Welcome 2021 with a smile Learn something forget something grow further - Sachi Shiksha

हर वर्ष हम नव वर्ष की शुरूआत दूसरों को खुशी और समृद्धि की शुभकामनाएं देकर करते हैं। समृद्धि का सही लक्षण क्या है? समृद्धि का लक्षण मुस्कराहट, संतोष है। 2021 का स्वागत एक वास्तविक मुस्कराहट के साथ करें। एक ऐसी मुस्कराहट जो भीतर से हो। कैलेंडर के पन्ने पलटने के साथ-साथ हम अपने मन के पन्नों को भी पलटते जाएं।

प्राय: हमारी डायरी स्मृतियों से भरी हुई होती है। ध्यान दें कि आपकी आने वाली तारीखें बीती हुई घटनाओं से न भर जाएं। बीते हुए समय से कुछ सीखें, कुछ भूलें ओर आगे बढ़ें।

नए साल की ताजगी में खुद को सराबोर कर लीजिए। इस साल खुद से जरा ज्यादा प्यार कीजिए। कुछ बदलाव लाइए अपनी सोच और अपनी आदतों में, और देखिए कि कैसे आपकी जिंदगी महक उठेगी। तो आज आपसुबह उठकर मुस्कराएं या नहीं? जिसकी कई एक वजहें मिलेंगी। दरअसल ये रोज के कामकाज, जिम्मेदारियां और तनाव ही तो जिंदगी को हसीन बनाते हैं। नए साल की इस नई ब्यार में केवल मुस्कुराहट ही नहीं, खुद से थोड़ा और प्यार कर लीजिए।

खुद से प्यार करेंगे, तो खुश रह पाएंगे। आपके खुश रहने की आदत, आपकी सकारात्मकता आपके बच्चों में भी जाएगी, जो उन्हें आगे जिंदगी के उतार-चढ़ावों का हंसते-हंसते सामना करने में सक्षम बनाएगी। अपने जीवन में अपने लिए कुछ अच्छी सोच और अच्छी आदतों से एक खुशहाल शुरूआत कीजिए।

खुलकर जीना सीखें

सुंदरता, सेहत और घर-बार! हमारी इस दुनिया के आगे भी बहुत कुछ है, जिस तक हम इच्छा होते हुए भी पहुंच नहीं पाते। कभी अपने दायित्वों के कारण, तो कभी अपने संकोच और लोग क्या कहेंगे जैसी अपनी भावना के कारण। पर इस बार खुद से वायदा कीजिए कि आप अपने लिए फैसले ये सोचकर नहीं लेंगे कि ‘लोग क्या कहेंगे’।

उन बातों पर अमल कीजिए,जिनसे आपको खुशी मिलती है। फिर चाहे वो सूट पहनने की बात हो या एरोबिक्स क्लास ज्वाईन करने की। कुछ नया करने से आपको खुशी मिलती है, तो दूसरों की ना सोचें।

खुद पर करें यकीन

आत्मविश्वास सफलता के साथ-साथ सुकून की भी कुंजी है। जब आपको खुद पर यकीन होता है तो आप जीवन में ज्यादा बेहतर ढंग से फैसले ले पाते हैं। हम सबमें सोचने-समझने की क्षमता समान रूप से होती है, लेकिन घर के सुरक्षित वातावरण में पली-बढ़ी महिलाएं अक्सर खुद से निर्णय लेने में हिचकती हैं।

तो, यह डर मन से निकाल दीजिए और पूरी मजबूती के साथ अपने फैसले लीजिए। हो सकता है कि शुरू में ही कुछ गलत-सही निर्णय हो, पर धीरे-धीरे आपकी हिचकिचाहट खत्म होगी और सही फैसले तक पहुंचने की राहें आसान बनेंगी। आपका विश्वास बढ़ता जाएगा और आपको अपने ही व्यक्तित्व से प्यार होने लगेगा।

भावों को व्यक्त करें

खुद से प्यार करने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप मन से परेशान हों, लेकिन लबों पर मुस्कराहट सजाए रखें। खुद को सुपर बनाने की दौड़ में शामिल होने की कोई जरूरत नहीं है। हर व्यक्ति में कई तरह के डर होते हैं, पसंद-नापसंद होती है और ये भावनाएं हमें बहुत प्रभावित करती हैं।

जाहिरा तौर पर आपको भी प्रेम, उल्लास, दुख और पीड़ा जैसे भाव समान रूप से महसूस होते होंगे। उन्हें दबाए रखने की क्या जरूरत है? अगर चिढ़ महसूस हो रही है, तो आप अपने घर में ही हैं, उसे व्यक्त करें। अपने भावों को छिपाएं नहीं। किसी ने खुशी दी, तो अपनी प्रसन्नता जाहिर करें और यदि किसी बात से आप सहमत नहीं हैं तो अपनी असहमति भी व्यक्त करें।

गलती हो गई तो क्या!

