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जीत हमेशा सत्य की होती है | शुभ दशहरा पर्व विशेष

दशहरा शब्द सुनते ही दिलो-दिमाग में एक अक्श दिखने लगता है जो बुराई का प्रतीक था। वो रावण, जो शक्तिशाली था, ब्रह्मज्ञानी था, भगवान शिव का परमभक्त था, मगर इन सबसे बावजूद वह दुष्ट था, क्योंकि उसने माता सीता का हरण किया और इस पाप के लिए स्वयं भगवान श्री रामचंद्र जी ने उनका संहार कर समाज में ज्ञान का संचार किया कि बुराई कितनी भी बलवान क्यों न हो, मगर जीत हमेशा सत्य की होती है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष दशहरे का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है।

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Happy Dussehraइस बार दशहरा पर्व के शुभ अवसर पर आइये जानते हैं रावण व उससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें,

जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी:

  • रावण भगवान शिव का परम भक्त था, जिसने महादेव को प्रसन्न करने के लिए 10 बार शीश काटकर चढ़ाया था, लेकिन हर बार भगवान शिव की कृपा से उसका सिर वापस जुड़ गया। तब से उसे दशानन कहा जाने लगा।
  • रावण के दस सिर को उसकी माया से भी जोड़कर देखा जाता है। मान्यता है कि उसके पास एक 9 मणियों की माला थी, जिसके प्रभाव से लोगों को उसके 10 सिर होने का भ्रम पैदा होता था। एक मान्यता यह भी है कि श्री राम जी ने रावण के दसों सिर का वध किया था, जिसे प्रतिकात्मक रूप से अपने अंदर की 10 बुराईयों को खत्म करने से जोड़कर देखा जाता है। पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्याय वो दस बुराईयां हैं।
  • रावण को तंत्र-मंत्र और ज्योतिष का बहुत अच्छा ज्ञान था। रावण के द्वारा लिखी गई रावण संहिता को ज्योतिष विधा में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
  • रावण को संगीत का बहुत शौक था। मान्यता है कि रावण जब वीणा बजाता था, तो उसे सुनने के लिए देवता भी पृथ्वीलोक आ जाते थे।
  • रावण अपनी ताकत से ग्रहों को भी अपने वश में करने की क्षमता रखता था। रावण इतना पराक्रमी और ज्ञानी था कि उसे मारने के लिए खुद भगवान को अवतार लेना पड़ा।
  • रावण ने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगते समय कहा था कि उसकी मृत्यु मनुष्य और वानर के अलावा किसी अन्य के द्वारा संभव न हो सके, क्योंकि वह इन दोनों को तुच्छ समझता था। उसे अपनी शक्तियों पर बहुत ज्यादा अभिमान था।
  • सोने की लंका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था, जिस पर रावण से पहले कुबेर का राज था। रावण ने बलपूर्वक अपने भाई कुबेर से लंकापुरी छीन ली थी।
  • रावण में तमाम बुराईयों के बाद कई विशेष गुण भी थे, जैसे रावण अपने सभी कार्य को पूरी निष्ठा, लगन और मेहनत के साथ करता है। उसने अपने जीवन में कई बार कठिन तपस्या की।
  • मान्यता है कि रावण संपूर्ण जगत पर विजय की कामना करने के लिए जब निकला तो उसका युद्ध यमदेव से भी हुआ। ऐसे में जैसे ही यमराज ने रावण के प्राण लेने चाहे तो ब्रह्मा जी ने ऐसा करने से यमदेव को रोक दिया, क्योंकि उसकी मृत्यु किसी देवता के हाथों सभव नहीं थी।
  • मान्यता है कि जब रावण से युद्ध करते-करते एक समय ऐसा भी आया, जब प्रभु श्री राम रावण की माया से परेशान होकर हताश होने लगे थे, तब अगस्त्य मुनि ने उन्हें याद दिलाया कि आप सूर्यवंशी हैं, जिनकी साधना करने पर विजय श्री की प्राप्ति होती है। तब भगवान सूर्य का ध्यान करके रावण की नाभि में तीर मारकर उसका वध किया।
  • श्री राम के द्वारा मारे गए तीर के बाद जब रावण अपनी अंतिम सांसें ले रहा था, तब भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को उनके पास सीख लेने के लिए भेजा था। तब रावण ने मरते समय लक्ष्मण को बताया कि जीवन में किसी भी शुभ कार्य को जितनी जल्दी हो, कर डालना चाहिए, उसमें भूलकर भी देरी नहीं करनी चाहिए।
  • ऐसा कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में मैसूर के राजा के आदेश पर दशहरा का पहला भव्य उत्सव उस समय मनाया गया था।
  • यह पर्व सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। इसे मलेशिया में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में भी चिह्नित किया गया है।

आ गया पावन दशहरा

फिर हमें संदेश देने
आ गया पावन दशहरा
तम संकटों का हो घनेरा
हो न आकुल मन ये तेरा
संकटों के तम छटेंगें
होगा फिर सुंदर सवेरा
धैर्य का तू ले सहारा
द्वेष हो कितना भी गहरा
हो न कलुषित मन यह तेरा
फिर से टूटे दिल मिलेंगे
होगा जब प्रेमी चितेरा
बन शमी का पात प्यारा
सत्य हो कितना प्रताड़ित
पर न हो सकता पराजित
रूप उसका और निखरे
जानता है विश्व सारा
बन विजय स्वर्णिम सितारा।
-सत्यनारायण सिंह

सत्य की जीत

दशहरा का तात्पर्य,
सदा सत्य की जीत।
गढ़ टूटेगा झूठ का,
करें सत्य से प्रीत॥
सच्चाई की राह पर,
लाख बिछे हों शूल।
बिना रुके चलते रहें,
शूल बनेंगे फूल॥
क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली, अत्याचार,
दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥
राम चिरंतन चेतना,
राम सनातन सत्य।
रावण वैर-विकार है,
रावण है दुष्कृत्य॥
वर्तमान का दशानन,
यानी भ्रष्टाचार।
दशहरा पर करें,
हम इसका संहार॥
-अजहर हाशमी

कथा ये श्री राम की बहुत ही महान है

अधर्म पर धर्म की
जीत का प्रमाण है
कथा ये श्री राम की
बहुत ही महान है।
सतयुग में जन्म लेकर जब
रावण धरा पर आया था
इस धरा के वासियों पर
घोर संकट छाया था।
न जानता था अंत उसका
स्वयं का अभीमान है
कथा ये श्री राम की
बहुत ही महान है।
लेने को बदला बहन का
सीता को हर के लाया था
बहन की थी नाक कटी
अपना सिर कटवाया था,
बुरे कार्य का बुरा नतीजा
विधि का ये विधान है
कथा ये श्री राम की
बहुत ही महान है।
हनुमान ने भी जा लंका
आग से जलाई थी
रावण के सभी वीरों को
वाटिका में धूलि चटाई थी,
वर्षों पुरानी घटना के
उपलब्ध आज भी निशान हैं
कथा ये श्री राम की
बहुत ही महान है।
अंगद को देख कर रावण
फिर भी न समझ पाया था
बुद्धि गयी मारी थी
अंत निकट आया था,
ऐसे समय में सच्चाई
सुनते न किसी के कान हैं
कथा ये श्री राम की
बहुत ही महान है।
रणक्षेत्र में जब उतरे
रावण को राम ने मारा
बुराई किस तरह हारी
जानता है जग सारा।
अधर्म पर धर्म की
जीत का प्रमाण है
कथा ये श्री राम की
बहुत ही महान है।

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