The real form of humanity is Dera Sacha Sauda. yaad-e-murshid

मानवता का असल रूप है डेरा सच्चा सौदा

‘याद-ए-मुर्शिद’ परम पिता शाह सतनाम जी महाराज 31 वां फ्री आई कैंप: 10,597की जांच417आॅप्रेशन

3 साल बाद आंख की रोशनी लौटी तो बच्चों को सामने देख खिल उठी बिमला देवी

कुछ वर्ष पूर्व अचानक मेरे आँखों की रौशनी चली गई थी, घरवालों को सहारा देना तो दूर मैं खुद उनके लिए बोझ बन गई। आशा की हर किरण डूब चुकी थी। लेकिन डेरा सच्चा सौदा के आई कैंप ने मेरी आँखों की रोशनी लौटा दी। तीन साल बाद अब मैं अपने बच्चों का चेहरा देख पा रही हूँ। भिवानी की बिमला देवी के जीवन की यह हकीकत है। ऐसी ही जीवंत कहानी है खराती खेड़ा निवासी 50 वर्षीय महेंद्र सिंह के जीवन की। सिलाई कार्य करके जीवन गुजारने वाले महेंद्र सिंह को पिछले दो महीने से एक आंख से दिखना बंद हो गया था।

यह समस्या इतनी विकट हो गई कि उसके जीवन में अंधेरा छा गया, रोजगार का साधन भी छिन गया। अब परिवार पर भूखा मरने की नौबत आने को थी। तभी एक सेवादार उसको डेरा सच्चा सौदा के फ्री आई कैंप में लेकर आया तो उसके बेरंग जीवन में खुशियां लौट आई। किरढ़ान वासी लीलू राम को तो डेरा सच्चा सौदा के मानवता भलाई कार्यों की सच्चाई इस कैंप में आकर पता चली।

लीलू का कहना है कि वास्तव में डेरा मानवता का रूप है, यहां की सारी संगत ही उस फरिश्ते की तरह है, जिसका मकसद केवल मात्र जरूरतमंदों की मदद करना ही होता है। जी हां, ऐसी अनेकों दिलचस्प कहानियों का हर वर्ष आधार बनता है डेरा सच्चा सौदा की ओर से आयोजित होने वाला ‘याद-ए-मुर्शिद’ परम पिता शाह सतनाम जी महाराज फ्री आई कैंप।

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इस बार 31वां फ्री आई कैंप 285 लोगोें के जीवन में उजियारे का सबब बना, वहीं 10 हजार से ज्यादा नेत्र रोगियों को उचित परामर्श के अलावा फ्री चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई गई। गौरतलब है कि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज की पावन स्मृति में सन् 1992 में पहला विशाल नेत्र जांच शिविर लगाया गया था, जिसे ‘याद-ए-मुर्शिद’ परमपिता शाह सतनाम जी महाराज फ्री आई कैंप का नाम दिया गया। इसके बाद हर वर्ष 12-13-14-15 दिसंबर को इस कैंप का आयोजन होता है। अब तक आयोजित 31 फ्री आई कैंपों में काला व सफेद मोतिया सहित अन्य नेत्र रोगों से पीड़ित करीब 30 हजार लोगों का मुफ्त आॅप्रेशन हो चुका है।

जानकारी अनुसार, गत 12 दिसंबर 2022 को 31वें फ्री आई कैंप में 10 हजार 597 मरीजों की जांच की गई। जिनमें 417 मरीजों को आॅप्रेशन के लिए चयनित किया गया। इनमें 330 सफेद मोतिया व 87 काला मोतिया के मरीज शामिल थे। चार दिवसीय इस शिविर में देशभर से स्पेशलिस्ट नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं दी। जबकि चयनित मरीजों के आॅप्रेशन शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में बनाए गए आधुनिक आॅप्रेशन थिएटरों में अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका गर्ग इन्सां व डॉ. दीपिका इन्सां ने किए।

शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में मरीजों के लिए अलग-अलग पुरुष व महिला वार्ड बनाए गए थे। अस्पताल के चिकित्सक तथा पैरामेडिकल स्टाफ सदस्यों के अलावा शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार भाई-बहनों ने मरीजों को खाना खिलाना, चाय-पानी, समय पर दवाई देना और बुजुर्ग मरीजों को बाथरूम आदि ले जाना जैसे सेवा कार्यों को पूरी तन्मयता से निभाया।

बेमिसाल सेवाभावना

‘याद-ए-मुर्शिद’ फ्री आई कैंप में उपचार करवाने पहुंचे मरीजों के परिजन शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों की सेवा भावना के कायल होते नजर आए। सेवादार दिन-रात बुजुर्ग मरीजों की सेवा में जुटे रहे। रतिया से अपने पिता को लेकर आए कुलविन्द्र सिंह, हिसार से अपने जीजा के साथ पहुंचे राजू और फाजिल्का से अपने मामा का उपचार करवाने पहुंचे सतपाल, नरेश, बलिन्द्र आदि ने बताया कि डेरा के सेवादारों में कमाल की सेवा भावना है। सर्द मौसम में भी उनके चेहरों पर सेवा का जोश प्रशंसनीय है।

