अनमोल जिंदगियों को निगल रहा तंबाकू

तंबाकू का सेवन किस हद तक जिदंगियों को निगल रहा है, यह शायद ही तंबाकू का प्रयोग करने वाले लोग कभी सोच पाते हों। लेकिन सच्चाई ये है कि शुरूआती दिनों में मजे के लिए शुरू किया गया तंबाकू का प्रयोग बाद में बड़ी बीमारियों को जन्म देता है और फिर भी न समझे तो मौत का कारण बनते हुए भी देर नहीं लगती।

इसलिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर यह प्रण लेना होगा कि तंबाकू को जीवन से दूर करें और आस-पास के एरिया में भी लोगों को इसके प्रति जागरूक करें। हालांकि डेरा सच्चा सौदा द्वारा इस ओर बड़े कदम उठाए गए हैं। डेरा सच्चा सौदा के आह्वान पर करोड़ों लोगों ने तंबाकू व अन्य नशीले पदार्थों से तौबा की है। इतना ही नहीं, डेरा सच्चा सौदा द्वारा अनेकों अभियान चलाकर तंबाकू व नशे का सेवन न करने बारे में लोगों को जागरूक भी किया जाता है ताकि समाज के लोग स्वस्थ रहें और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य उज्ज्वल हो।

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दुनिया में धुआंरहित तम्बाकू के सेवन से होने वाली मौत की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। पिछले कुछ सालों में मौत का आंकड़ा तीन गुना बढ़ गया है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। उन मौतों में से 7 मिलियन से अधिक सीधे तम्बाकू के उपयोग का परिणाम है, जबकि लगभग 1.2 मिलियन गैर-धूम्रपान करने वाले दूसरे के धुएं के संपर्क में आने का परिणाम हैं।

रिसर्च के मुताबिक, दुनियाभर में धुआंरहित तम्बाकू के प्रयोग से होने वाली बीमारियों के 70 फीसदी रोगी भारत में हैं। ऐसे में भारतवासियों को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत में आमतौर पर यह देखा गया है कि किशोरावस्था में ही तंबाकू या धूम्रपान की आदत पड़ जाती है, जोकि समय अंतराल पर शरीर को खोखला बना देती है।

जानिए किन-किन बीमारियों को जन्म देता है तंबाकू

तंबाकू का प्रयोग लोग अलग-अलग प्रकार से करते हैं। कोई सीधे मुंह में तंबाकू रखकर इसका प्रयोग नशे के रूप में करता है तो कोई बीड़ी-सिगरेट के माध्यम से तंबाकू का इस्तेमाल करता है। किसी भी प्रकार से किया गया तंबाकू का प्रयोग व्यक्ति के लिए घातक है। इसके प्रयोग से आमतौर पर मुंह, गला, फेफड़े, कंठ, खाद्य नली, मूत्राशय, गुर्दा, पैनक्रियाज, सेरेविक्स कैंसर, ब्रोंकाइटिस व इम्फीसिया के अलावा सांस में तकलीफ की समस्याएं हो जाती हैं। इसके प्रयोग से हृदय, रक्त संबंधी रोग, त्वचा रोग, मधुमेह, अल्सर, पेट रोग, हड्डियों का कमजोर होना, मोतियाबिंद जैसे रोग तेजी से बढ़ते हैं।

हानिकारक पदार्थ होते हैं तंबाकू के धूंए में

तंबाकू के प्रयोग से कितना नुकसान होता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तम्बाकू के धुएँ में भी अत्यधिक हानिकारक पदार्थ पाए जाते हैं। तंबाकू के धुएं में जहरीली गैस कार्बन मोनोआॅक्साइड होती है। धूम्रपान करने वालों के रक्त में यह गैस आॅक्सीजन को उनकी मांसपेशियों और अंगों तक पहुंचने से रोकती है। लंबे समय तक धूम्रपान करने वालों के शरीर के वायुमार्ग में बलगम का उत्पादन अत्यधिक होता है,

जिससे रोगी को इसे खांसी से बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है। धुम्रपान करने वाले व्यक्ति के शरीर की धमनियों में आॅक्सीजन का संचार ढंग से नहीं हो पाता, इससे फेफड़ों के रोग, सांस के रोग, हृदय रोग, नपुंसकता जैसे लक्षण सामने आते हैं। सिगरेट के धुएं में मौजूद जहर के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना और भी मुश्किल हो जाता है।

ये पदार्थ होते हैं शरीर को खत्म करने में सहायक

  • धुम्रपान के धुएं में टार पाया जाता है जोकि गहरा और चिपचिपा होता है और यह फेफड़े के ऊतकों, दांतों और नाखूनों को खराब कर देता है।
  • तम्बाकू धुएं में आर्सेनिक, बेरिलियम, कोबाल्ट, क्रोमियम, कैडमियम, लेड और निकल जैसे कई कार्सिनोजेनिक पदार्थ होते हैं।
  • तम्बाकू के धुएं में भी रेडियोधर्मी पदार्थ होते हैं जो कार्सिनोजेनिक होते हैं।
  • आॅक्सीडाइजिंग केमिकल्स अत्यधिक प्रतिक्रियाशील पदार्थ होते हैं जो धूम्रपान करने वाले के दिल, मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

तम्बाकू का सेवन कभी नहीं करना चाहिए। ये शरीर के लिए बहुत घातक है। तम्बाकू खाने से कई तरह के कैंसर होने की संभावना होती है, जैसे होंठ का, जीभा का, गाल का, भोजन नली का, गले का, पेट का, बच्चेदानी का, बड़ी आंत का, मूत्र थैली का, फेफड़ो का कैंसर। इसके अलावा अन्य कई बीमारियां लग सकती है, जैसे तेजाब बनना, अलसर होना, दिल का दौरा पड़ना, पैरों का गलना, लकवा होना, हाई ब्लड प्रेशर, टीबी होना, शरीर में डीएनए का नष्ट होना।
-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

डेरा की सीख निरोग काया, खुशहाल जीवन

डेरा सच्चा सौदा का हमेशा से ही यही प्रयास रहा है कि लोगों का जीवन खुशहाल हो और उन्हें जिंदगी में रोग संताप जैसा दर्द कभी ना उठाना पड़े। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के एक आह्वान पर लाखों लोग एक साथ तम्बाकू जैसे नशीले पदार्थाें को हमेशा के लिए त्याग देते हैं।

पूज्य गुरु जी अकसर सत्संगों में समझाते हैं कि तंबाकू, गुटका जैसे नशीले पदाथों को बनाने में जो सामग्री प्रयोग की जाती है, उसका नाम सुनने मात्र से ही लोगों को घिन आने लगेगी। लेकिन चमकती पैकिंग में यह पदार्थ लोगों को लुभावने लगते हैं।

आपजी फरमाते हैं कि इस पदार्थाें में हाथी की लीद, सीवरेज का कचरा, गंदे कैमिकल इत्यादि का मिश्रण किया जाता है, जो इन्सान को गंदगी के साथ-साथ भयानक बीमारियां भी देते हैं। आपजी ने हमेशा संगत को नशीले पदार्थों से बचने का आह्वान किया है। गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा ने 75 वर्ष के अपने सुनहरे इतिहास में हमेशा समाज भलाई के लिए कार्य किया है।

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