बच्चे को सिखाएंस्वस्थ खान-पान की आदतें
आज अधिकतर अभिभावक इस बात से परेशान हैं कि उनके बच्चे की खान-पान की आदतें स्वस्थ नहीं हैं। उन्हें बस पीजÞा, पोटेटो चिप्स, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक चाहिए। घर के बने खाने से तो जैसे बच्चों को परहेज है। इन गलत आदतों के जिम्मेदार काफी हद तक अभिभावक हैं, क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं जो अभिभावक उन्हें सिखाते हैं। अभिभावक जिस प्रकार का भोजन करते हैं, बच्चे भी उनकी देखादेखी वही आदतें अपनाते हैं।
अगर अभिभावक बहुत अधिक कैलोरी कांशियस हैं तो वे अपने बच्चे की खाने की मात्र पर बहुत नियंत्रण रखते हैं। कहने का अर्थ यह है कि अगर अभिभावक चाहें तो बच्चों में प्रारंभ से ही स्वस्थ आदतें डाल सकते हैं ताकि आगे जाकर उन्हें मुश्किलों का सामना न करना पड़े।
आइए जानें कैसे-
एक अच्छे ‘रोल मॉडल बनिए। अगर आप चाहते हैं बच्चे फल, सब्जियां खाएं तो आप अपने में भी यह आदतें डाल लीजिए। पहले अपने खाने पीने पर ध्यान दें, फिर बच्चे की। आपकी डाइट बच्चे की खान-पान की आदतों को प्रभावित करती है।
बच्चा जैसे ही ठोस आहार ग्रहण करना प्रारंभ करे, उसे सही आहार देना प्रारंभ करें। अगर प्रारंभ से ही इस बात का ध्यान रखा जाए तो बच्चे बड़े होकर भी वही आहार ग्रहण करते हैं। जो बच्चे प्रारंभ से ही फल सब्जियों से दूर भागते हैं, वे बड़े होकर भी सही आहार नहीं लेते।- बच्चे को बचपन में जंक फूड या फ्राइड फूड खिलाने की आदत न डालें। उन्हें फल, सब्जियां व प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ दें। जब बच्चा छोटा होता है तो उसे नहीं पता होता कि जंक फूड क्या है। उन्हें ऐसे भोजन से अभिभावक ही परिचित कराते हैं और यह जब उनकी आदत बन जाता है तो अभिभावक शिकायत करते हैं।
- बच्चा सही भोजन तभी ग्रहण करेगा जब वह घर पर उपलब्ध होगा, इसलिए अपने फ्रिज में फलों व सब्जियों को स्थान दें न कि मिठाइयों व चाकलेट को।
- आपके बच्चे को सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो, इसलिए उन्हें दालें, अनाज, फल, सब्जियां, बींस, दूध आदि सब दें। उन्हें यह भी बताएं कि ऐसा आहार उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। आप कोशिश करें कि घर पर ही सब कुछ बनाएं।
- घर पर आप जो कुछ भी बना रही हैं, उसे ऐसे गार्निश करें कि बच्चे को वह अच्छा लगे और वह उसे खाने के लिए उत्साह दिखाए जैसे दाल को धनिए व टमाटर के छोटे-छोटे टुकड़ों से सजाएं। बाजार के खाने में पोषक तत्वों का ध्यान नहीं रखा जाता, पर उन्हें सजाया ऐसा जाता है कि वे बच्चों को आकर्षित करते हैं। इसलिए घर पर बने भोजन को आकर्षक बनाएं।
- अगर आपका बच्चा घर पर बना खाना नहीं खा रहा तो यह सोचकर कि कहीं वह भूखा न रहे, माता-पिता उसे उसकी मनपसंद का भोजन पीजा, बर्गर खिला देते हैं, पर यहां वे भारी भूल करते हैं। अगर बच्चा एक दिन घर का बना भोजन नहीं खा रहा तो अगले दिन अपने आप खा लेगा पर उसे बाहर का भोजन खिलाकर आप उसकी आदत बिगाड़ देते हैं, इसलिए कभी-कभी इमोशनल न होकर प्रेक्टिकल सोचें।
- बच्चे के लिए नाश्ता बहुत जरूरी है, इसलिए स्कूल जाने से पहले उसे नाश्ता अवश्य करवा कर भेजें। अगर वह नाश्ता ढंग से नहीं ले रहा तो उसे स्कूल में फल व लंच जरूर पैक करके दें।
- बच्चे को परोसा गया भोजन वही होना चाहिए जो घर के सभी लोग खा रहे हैं। अगर आप खाने के बाद हमेशा मीठा परोसते हैं तो भी बच्चा खाना कम खाएगा क्योेंकि उसे लगेगा कि मीठा ज्यादा खा लिया जाए इसलिए खाने की टेबल पर स्वीट डिश खाना खाने के पश्चात् ही लगाएं और इसे नियमित आदत न बनाएं।
- बच्चे को स्रैक्स कम दें, क्योंकि इससे उसका पेट भर जाएगा और वह खाना सही तरह से नहीं खाएगा। कोल्ड ड्रिंक्स की बजाय उन्हें फल, फलों का रस, पानी, शिकंजी आदि दें जो उनके स्वास्थ्य के लिए फायदेमद हो।
- बच्चे को प्रारंभ से ही बताएं कि अधिक वसायुक्त व मीठे भोज्य पदार्थ उसके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं इसलिए उसे इनके सेवन पर नियंत्रण रखना है। आप उसे पोटेटो चिप्स के स्थान पर पाप कार्न दें। चीज बर्गर की बजाय वेजिटेबल, मैदे वाली ब्रेड की बजाय ब्राउन ब्रेड दें। आइसक्र ीम के स्थान पर फ्रूट कस्टर्ड या दही आदि दें। इसके लिए आपको यह ज्ञान भी प्राप्त करना होगा कि आपके बच्चे के लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं, तभी आप ये छोटे-छोटे परिवर्तन कर बच्चे को सही डाइट दे पाएंगे।
- बच्चा जब उस उम्र में पहुंच जाए कि वह अपने लिए कुछ बना लेने में समर्थ हो तो उसे कुकिंग सिखाएं। अगर वह स्वयं बनाएगा तो अच्छा महसूस करेगा और इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आपकी गैरहाजिरी या बीमार पड़ने पर वह बाहर की वस्तुएं नहीं खाएगा।
- कभी-कभी बाहर से खाना गलत नहीं पर इसे बच्चे की आदत न बनने दें। आप बच्चे को सही खान पान की आदतें डाल कर उन्हें एक बहुमूल्य उपहार दे रही हैं जो तमाम उम्र उसके काम आएगा और उसे लंबा व सक्रि य जीवन देगा।
सोनी मल्होत्रा