास एआईसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से रूरल मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए। इसके बाद इस कोर्स में एडमिशन के लिए आपके पहले स्टेप के तौर पर एंट्रेस टेस्ट देना होगा।

इन विषयों का करवाया जाता है अध्ययन:

रूरल प्लानिंग एंड डेवेलपमेंट:

इस विषय के अध्ययन से ग्रामीण परिदृश्य से संबंधित ज्ञान और कौशल विकसित होता है। इसके लिए क्षेत्र विशेष के समग्र विकास के लिए उपलब्ध संसाधनों के सही उपयोग की कला भी इसके अंतर्गत सिखाया जाता है।

नेचुरल रिसोर्स डेवेलपमेंट एंड मैनेजमेंट:

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह विषय प्राकृतिक संसाधनों के विकास से जुड़े विषयों से संबंधित है और कृषि क्षेत्र की समृद्धि के लिए उन्हें कैसे मैनेज करना है? इसका सम्पूर्ण ज्ञान इसके अन्दर प्रदान किया जाता है।

रूरल मार्केटिंग एंड मैनेजमेंट:

मार्केटिंग रूरल डेवेलपमेंट का एक अभिन्न अंग है। इस क्षेत्र में अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की मार्केटिंग के लिए विक्रेता रणनीतियां तैयार करते हैं। इन सभी चीजों का वर्णन तथा सही मार्केटिंग की टेक्नीक इस विषय के अंतर्गत पढ़ाया जाता है।

रूरल कम्युनिटी फैसलिटिज एंड सर्विसेज:

ग्रामीण परिदृश्य को विकसित करने के लिए, स्वच्छता, जल निकासी इत्यादि जैसी बुनियादी आधारभूत सुविधाओं के विकास पर ध्यान देना बहुत जरुरी होता है और इन्ही सभी विषयों की व्यापक जानकारी इस विषय में प्रदान की जाती है।

सोशल सिक्यूरिटी प्रॉब्लाम्स, पॉलिसीज एंड प्रोग्राम:

कानून और व्यवस्था हमारी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बहुत जरुरी है। इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के लिए भारतीय कानून और उसके प्रभाव का विस्तृत अध्ययन कराया जाता है।

ऐसे मिलेगी कोर्स में सफलता:

यदि आप इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको कई स्किल्स के साथ कुछ ऐसी योग्यताओं की जरूरत पडेÞगी जो आपकी जरूरतें पूरा करेंगी। इसके लिए मुख्?यतौर पर आपमें ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने की इच्छा और उत्सुकता के साथ आपको कई स्किल्स बढ़ाने की जरूरत पड़गी। जिसमें बातचीत की कला, स्थानीय रीति-रिवाजों के प्रति संवेदनशीलता, विभिन्न प्रकार के लोगों में घुल-मिल जाना आदि। अन्य प्रबंधन कोर्सेज की तरह यहां भी विश्लेषण की क्षमताए नेतृत्व क्षमतां, समस्या निष्पादन क्षमता आदि लाभप्रद होती हैं।

कोर्सेज के लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम:

सभी प्रोफेशनल कोर्सेज में एडमिशन एंट्रेंस एग्जाम में आपके द्वारा पाए गए मार्क्स पर ही आधारित होता है। इसलिए आपको सभी एंट्रेंस एग्जाम की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए ताकि आप सही समय पर तैयारी शुरू कर सकें और परीक्षा में हाई कट आॅफ ला सकें।

डिप्लोमा:

राज्य बोर्ड रूरल मैनेजमेंट के डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करता है। इच्छुक उम्मीदवार कॉमन एंट्रेंस फॉर्म के माध्यम से आॅनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

अंडर ग्रेजुएट:

अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए उन यूनिवर्सिटीज में जहाँ रूरल मैनेजमेंट कोर्स करवाए जाते हैं,आवेदन करें।

पोस्ट ग्रेजुएट:

पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन के लिए कई एंट्रेंस एग्जाम हैं, जैसे- कैट, मैट, जैट, आईआरएमए, एनएमआईएमएस, स्नैप, इक्फाई, सीमैट, एमएच-सीईटी, एमएटी आदि।

डॉक्टोरल कोर्सेज:

जो लोग प्रासंगिक स्ट्रीम में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री उत्तीर्ण कर चुके हैं वे संबंधित यूनिवर्सिटी जो पीएचडी प्रोग्राम आयोजित करते हैं में पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इन क्षेत्रों में ढेरों जॉब आॅप्शन:

इस क्षेत्र में छात्रों के लिए करियर के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। ये प्रबंधन के सभी कार्यात्मक क्षेत्रों में काम करते हैं, जैसे सिस्टम, मानव संसाधन, परचेज, मार्केटिंग, फाइनेंस, सामान्य प्रबंधन, प्रोजेक्ट इिप्लमेंटेशन आदि। इस क्षेत्र के छात्र सरकारी और गैर-सरकारी दोनों ही संस्थाओं में मैनेजर, नीति निर्माता, विश्लेषक, शोधकर्ता, सलाहकार आदि के रूप में कार्य कर सकते हैं।

  • सरकारी क्षेत्र में ग्रामीण विकास की योजनाओं, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में काम करने का अवसर होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले बैंक भी इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को बतौर प्रबंधक नियुक्त करते हैं। प्रतिभाशाली युवाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय एनजीओ, संयुक्त राष्ट्र संघ और उससे जुड़ी एजेंसियों में भी जाने का मौका होता है।
  • निजी कंपनियों को भी आधुनिक संचार व्यवस्था के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं, जिसके लिए प्रशिक्षितों की जरूरत होती है।
  • कई स्वयंसेवी संगठन अपने यहां ग्रामीण प्रबंधक के रूप में ऐसे लोगों की नियुक्ति करते हैं, जो गांवों में विकास की योजना को अमलीजामा पहना सकें।
  • योग्य उम्मीदवारों के लिए तिलहन, दुग्ध उत्पादन, गन्ना उत्पादनसमितियों आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर हैं। — रूरल मैनेजमेंट में स्नातक के बाद आप सरकारी और निजी संगठनों के साथ रिसर्च, एडवाइजरी और कंसल्टेंसी का कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो अपना एनजीओ भी खोल सकते हैं।

रूरल मैनेजमेंट करने के बाद सैलरी:

  • एरिया एक्जीक्यूटिव: 4 से 5 लाख
  • मार्केटिंग एंड सेल्स मैनेजर: 4 से 5 लाख
  • रूरल मैनेजर:1 से 3 लाख
  • सीनियर प्रोग्राम आॅफिसर: 4 से 5 लाख
  • रिसर्च हेड: 7 से 8 लाख

भारत में टॉप रुरल मैनेजमेंट कॉलेज:

  • इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद
  • इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, लखनउ
  • इंस्टीट्यूट आॅफ रुरल मैनेजमेंट आनंद गुजरात
  • जेवियर इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट भूवनेश्वर
  • जेवियर इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल सर्विस, झारखंड
  • चंद्र शेखर आजाद यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर
  • जेवियर यूनिवर्सिटी, भूवनेश्वर
  • सिंबोसिस इंस्टीट्यूट आॅफ इंटरनेशनल बिजनेस, पूणे
  • केरला एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, केरला
  • नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग, जयपुर

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