जब सेवादारों ने घग्गर में आए 20 फुट गहरे कटाव को बांधा तो देखने वाले हैरान रह गए

जो मंजिलों को पाना चाहते हैं, वो शेर सी हिम्मत रखते हैं, समुद्र में तैरते ही नहीं, पत्थर के पुल भी बना देते हैं। जी हां, मानवता की सेवा के उद्देश्यार्थ गठित शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के जांबाजों का जज्बा भी कुछ ऐसा ही कर दिखाने का है। उस दिन पहाड़ों में भारी बारिश के चलते घग्गर नदी ओवरफ्लो होकर सरसा शहर के गांव चामल के आस-पास तटबंधों को तोड़ती जा रही थी। दर्जनों गांव डूबने के कंगार पर थे। एकाएक चामल गांव के पास तटबंध दरक गया और देखते ही देखते 70 फुट का कटाव आ गया।

ग्राम पंचायतों के आग्रह पर शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने अपने पूर्ण मुर्शिद डॉ. एमएसजी की पावन पे्ररणा का अनुसरण करते हुए मोर्चा संभाला। सैंकड़ों सेवादार पुरानी चामल गांव के समीप रत्ताखेड़ा साइफन पर पहुंचे और यहां सेवादार अपनी जिंदगी दांव पर लगाते हुए साइफन के आगे करीब 70 फीट लंबे अस्थाई बांध बनाने के सेवा कार्य में जुट गए। हालांकि गहराई अधिक होने और चलती बारिश के कारण यह कार्य इतना आसान नहीं था। लेकिन सेवादारों के हौसले कम नहीं हुए और सेवादार बिना थके, बिना रुके और बिना डरे बारिश में भी बांध को बांधने में जुटे रहे। करीब 70 फीट लंबे बांध में 50 फीट बांध तो सेवादारों व ग्रामीणों ने आसानी से पाट दिया।

लेकिन आगे का 20 फीट बांध बनाना मुश्किल था, क्योंकि 20 फीट बांध में पानी की गहराई 20 से 25 फीट थी और सेवादार इसमें सीधा उतर नहीं सकते थे। लेकिन सेवादारों ने फिर भी हार नहीं मानी और क्रेन की सहायता से पहले गहराई वाले स्थान पर बांसों की सहायता से सुरक्षा दीवार खिंची और उनमें लकड़ी की जालियां लगाई, ताकि पानी के बहाव को दूसरी ओर मोड़ा जा सके। बाद में सेवादारों ने मानव शृंखला बनाकर एक साथ वहां मिट्टी के थैलों की भरत डालनी शुरू की। सेवादारों को सेवा कार्य करते देखकर मौजूद अधिकारियों, ग्रामीणों व प्रदेश के बिजली एवं जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह के साथ-साथ वहां मौजूद एनडीआरएफ के जवान भी दंग रह गए।

अगली सुबह सबसे पहले शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने एनडीआरएफ के जवानों के साथ मिलकर बांध बनाने को लेकर रणनीति बनाई। इसके पश्चात पूरे बांध के बीच मोटा रस्सा डाला गया। जिसकी सहायता से सेवादार बांध बनाने वाले स्थान पर उतरे। दूसरी ओर सेवादारों ने ग्रामीणों को साथ लेकर हजारों मिट्टी के थैले भरे और बाद में एक साथ सेवादारों ने मानव शृंखला बनाकर भरे हुए थैलों से बांध बनाना शुरू किया और आखिरकार बांध को फिर से पाट दिया। ग्रामीणों का कहना था कि अगर रत्ताखेड़ा खरीफ चैनल का अस्थाई बांध नहीं बंधता तो यह अनेक गांवों में तबाही का मंजर ला सकता था।

शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने सरसा जिले के गांव मुसाहिब वाला, बुर्जकर्मगढ़, पनिहारी, सहारनी व फरवाई कलां में अलग-अलग टीमें बनाकर सेवा-कार्य किया। सेवादारों ने पनिहारी, बुर्जकर्मगढ़ आदि अन्य गांवों के चारों ओर बांधों पर मिट्टी से भरे गट्टे लगाकर बांधों को मजबूती प्रदान की। जबकि मुसाहिब वाला में पानी से घिरी ढाणियों में से अपनी जान जोखिम में डालकर उनका सामान सुरक्षित जगह तक पहुंचा।

खास बात यह है कि बाढ़ प्रभावितों की मदद करने में जुटे डेरा सच्चा सौदा की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार खुद का खर्चा कर खुद के वाहनों से बाढ़ प्रभावितों के पास पहुंचे। इतना ही नहीं, सेवादार अपने खाने-पीने सहित सभी खाद्य सामग्री व बाढ़ राहत कार्य के औजार भी अपने साथ लेकर पहुंचे। साथ ही सेवादारों ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के ग्रामीणों को खाद्य सामग्री, पैकेट भोजन, जरूरी दवाईयां सहित अन्य जरूरी वस्तुएं भी पहुंचाई। इस दौरान शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों का जज्बा देखते ही बन रहा था और हर कोई सेवादारों की सेवा भावना की तारीफ करने से नहीं थक रहा था। क्योंकि सेवादार अपनी जान की परवाह ना करते हुए करीब 8 से 10 फीट पानी में मानव चैन बनाकर हाथ वाली किश्ती की सहायता से लोगों के घरों से उनका एक-एक कीमती सामान बाहर ला रहे थे।

85 मेंबर जीत बजाज इन्सां ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र शाह मस्ताना जी धाम में सुबह-शाम पीड़ितों के लिए लंगर-भोजन तैयार किया गया। सेवादारों द्वारा हर रोज 200 से अधिक लोगों के लिए तैयार किया गया पैकेट भोजन सुबह शाम भेजा जाता। वहीं जहां-जहां भी बाढ़ ग्रस्त इलाकों में लंगर-भोजन, दवाइयों की जरूरत होती है, वहां उनकी टीमों द्वारा पहुंचकर उपरोक्त सामान दिया गया। जबकि बाढ़ राहत कार्य में जुटे ग्रामीणों व सेवादारों के लिए भी लंगर-भोजन भिजवाया गया।

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