Experiences of satsangis -sachi shiksha hindi

Experiences of satsangis जिस किडनी में पहले खून की तीन गांठें थी, उनकी जगह बन गए पावन स्वरूप – सत्संगियों के अनुभव

पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत

बहन सुनीता रानी इन्सां पुत्री श्री कालुराम इन्सां गांव लट्ठावाली, तहसील एवं जिला श्री गंगानगर से पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने पर हुई अपार रहमत का वर्णन करती हैं:-

सन् 2020 की बात है, मेरे पेट में बहुत दर्द हुआ। जब गांव के डाक्टरों से आराम नहीं मिला तो शाह सतनाम जी सार्वजनिक अस्पताल श्री गुरुसर मोडिया में चैकअप करवाया। अल्ट्रासाउंंड के बाद डॉक्टरों ने बताया कि लैफ्ट किडनी में खून की तीन गांठें बनी हुई हैं। डॉक्टर ने इसका पूर्ण इलाज आॅप्रेशन ही बताया। जब मेरे माता-पिता ने आप्रेशन करवाने में असमर्थता दिखाई तो डॉक्टर ने एक महीने की दवाई देते हुए कहा कि जब फिर आओगे तो अल्ट्रासाउंड करवाना है। इधर मेरे कभी दर्द होने लग जाता तो कभी अपने आप ही बंद हो जाता।

कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। एक महीने के बाद जब अल्ट्रासाउंड करवाया तो पता चला कि गांठें और बड़ी हो गई हैं। डॉक्टर ने फिर से चार महीने की दवाई दे दी। लेकिन वह दवाई खाने के बाद दर्द काफी कम हो गया और ठीक रहने लगी। परंतु काफी समय निकल जाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड नहीं करवाया। दो साल बाद सन् 2022 में मेरे पेट में फिर से उसी तरह का दर्द हुआ। मैंने गांव के डॉक्टर से ही दवाई ले ली, जिससे कुछ समय तक दर्द नहीं हुआ। कभी दर्द हुआ, कभी थम गया, ऐसा चलता रहा।

इससे मेरे मन में हमेशा यह भय बना रहता कि पता नहीं कब दर्द होने लग जाए। मैं अपने आराध्य पूजनीय हजूर पिता जी से अर्ज करती रहती कि दवाईयों से तो आराम नहीं आ रहा, आपजी ही कृपा करो, मुझे तंदुरुस्त करो। एक रात मैं नाम का सुमिरन करती-करती ही सो गई तो सपने में मुझे पूज्य पिता जी के दर्शन हुए। पूज्य हजूर पिता जी ने मुझे प्याज की चटनी व लस्सी के साथ लंगर खिलाया और स्वयं भी खाया। उस समय पूज्य हजूर पिता जी ने वचन फरमाए- बेटा! तुम्हारे गांव में साध-संगत बहुत है, परंतु किसी कारण वश वह नहीं आ रही।

उसको दोबारा साध-संगत से जोड़ो। मैंने हाथ जोड़कर पूज्य पिताजी को नारा लगा दिया। पूज्य पिताजी के दर्शनों से मुझे बहुत खुशी मिली। 23 फरवरी 2023 को मेरे पेट में फिर से बहुत जोर का दर्द उठा। दर्द असहनीय था, जिस कारण मैं ऊंची-ऊंची आवाज में रोने लगी। गांव के डॉक्टर को बुलाकर दवाई दिलाई गई, उस डॉक्टर ने मेरे माता-पिता को कहा कि इसको जांच के लिए किसी बड़े अस्पताल में ले जाओ।

अगले दिन 24 फरवरी को मुझे श्रीगंगानगर के पारस अस्पताल में ले जाया गया। डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड करवाया तो रिपोर्ट नार्मल आई। जिस किडनी में पहले खून की तीन गांठें थी, उनकी जगह अब पूज्य हजूर पिता जी के तीन पावन स्वरूप बन गए। मैं अब बिलकुल ठीक हूं। इस प्रकार पूज्य पिता जी ने मेरा मौत जैसा भयानक कर्म काट दिया। मैं पूज्य पिताजी के इस उपकार का बदला किसी भी तरह नहीं चुका पाऊंगी। पूज्य पिता जी, इसी तरह अपनी दया-मेहर बनाए रखना जी।

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