Your offering to you -sachi shiksha hindi

तेरा तुझको अर्पण…

मेरे लिए वह क्षण बड़ा प्रेरणादाई था, जब पूज्य गुरु जी ने आर्गेनिग खेती के महत्व पर जोर देते हुए इस पद्धति को अपनाने पर जोर दिया था। उस दिन मैं सत्संग में डेरा सच्चा सौदा आया हुआ था। मैंने उसी दिन अपने जीवन का उद्देश्य निश्चित कर लिया था कि लोगों के सुखमई जीवन की खातिर रिसर्च करूंगा।

पूज्य गुरु जी के इसी आइडिया से मैंने ठान लिया कि खेती में रासायनिकों के बढ़ते इस्तेमाल से मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को अपने अध्ययन में शामिल करूंगा। करीब एक वर्ष की रिसर्च के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि खेतीबाड़ी में प्रयुक्त होने वाले कैमिकल्स का इन्सान के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जहरीले छिड़काव से जहां आस-पास का वातावरण दूषित होता है, वहीं कृषि कार्य करने वाले किसान-मजदूर व दूषित वातावरण के प्रभाव में आने वाले लोगों के जीवन पर इसका खतरनाक असर पड़ता है। लोगों में कैंसर जैसी असाध्य बीमारी इसी जहरीले वातावरण की देन है।

पटियाला (पंजाब) के सरकारी मैडीकल कॉलेज में फिज्योलॉजी विभाग में बतौर असिस्टैंट प्रोफैसर नियुक्त डॉ. इकबाल इन्सां की इस रिसर्च को भारत सरकार की संस्था इस्टीच्यूट आॅफ स्कॉलर ने मान्यता देते हुए उन्हें रिसर्च एक्सीलैंस अवार्ड-2023 से सम्मानित किया है। यही नहीं, डॉ. इकबाल को पंजाब जोन की रिसर्च टीम का आजीवन सदस्य भी बनाया गया है।

डॉ. इकबाल सिंह इन्सां ने अपना यह अवार्ड पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को समर्पित करते हुए कहा कि मेरी रिसर्च का मूल पूज्य गुरु जी द्वारा दिया गया वह विचार ही था, जो उन्होंने सत्संग के दौरान फरमाया था। डॉ. इकबाल पिछले करीब 25 वर्षों से डेरा सच्चा सौदा से जुडेÞ हुए हैं।

डॉ. इकबाल सिंह को इससे पहले कई स्टेट अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। उनका कहना है कि पूज्य गुरु जी की ओर से अपने सत्संगों के माध्यम से आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने पर लंबे समय से जोर दिया जा रहा है, ताकि इन्सानी जीवन को पेस्टीसाईड के बेतहाशा प्रयोग से पनप रही खतरनाक बीमारियों से बचाया जा सके। लोगों को जहरीले कैमिकल्स के बिना खेती करने की ओर बढ़ना चाहिए, जिसमें आर्गेनिक खेती बेहद कारगर साबित हो रही है।

20 से 50 वर्ष की आयुवर्ग के लोगों पर करीब एक वर्ष चली थी रिसर्च

फसलों में अकसर प्रयुक्त होने वाले पैस्टीसाईड और ईनसेक्टीसाईड सिर्फ किसानों के ही नहीं, आमजन के फेफड़ों में कैंसर का कारण बन रहे हैं, जबकि आर्गेनिक तरीके से की जा रही खेती किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। यह चौंकाने वाले परिणाम डॉ. इकबाल सिंह इन्सां की रिसर्च में सामने आये हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. इकबाल इन्सां ने अपनी रिसर्च का केंद्र बिंदु पटियाला शहर के आस-पास के गांवों को बनाया।

इसमें उन्होंने 20 वर्ष से लेकर 50 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों को दो ग्रुप में शामिल किया। हर ग्रुप में 100 सदस्य शामिल थे, जो वाट्सएप के माध्यम से जुड़े हुए थे। एक गु्रप में उन किसानों को शामिल किया गया जो आर्गेनिक तरीके से खेती करते हैं, जबकि दूसरी तरफ उन किसानों का चयन किया गया जो खेतों में फसल की देखभाल के लिए जहरीली दवाईयां का इस्तेमाल करते थे। डॉ. इकबाल इन्सां ने इन अलग-अलग ग्रुप के किसानों पर कई तरह के प्रयोग किए, जिसमें उनका स्वास्थ्य, रहन-सहन व खान-पान इत्यादि शामिल था। डॉ. इकबाल इन्सां ने पाया कि आर्गेनिक तरीके से कृषि करने वाले किसानोें के फेफड़ों को कोई नुकसान सामने नहीं आया, किंतु कैमिक्लस प्रयुक्त खेती करने वाले 90 फीसदी किसानों के फेफडेÞ खराब पाए गए, जिनमें उनके अंदर बलगम, खांसी और फेफड़ों की अन्य कई बीमारियां भी थी।

इस रिसर्च से यह भी स्पष्ट हो गया कि फेफड़ों में लगातार इन्फेक्शन की वजह से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी पैदा होती है। डॉ. इकबाल इन्सां ने बताया कि उन्होंने पाया कि किसान आमतौर पर सल्फर, इंडोसल्फान, मोनोसिल, मैकनोजेब जैसी करीब 234 प्रकार की दवाईयां प्रयुक्त करते हैं। किसान भाई जब भी इन दवाओं का छिड़काव इत्यादि करते हैं तो इनका असर हवा के द्वारा किसानों के फेफड़ों तक पहुंचता है, जो नुकसानदेह साबित होता है। डॉ. सिंह ने रिसर्च दौरान पिछले 5 वर्षों में इन गांवों में हुई लोगों की मौत के आंकड़ों को भी एकत्रित किया, जिसमें 80 से 85 फीसदी मामले कैमिकल्स के प्रभाव से जुड़े हुए थे।  – खुशवीर सिंह तूर

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