मेंहदी Mehndi के हैं रूप अनेक मेंहदी का नाम आते ही ध्यान हाथों पर जाता है और डिजाइन्स की कल्पना में खो जाता है कि मेंहदी लगाने के बाद ऐसे लगेंगे। पहले तो मेंहदी विवाह, त्योहार और किसी विशेष उत्सव पर ही लगाई जाती थी। अब तो शौकिया तौर पर मेंहदी जब मन चाहे, पार्लर जाकर आसानी से लगवाई जा सकती है। विशेषकर दुल्हन तो मेंहदी के बिना अधूरी सी लगती है। अब मेंहदी के बहुत से रूप हैं। जो चाहें, उस रूप से अपने हाथों को सजवा सकते हैं।
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परंपरागत मेंहदी
मेंहदी हाथों पर लगाना भारतीय परंपरा का अनूठा हिस्सा है। प्राचीन समय में मेंहदी बहुत साधारण तरीके से लगाई जाती थी। हथेली के बीचों बीच बड़ी सी बिंदी और उंगलियों के पोरों को मेंहदी से भर दिया जाता था। सूख जाने के बाद गोरे-गोरे हाथों में लाल रंग बहुत सुंदर लगता था। प्राचीन समय में दूसरा प्रचलित डिजाइन मुट्ठी बंद कर मेंहदी लगाने का था। हथेली के बीचों बीच मेंहदी लगाकर मुट्ठी बंद कर सूखने तक ऐसे ही रखा जाता था।
सूख जाने के बाद बड़ा सुंदर सा मुट्ठी का डिजाइन बनता था। बीचों बीच एक अजीब सी शक्ल बनती थी, कभी वो आंख की तरह लगती तो कभी मछली की तरह। अभी भी जहां लोग बाजार से मेंहदी नहीं लगवाते हैं, यही डिजाइन घर पर स्वयं लगा लेते हैं। हाथों के पीछे बांहों तक मेंहदी के डिजाइन बनाये जाते हैं। पावों से लेकर आधी टांगों पर भी मेंहदी लगाने का प्रचलन बढ़ गया है। उसके अतिरिक्त बाजूबंद, गर्दन के पीछे-नाभि के पास डिजाइन बनवाने का भी प्रचलन है विशेषकर दुल्हन को लगाने वाली मेंहदी तो लाजवाब होती है। उसे लगाने में कई घंटे लगते हैं।
अरेबिक स्टाइल मेंहदी
यह भारतीय मेंहदी से अलग होती है। इसमें अधिकतर बेल वाले फूल पत्ती के डिजाइन होते हैं। इसको अंगूठे के पास की उंगली से प्रारंभ कर हथेली के अंत तक ले जाते हैं। हथेली के दोनों ओर खाली रहता है। इनके डिजाइनों को भरा नहीं जाता। यह थोड़ी मोटी होती है और आउटलाइन ही लगाई जाती है। भरे न होने के कारण यह जल्दी सूखती है और भारतीय मेंहदी से यह अलग लगती है। इसे उंगलियों पर भी कम लगाया जाता है।
अफ्रीकन मेंहदी
अफ्रीकन मेंहदी बेसिकली तो अरेबिक मेंहदी से मिली है। इसमें भी आउटलाइन बनाई जाती है। उन्हें भरा नहीं जाता पर इनके डिजाइन फूल पत्ती वाले न होकर ज्योमेट्रिक्ल होते हैं जैसे ट्राइएंगल, स्कवेयर, डाट, ट्राइएंगल आदि। वैसे ये डिजाइन साथ-साथ बनाएं जाते हैं। इससे हाथ भरा भरा लगता है। अब तो हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख हर जाति के लोग मेंहदी बड़े शौक से लगवाते हैं। हिंदुओं में करवा चौथ पर और मुस्लिमों में ईद के अवसर पर मेंहदी का बहुत क्र ेजÞ रहता है।
मेंहदी का रंग अच्छा लाने के लिए
- मेंहदी अच्छी तरह से आपके हाथों पर रच जाए, उसके लिए मेंहदी को कम से कम 4 से 5 घंटे तक लगा रहने दें। वैसे आप पूरी रात मेंहदी लगा कर भी रख सकते हैं।
- मेंहदी सूखने के बाद एकदम न उतारें। 2-3 घंटे तक लगे रहने दें।
- मेंहदी सूख जाने पर उस पर नींबू, चीनी का मिश्रण दो बार कुछ अंतराल में अवश्य लगाएं।
- सूखने के बाद मेंहदी वाले हाथों को लौंग का धुआं दिखायें। तवे पर लौंग काली होने तक भूनें, जब धुआं उठे हाथों को कुछ दूरी पर रख कर धुआं लें। मेंहदी का रंग खूब डार्क आएगा। चाहें तो हाथों पर विक्स भी लगा सकते हैं।
- मेंहदी सूखने पर रूमाल या किसी नर्म कपड़े से मेंहदी हटा लें या चाकू की ब्लंट साइड से मेंहदी को उतारें। उसके बाद हाथ नहीं धोएं, उस पर नारियल का तेल चुपड़ लें।
- हाथ नार्मल सोप से न धोएं। मड बेस्ड साबुन का प्रयोग करें ताकि अधिक दिन तक मेंहदी का आनंद उठा सकें।
- मेंहदी का रंग हल्का होने लगता है तो हाथ गंदे लगने लगते हैं। ऐसे में पैचेज को हटाने के लिए कास्मेटिक बॉडी ब्लीच का प्रयोग कर हाथों की मेंहदी साफ कर लें।
- मेंहदी सुखाने के लिए धूप, पंखे या ब्लोअर का प्रयोग न करें। प्राकृतिक रूप से मेंहदी सूखने दें।
सुनीता गाबा