23 सितंबर को दिन-रात बराबर क्यों होते हैं
23 सितम्बर का खास महत्व है। यह दिन डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं के लिए खुशियों भरा है, वहीं संसार भर के लिए भी यह दिन विशेष है। 23 सितम्बर को दिन और रात का समय एक समान होता है। यानि 12 घंटे का दिन व पूरे 12 घंटे की रात। और यही वह खास दिन है जब डेरा सच्चा सौदा में दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपना उत्तराधिकारी बनाकर पावन गुरगद्दी की रस्म अदा की।
वैज्ञानिक तौर पर पृथ्वी इस दिन अपने अक्ष से 23.5 डिग्री झुकी होती है, जब उसकी भूमध्य रेखा सूर्य के ठीक सामने पड़ती है, तब धरती के आधे भाग पर सबसे ज्यादा प्रकाश पड़ता है, जिसकी वजह से दिन-रात बराबर होते हैं। साल में 23 सितंबर और 21 मार्च को यह स्थिति बनती है।
Table of Contents
धरती अपने अक्ष से 23.5 डिग्री झुकी है:
रीजनल साइंस सेंटर भोपाल के क्यूरेटर साकेत सिंह कौरव से मिली जानकारी के अनुसार धरती अपने अक्ष से 23.5 डिग्री झुकी है। साल में दो बार वह भू मध्य रेखा के सामने से गुजरती है। जिसकी वजह से दिन और रात बराबर होने की स्थिति बनती है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए अलग-अलग चीजों का सामना करती है। 23 सितंबर को पृथ्वी ऐसे क्षेत्र से गुजरती है जब सूरज धरती के आधे भाग को प्रकाशित करता है।
वहीं 21 जून को ऐसी स्थिति बन जाती है जब सूर्य का अधिकतर प्रकाश धरती पर पड़ता है, और सबसे बड़ा दिन बन जाता है। इसी तरह 22 दिसंबर को सबसे लंबी रात होती है। 12 महीने में धरती सूरज की परिक्रमा पूरी करती है। धरती के 23.5 डिग्री झुके होने की वजह से यह सारी घटनाएं होती है। नार्थ पोल और साउथ पोल से धरती के झुके हुए होने की गणना की जाती है। खगोल विज्ञान सदियों पुराना है, जब आधुनिक विज्ञान नहीं था, तब भी लोग चांद तारों की गणना करते रहे हैं।
शरद विषुव या इक्वीनोक्स:
23 सितम्बर को विज्ञान की भाषा में इक्वीनोक्स भी कहा जाता है। इक्वीनोक्स लैटिन भाषा से लिया गया है। इक्वीनॉक्स एक्वी और नाक्स शब्दों से मिलकर बना होता है। जिसमें एक्वि का अर्थ है समान और नॉक्स का मतलब है रात। इस दिन सूर्य धरती पर मौजूद भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर से होकर गुजरता है। इसलिए इस दिन रात और दिन दोनों 12-12 घंटे के होते हैं। खगोलविदों के लिए यह दिन विशेष महत्व का है।
23 सितम्बर को आटम्नल इक्वीनोक्स भी कहा जाता है। इस दिन बाद सर्दियां आनी शुरू हो जाती हैं और दिन छोटे होते हैं तथा रातें लम्बी हो जाती हैं। इसके विपरीत 21 मार्च को होने वाले इक्वीनोक्स को वर्नल कहा जाता है। इसके बाद गर्मियां आनी शुरू होती है। गर्मियां आने के साथ दिन बड़े और रातें छोटी हो जाती हैं।
जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में प्रवेश करते हैं:
पृथ्वी पर मौसम अपने आप बदल जाते हैं, आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? इन घटनाओं के पीछे सूर्य और पृथ्वी का सौरमंडल में भ्रमण करने के कारण होता है। 23 सितम्बर को सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में प्रवेश करता है, जिससे सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने लगती हैं। इस कारण 23 सितम्बर के बाद ठंड महसूस होने लगती है।
जापान में इक्वीनोक्स है खास:
धरती पर मौजूद और देशों की तुलना में जापान में इक्वीनोक्स विशेष है, क्योंकि 23 सितम्बर को जापान में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है। यह छुट्टी 1948 से घोषित की गयी है।