हम अक्सर अपना जीवन दूसरों की शाबाशी पाने में बिता देते हैं। इसका ऐसा दबाव होता है कि अगर कोई गड़बड़ हो गई, तो गजब का अपराधबोध होता है। हालांकि इसकी कोई जरूरत नहीं होती। जब अपने दायित्वों को अपनी सामर्थ्य भर पूरा करने में कसर बाकी नहीं रखी, तो अगर कोई गलती हो भी गई, तो आत्मविश्वास के साथ इसे स्वीकार करें और मानें कि आप भी इंसान हैं।

गलतियां हमे हमेशा कुछ नया सिखाती हैं और पहले से ज्यादा बेहतर इंसान बनाती हैं। इसीलिए यदि कोई गलती हो जाए तो उसे दिल से लगाकर न बैठें। पुरानी बातों को छोड़कर आगे की सुध लें। जो बीत गया उस पर पछतावा कर करके अपने आप और आने वाले कल को खराब करना कोई समझदारी का काम नहीं है।

सूरत से बड़ी होती है सीरत

हम सब अच्छा दिखना चाहते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि आकर्षक दिखने की चाह आपके जीवन पर हावी होने लगे। एक खूबसूरत चेहरा कुछ समय तक ही याद रहता है, लेकिन खूबसूरत व्यवहार इंसान को हमेशा के लिए यादगार बना देता है।

तो इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि बाहरी खूबसूरती के साथ-साथ आपके मन और व्यवहार से भी सुंदरता झलके। मृदुभाषी होना, दूसरों की मदद करना और व्यवहार में सौम्यता जैसी बातें आपको आकर्षण का केन्द्र बनाती हैं।

ना कहना सीखें

कोई भी इंसान सभी को समान रूप से खुश नहीं रख सकता। किसी अन्य की खुशी के लिए हमेशा खुद को दिक्कत में डाल देना तो बिल्कुल भी समझदारी नहीं है। इसीलिए हमेशा हर काम के लिए तत्पर ना रहें।

यदि आपको लगता है कि किसी कार्य को करने से आपकी मानसिक शांति भंग हो रही है या आपको कोई परेशानी हो रही है तो उस काम को करने से शालीनता से मना कर दें। खुद को अकारण परेशानियों में ना डालना भी स्वयं से प्रेम करने का ही एक रूप है।

दोस्ती में भी थोड़ा चुनाव जरूरी है

दोस्ती हमारी खुशी के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन हमारे आसपास अच्छे और बुरे, दोनों तरीके के लोग होते हैं। कुछ लोग वास्तव में हमारी कद्र करते हैं, लेकिन कुछ दोस्त ऐसे भी होते हैं, जो सिर्फ आपको उपयोग करना ही जानते हैं।

ऐसे दोस्तों और रिश्तों को पहचानिए और दृढ़ता के साथ उन्हें अपने जीवन से बाहर निकाल दीजिए। इस तरह के लोग आपके जीवन से सकारात्मक ऊर्जा निकालकर नकारात्मकता भरने लगते हैं, जो किसी भी लिहाज से सेहतमंद नहीं है।

आप हैं सबसे महत्वपूर्ण

एक मजबूत पेड़ ही दूसरों को छाया दे सकता है-ये कहावत आपने जरूर सुनी होगी। तो यह बात आप पर भी लागू होती है। लेकिन, अक्सर जिम्मेदारियों का बोझ महिलाएं इतना मान लेती हैं कि खुद को भूलकर उन्हें निभाती हैं। अपनी सोच बदलिए। अगर आपका आराम करने का मन है तो बिना किसी दबाव के आराम कीजिए।

घर-परिवार संभालने वाली प्रमुख कर्ताधर्ता होने के नाते महिलाओं का यह अधिकार है। अपने लिए समय निकालिए, घर के कार्यों से ब्रेक का दिन तय कीजिए। जब आप खुद को महत्वपूर्ण समझने लगेंगे, तो ही बाकी लोग भी आपको तवज्जो देंगे।

युवा जरूर करें ये काम

बहानों को आग लगा दें: आलस्य, कम्फर्ट जोन को, गॉसिप को, असफलताओं के बोझ को, हीन भावनाओं को, अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालने को, जात-पात, भाषा, रंग, शहर, सुविधा, परिवार, कम शिक्षा जैसे हर बहाने को आग लगा दीजिए। फिर देखिए, आप कैसे इतिहास रचने में सफल रहते हैं।

पैर न सिकोड़े, चादर बड़ी करें: युवा छोटी चादर पर पैर ना सिकोड़ें, बल्कि दिल खोलकर पैर फैलाने की सोचें और चादर बड़ी करने में अपनी पूरी ताकत लगा दें। सपनों को छोटा मत कीजिए, हौंसलों को बड़ा कीजिए।

दुनिया बदलने की सोचें: देश और दुनिया बदलने की सोचें, खुलकर अपने विचार रखें और अपना आइडिया दुनिया तक पहुंचाएं। यदि किसी व्यवस्था को देखकर गुस्सा आता है तो उसका विरोध करें।

असफलता का भी करें सम्मान: कोई व्यक्ति यदि यह कहे कि मैं कभी असफल नहीं हुआ, तो इसका मतलब है उसने कभी प्रयास ही नहीं किया। असफलता का सम्मान कर उससे सीखेंगे तो सफलता अपने आप कदम चूमेगी।

हर किसी से सलाह न लें: अधिक लोगों से सलाह लेने का मतलब है कि काम को तबाह करना। भीड़ चाहती है कि आप भीड़ की तरह जिएं ओर उन्हीं की तरह सोचें। कुछ बड़ा करना है तो भीड़ के विपरीत सोचना होगा।

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