happiness खुशी की कमान स्वयं संभालें
खुशी कोई दुर्लभ चीज नहीं है जो मिल न सके। यदि हम खुश होना चाहते हैं तो हम जÞरूर खुश रह सकते हैं बस जÞरुरत है खुशी की हर उस चीज को सहेजने की जो खुशी देती है। अपनी खुशियों की तुलना किसी और से न करें। अपने आस पास सकारात्मक व खुशनुमा लोगों को रखिये। खुशियां संक्रामक होती हैं, यह एक ऐसा संक्रमण है जिसके लिए हम सब को तैयार रहना चाहिए।
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जब भी हम किसी मुश्किल में पड़ें तो खुद पर तरस खाने की बजाए उन परेशानियों से बाहर निकलने की कोशिश करें। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम परिस्थितियों को अपनी सोच एवं इच्छाओं के अनुरूप ढाल लें। हास्य विनोद की समझ आपके लिए मुश्किल समय में भी प्रसन्नता ला सकती है। सबसे बेहतर तरीका है मुश्किलों को सहजता से लेना।
अपने कपड़ों को ठीक कीजिये और जब मुश्किलें आप को घूर रही हों तो भी बिलकुल न घबराएं। खुशी का कोई निश्चित सूत्र नहीं है पर निश्चित तौर पर आपको स्वयं को पता है कि आप कैसे और कब खुश हैं। कभी भी यह सोचकर कि आप खुशियों के पात्र नहीं हैं या खुशियां आपके नसीब में नहीं है, अपनी खुशियों का गला मत घोटिये।
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कतार में भी हैं तो भी व्यस्त रहें:
आप ट्रैफिक में फंस गए हैं, लम्बी कतार में खड़े हैं, स्थिति को कोसने की बजाय उस स्थिति का भी आनंद लें। गुस्सा व्यक्त न कर आपको ऐसे समय में कुछ पढ़ना चाहिए या अपने बचे हुए कामों की लिस्ट बना लेनी चाहिए। अपने आप से वादा कीजिये कि अपने प्रति अच्छा भाव रखेंगे एवं ऐसे अच्छे लोगों से ज्यादा मेल जोल रखेंगे जिनकी संगत में आप खुश रहते हैं। हर पल को ऐसे जियें जैसे वह विशिष्ट है। यदि जीवन में आगे रहना चाहते हैं तो अपने प्रतिदिन के क्रिया कलापों का उचित मूल्यांकन करते रहना चाहिए एवं यथासंभव बदलाव भी करते रहें।
कोई और आपके लिए खुशी क्यों तलाशे?
अपने आपको शुरू करने के लिए हमें किसी प्रोत्साहन का इंतजार नहीं करना चाहिए। यह काम ही है जो प्रोत्साहन पैदा करता है। जीवन के हर पल को आनंदपूर्वक जीना अपनी आदत बना लीजिये, न कि किसी बाहरी खुशी के आने का इंतजार करें। मगर साथ ही साथ आप जीवन में क्या चाहते हैं उस स्थिति पर ध्यान केंद्रित करें। कभी न सोचें कि दूसरों के लक्ष्य ही आपकी मंजिल है।
यदि आपका कोई निर्धारित लक्ष्य नहीं है तो सब से पहले लक्ष्य का निर्धारण करें। यह एक कड़वा सच है कि जिसके पास जितना काम करने को होता है उसके पास समय भी उतना ही कम होता है। टाल-मटोल कर हम अवसरों का गला घोंट देते हैैं। किसी भी आसान काम को टालना उसे मुश्किल बना देता है। और याद रखिये कि मुश्किल काम को टालना उसे असम्भव बना देता है।
हाथ पर हाथ रखने या जेब में हाथ डालने से खुशी नहीं मिलती
एक चीज हमेशा याद रखें कि आपके लिए क्या अच्छा है क्या बुरा, यह आपसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता। अपने आप के सबसे बड़े विशेषज्ञ आप स्वयं हैं। जब आप अपनी मंजिÞल की ओर चल पड़ते हैं तो भूल जाएँ कि लोग आपके बारे में क्या सोच रहे हैं। अपनी यात्रा की खुशी का भी आनंद लें। तब तक विश्राम न करें जब तक आप उसे पा न लें। किसी भी चीजÞ में हमारी सफलता उसमें हमारे ठीक रहने की क्षमता पर निर्भर करती है।
अपनी जेब में हाथ डालकर आप सफल नहीं हो सकते। यदि सफलता आपकी मंजिÞÞल है, और यही तुम्हारी खुशी भी, तो इसके लिए द्वार खोलना भी जÞरूरी है। और द्वार खोलने के लिए हाथ जेब में नहीं रख सकते। याद रखें जो भी आप जीवन में सीखते हैं कर के ही सीखते हैं।
यही वो चीजÞ है जो आपको सक्रिय एवं ऊर्जावान बनाये रखती है। सदा याद रखिये कि स्वर्ग देखने के लिए स्वयं मरना पड़ता है। यदि स्वर्ग देखना है तो खुद मरेंगे तभी तो देखेंगे। दूसरा ठोकर खाये बिना कोई ठाकुर नहीं बनता। कुछ बनना है तो स्वयं ठोकरें भी खानी होंगी। संघर्ष भी करना होगा तभी वह खुशी मिल पाएगी। ऐसा नहीं हो सकता कि ठोकर कोई और खाये और ठाकुर आप बन जाएँ।
-यशपाल