success

success कड़े परिश्रम से मिलती है सफलता -आज हर व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहता है। प्रतिस्पर्धा के इस युग में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने हेतु निरन्तर संघर्ष करना होता है। जो संघर्ष में विजय श्री का वरण कर लेता है, उसे ही जीवन में खुशी हासिल होती है। कतारों में खड़े रहकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करने वाला पीछे ही रह जाता है।

जब से मनुष्य ने इस भूमि पर जन्म लिया है, तब से अब तक उसकी ज्ञान, सत्य और सुख पाने की जिज्ञासा शांत नहीं हुई है। अभी भी वह सुख व समृद्धि पाने के लिए व्याकुल है। वह भोग विलासिता के साधन एकत्रित करता है। आज के प्रतिस्पर्धा के युग में हर व्यक्ति एक-दूसरे से आगे निकलना चाहता है और प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति के द्वार भी खुले हैं। जिस व्यक्ति को बिना मेहनत के सफलता मिल जाती है, वह उसे तकदीर समझने लगता है। वह कहता है मेरी तकदीर में सुख लिखा है। मेरी तकदीर अच्छी है। मेरे पास आज वह सब कुछ है जो होना चाहिए था। अक्सर ही यह सुनने को मिलता है।

व्यक्ति तकदीर खुद बनाता है। ईश्वर किसी भी मनुष्य की तकदीर को अच्छा या बुरा नहीं लिखता। मनुष्य भाग्य का निर्माता है। व्यक्ति कर्म करने के लिए कुछ हद तक स्वतंत्र है, वह अपनी तकदीर स्वयं ही बनाता व बिगाड़ता है। अच्छा हुआ तो सारा श्रेय ले लेता है , बुरा हुआ तो सारा दोष औरों को देने लगता है। भगवान को भला-बुरा कह कर दोष देने लगता है। मनुष्य को कड़े परिश्रम से सफलता मिली तो वह उसे कर्म कहता है। श्रीकृष्ण जी महाराज ने पवित्र गीता में अपने उपदेशों में कहा है कि ‘बिना मेहनत के हर सफलता अधूरी व फीकी होती है। मनुष्य को अच्छे कर्म करने चाहिए। व्यक्ति जैसे कर्म करता है, फल वैसा ही मिलता है।’

Also Read:  Veg Momos: वेज मोमोज

कर्म एक क्रिया है जिसमें व्यक्ति स्वभाव के अनुसार कार्य करता है। किसी इच्छा को पाने के लिए प्रयास ही कर्म है। बहुत से लोगों की मान्यता है कि तकदीर व कर्म एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जिन्हें पृथक नहीं किया जा सकता। मेहनती व्यक्ति मरुस्थल को भी हरा-भरा बना देता है, सागर से मोती ले आता है, पहाड़ों को काट कर रास्ता बना लेता है और आलसी व्यक्ति सागर के किनारे बैठ प्रतीक्षा करता रहता है। इसलिए मनुष्य होने के नाते सर्वदा परोपकार के कार्य करते रहना चाहिए। जो लोग दूसरों की भलाई करते हैं उनकी तकदीर संवर जाती है।

कर्म न करना और तकदीर का रोना रोने से किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होती है। जब आदमी के जीवन में दुखों का पहाड़ टूटता है तो वह यंत्र-मंत्र-तंत्र, ओझा, तांत्रिकों या झाड़फूंक करने वालों की शरण में चला जाता है और अपने बेशकीमती समय को बर्बाद करते हैं और रोना रोते हैं तकदीर का। ऐसे आलसी लोग हमेशा काम से जी चुराते हैं या गलत कामों में लग जाते हैं।

राम-नाम के सुमिरन, भक्ति-इबादत करके कार्य करना चाहिए, क्योंकि सुमिरन करने से मनुष्य की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। उसका आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे संघर्ष आसान हो जाता है। ‘आत्मबल सफलता की कूंजी है।’ मनुष्य का वश मात्र कर्म करने में ही है। उसका कर्मफल पीछा नहीं छोड़ते। यदि उसने पुण्यकर्म किये तो सुख मिलेगा और नीच कर्म करने वाले दु:ख भोगते हैं। जिंदगी में बुरे कर्म व्यक्ति को नरक-सा दु:ख व अच्छे कर्म स्वर्ग-सा सुख दिलाते हैं। इसलिए प्रभु का सुमिरन करना चाहिए। प्रभु के नाम के जाप से इतनी शक्ति मिलती है कि व्यक्ति दु:ख के दिन काट लेता है और आगे सत्कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।

Also Read:  अनाथ मातृ-पितृ सेवा मुहिम: बहन हनीप्रीत इन्सां ने बुजुर्गों की सेवा कर मनाया मदर्स-डे

हमारे पिछले कर्म ही आज की तकदीर हैं। आज के कर्म कल की तकदीर बनेंगे। तो क्यों न अच्छे कर्म करके अपने भविष्य को संवारा, सुधारा जाए।- राजेश कुमार शर्मा