मरीजों को खाना खिलाने, दवाई देने, बाथरूम ले जाने तक की सेवा पूरी जिम्मेदारी से बखूबी निभाई है। सेवादार हमारे परिजनों की अपने माता-पिता की भांति सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि डेरा सच्चा सौदा प्रबंधन समिति द्वारा मरीजों के परिजनों तक के लिए खान-पान से लेकर रहने तक की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। वास्तव में ऐसी सेवाभावना से हम सबको शिक्षा लेनी चाहिए।

वहीं कैंप में पिछले कई वर्षों से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे संगरूर निवासी कुलदीप सिंह ने बताया कि वे सन् 1992 से लगातार इस कैंप में आ रहे हैं। यहां सेवा करके बहुत खुशी मिलती है। बुजुर्गों की दुआएं मिलती हैं। उसने बताया कि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने हमें सिखाया है कि जरूरतमंदों की सेवा करना ही सच्ची इन्सानियत है।

विशेषज्ञ चिकित्सकों ने दी सेवाएं

‘याद-ए-मुर्शिद’ परम पिता शाह सतनाम जी महाराज फ्री आई कैंप में दिल्ली से नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप शर्मा, पटियाला से डॉ. आर.एन. गठवाल, रामा मेडिकल कॉलेज, हापुड़ से डॉ. आकाश चौधरी, डॉ. गार्गी भल्ला, श्रीराममूर्ति इन्स्टीच्यूट बरेली से डॉ. राम मोहन मिश्रा, डॉ. पारस अरोड़ा, वर्ल्ड कॉलेज झज्जर से डॉ. जिशान जाहिद, तीर्थंकर मेडिकल कॉलेज, मुरादाबाद से डॉ. नीतिन, शिरड़ी सार्इं बाबा मेडिकल कॉलेज, जयपुर से डॉ. देवेन्द्र सिंह राठौड़ के अलावा शाह सतनाम जी स्पेशिलिटी अस्पताल सरसा से नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका गर्ग, डॉ. दीपिका, डॉ. शिम्पा और शाह सतनाम जी सार्वजनिक अस्पताल, श्रीगुरुसर मोडिया से डॉ. गीतिका व पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों ने अपनी बहुमूल्य सेवाएं दी।

चमत्कार: दोनों आंखें खो चुकी बिमला देवी के लिए वरदान साबित हुआ कैंप

नेत्र जांच शिविर में आंखों का आॅप्रेशन करवाने के बाद बिमला देवी के चेहरे पर खुशी के भाव देखते ही बन रहे थे। भिवानी शहर के हनुमान गेट के पास पिपली वाली जोहड़ी क्षेत्र में रहने वाली बिमला देवी ने बताया कि उसके पति की शराब पीने की आदत से वो बुरी तरह परेशान थी। आए दिन झगड़ा आम बात थी। रो-रो कर दिन कटते थे। हर वक्त दिमाग में टैंशन बनी रहती थी। एक दिन अचानक उसकी आंखों की रोशनी जाती रही। एक तो परिवार की आर्थिक हालत कमजोर, दूसरा उसकी बीमारी। जैसे दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा था।

कहां तो वो अपने बच्चों की संभाल करती थी, अब वो खुद ही उनके ऊपर निर्भर हो गई थी। जब भी उसे बाथरूम आदि के लिए जाना पड़ता तो दिखाई न देने के चलते उसे उन्हें आवाज देनी पड़ती थी। परिवार वालों ने रोहतक पीजीआई तक में दिखाया, लेकिन उसकी आंखों की रोशनी न लौटी। किसी तरह यहां कैंप में आई तो डॉक्टरों ने आॅप्रेशन के लिए चयन कर लिया। शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल सरसा के डॉक्टर ने मेरा आॅप्रेशन किया और आज मैं 3 साल बाद अपनी आंखों से सब कुछ साफ-साफ देख पा रही हूं। तीन साल बाद आज अपनी बेटी का चेहरा अपनी आंखों से देखा है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां मेरे लिए भगवान हैं, उनके चरणों में बारम्बार नमन।

यह बड़ा जटिल आॅप्रेशन था, पूज्य गुरु जी की रहमत से कामयाबी मिली : डॉ. मोनिका

शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल सरसा की ओप्थोमोलॉजिस्ट (नेत्र रोग विशेषज्ञ) डॉ. मोनिका गर्ग इन्सां ने बताया कि बिमला की दोनों आंखों में सफेद मोतिया था, जिसको डॉक्टरी भाषा में हाइपर मैचुअर कैटरैक्ट कहा जाता है, जो हाई रिस्क स्टेज पर था। इसके चलते मरीज को 3 साल से बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहा था।

मरीज का सफल इलाज हमारे लिए चुनौती से कम नहीं था, क्योंकि उसका हाई ब्लड प्रेशर भी अंडर कंट्रोल नहीं था। आॅपरेशन 100 फीसदी सफल हुआ। आॅपरेशन के अगले दिन जब मरीज की ड्रेसिंग खोली गई तो मरीज की आंखों की रोशनी लौट आई। यह सब कमाल पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की रहमत से हो पाया है।

कैंप में पहुंचे मरीजों के विचार

पहले भी करवाया था, अब दूसरी आंख का आॅप्रेशन करवाया है

मैं दिलोंजान से डेरा सच्चा सौदा से जुड़ा हुआ हूं, मेरा परिवार भी डेरा के सेवाकार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है।

सतगुरु जी की रहमत से मेरी आंख का आॅप्रेशन बड़े अच्छे तरीके से हुआ है।

हालांकि दूसरी आंख का आप्रेशन भी मैंने यहीं से करवाया था, जो अब बिल्कुल ठीक है।
– मेलागीर सिंह, भालगढ़ गांव, ब्लॉक मूनक (पंजाब)।

सेवा का दूसरा नाम है डेरा सच्चा सौदा

लोगों से सुना था कि डेरा सच्चा सौदा के आई कैंप में सेवादार बड़ी सेवा करते हैं, बेसहारों का सहारा बनते हैं, वैसे इनके सफाई अभियान, रक्तदान, पौधारोपण जैसे कई कार्य भी बड़े प्रसिद्ध हुए हैं, लेकिन मेरा मन यह बात मानने को कतई तैयार नहीं था कि भला ऐसे कैसे हो सकता है।

कोई आदमी बिना तनख्वाह के पूरा-पूरा दिन उन लोगों के लिए भागदौड़ करता हो, जो उसके ना खून के रिश्ते में और ना ही दूर-दराज से रिश्तेदारी में हों।

खुद अपनी आंखों से देखा है, यह सच्चाई है।
– पलविंद्र सिंह, सकत्ता खेड़ा, डबवाली।
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कामधंधा चौपट हो गया था, कैंप से मिली नई जिंदगी

मैं सिलाई का काम करता हूं, दो महीने से एक आंख से दिखना बिलकुल ही बंद हो गया था, जिसके चलते कामधंधा भी चोपट हो गया था। मेरे पास यही एक कार्य है जिससे परिवार का गुजारा होता है। मन बड़ा दुखी था, कि अब क्या करूं, कैसे परिवार का गुजर-बसर होगा।

एक दिन डेरा प्रेमी ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा में आंखों की जांच का कैंप लगाया जा रहा है, जहां सभी सुविधाएं मुफ्त मिलेंगी। कहते हैं डूबते तो तिनके का सहारा ही काफी होता है, लेकिन मेरे लिए डेरा सच्चा सौदा एक नई किरण लेकर आया है। यहां कैंप में आॅप्रेशन भी बढ़िया हुआ है और पैसा-पाई भी खर्च नहीं हुई। उलटा सेवादारों ने इतनी संभाल की है, जो घरवाले चाहकर भी नहीं कर पाते।
-महेंद्र सिंह, खराती खेड़ा, फतेहाबाद।
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पहली बार डेरा में आया,देखकर रूह खुश हो गई

मुझे एक आंख से दिखना बिलकुल ही बंद हो गया था। डाक्टरों के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था, क्योंकि घर की हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी। खुद की दो एकड़ भूमि है, जिससे गुजारा चलता है। गांव के सत्संगी लोगों की मदद से यहां डेरा सच्चा सौदा में पहली बार आया हूं। मेरे मन में एक डर सा था कि पता नहीं कैसा माहौल होगा वहां।

लेकिन यहां आकर देखा तो मेरी रूह खुश हो गई, बड़ी शांति महसूस हुई। आंख का आॅप्रेशन भी सफल रहा, और बड़ी बात, इसमें मेरा एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ। सच कहूं तो डेरा सच्चा सौदा गरीबों का असली मददगार है। धन्य हैं डेरा के बाबा राम रहीम जी, जो सेवादारों में ऐसी सेवा भावना भरते हैं, जो बिना जात-पात देखे लोगोें की सेवा को हमेशा तत्पर रहते हैं।
– लीलू राम, किरढ़ान, फतेहाबाद।
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बाबा जी के आशीर्वाद से सब ठीक हो गया!

उत्तर प्रदेश के जिला फारूखाबाद से याद-ए-मुर्शिद कैंप में पहुंची मायादेवी अपनी आंख का आॅप्रेशन होने के बाद खुश नजर आ रही थी।

55 वर्षीय मायादेवी ने बताया कि मेरे गांव के 4 लोग भी इस कैंप में आए हैं, जिनकी आंखों का आॅप्रेशन हुआ है।

परिवार में पति व दो लड़के हैं, लेकिन दिनचर्या चलाने के लिए मजदूरी पर आश्रित हैं। आज बाबा जी के आशीर्वाद से आंख का आॅप्रेशन ठीक हो गया।

मेरा परिवार डेरा सच्चा सौदा का धन्यवादी रहेगा जो लोगों को मुफ्त में यह सुविधाएं मुहैया करवा रहा है।

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