hotel below the sea sachi shiksha

अक्सर जब भी किसी लग्जरी होटल रूम की बात होती है तो कई लोग कल्पनाओं की उड़ान भरने लगते हैं। एक ऐसी ही कल्पना अब साकार होने जा रही है। ये कल्पना है समुद्र में पानी के बीच बने होटल, जहां आप आरामदायक ही नहीं, बल्कि लहरों के नीचे, रंगबिरंगी मछलियों और समुर्दी जीवों के बीच अनोखा अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

लहरों के नीचे मछलियों के बीच सोने की कल्पना खतरनाक लग सकती है लेकिन पानी के अंदर कमरे बनाने के लिए जरूरी तकनीक अच्छी तरह स्थापित और जाँची परखी है। पानी के अंदर ‘वाटर डिस्कस’ नाम से होटल बनाने की योजना बना रही पोलैंड की कंपनी डीप ओशन टैक्नोलॉजी को खींचकर किसी भी उपयुक्त जगह पर ले जाया जा सकेगा और स्थापित किया जा सकेगा।

इस होटल में पानी के भीतर 22 कमरे होंगे- पानी की सतह के ऊपर भी इसी तरह का हिस्सा है और दोनों हिस्सों को सीढ़ियों और लिफ्ट से जोड़ने की योजना है।

अब ऐसी पनडुब्बियां बनाना संभव है जो समुद्र में 500 मीटर गहराई तक जा सकती हैं, तो पानी के नीचे होटल बनाना मुश्किल नहीं है।

उनके अनुसार उनकी कम्पनी द्वारा इस तकनीक को अब नए तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है।

पनडुब्बी बनाने से होटल बनाना आसान है क्योंकि होटल को 15 मीटर की गहराई से नीचे नहीं रखा जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पानी धूप के लिए फिल्टर का काम करता है और 15 मीटर से नीचे नीले रंग के अलावा बाकी रंग धुल जाते हैं।

इसका मतलब है कि समुद्र की रंगारंग दुनिया को करीब से देखने के लिए होटल के कमरों को छिछले पानी में होना जरूरी है।

प्रवक्ता के अनुसार कम्पनी की योजना 10 मीटर की गहराई तक कमरे मुहैया कराने की है क्योंकि इसी क्षेत्र में समुद्र का सबसे खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।

लेकिन इसमें सबसे बड़ी चुनौती होगी पानी के नीचे स्थित होटल से होने वाले शोर को काबू में रखने की। शोरगुल से मछलियां और दूसरे समुद्री जीव दूर भाग सकते हैं जिससे पानी के नीचे होटल बनाने का मकसद ही खत्म हो जाएगा।

लेकिन कंपनी का दावा है कि सावधानी से डिजाइन बनाकर इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया गया है। इसके लिए शौचालय, पंप और वातानुकूलन से जुड़े उपकरणों को होटल के बीच वाले हिस्से में रखा जाएगा। लेकिन पानी के नीचे ऐसा होटल बनाना एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि समुद्र में किसी प्रकार की गतिविधि करने के नियम अलग-अलग रहते हैं।

समुद्री नियमों को लेकर हर देश के अपने अपने कानून हैं। इस होटल को कोई पनडुब्बी जैसा उपकरण भी मान सकते हैं, एक जहाज भी मान सकते हैं या फिर समुद्र से तेल निकालने के लिए बनाया गया ढांचा भी माना जा सकता है। इसके साथ ही ऐसे किसी होटल को स्थापित करने के लिए समुद्र में जगह खोजना भी मुश्किल हो सकता है। क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत तट से 12 नॉटिकल मील के अंदर होटल स्थापित किया जा सकता है लेकिन इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी। साथ ही इसे समुद्री पर्यावरण के लिए बनाए गए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी पालन करना पड़ेगा।

लेकिन फिलहाल ऐसे होटल को किसी खास देश के जलक्षेत्र में बनाए जाने की कोई योजना नहीं है।

यूरोपीय देशों, खासतौर पर ब्रिटेन व फ्रांस में इस बारे में कोई ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिलता क्योंकि वहां के होटल इंडस्ट्री के लोगों का मानना है कि होटल शानदार होगा लेकिन ठंडा और ज्वार भाटा वाला समुर्दी पानी भीतर ठहरने के बजाए सर्फिंग और नौकायन के लिए बेहतर हैं।

अमेरिका के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में स्थित गरम पानी वाले समुद्र इसके लिए उपयुक्त हैं। बताते चलें कि वहां फ्लोरिडा के तट पर स्थित दो बेडरूम वाला जूल्स अंडरसी लॉज साल 1986 से आंगतुकों को 31 फीट की गहराई पर ठहरा रहा है। इससे पहले इस ढांचे को 1970 के दशक में प्यूर्तो रिको के तट पर समुद्री प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था।

लेकिन इसका तरीका डीप सी टेक्नोलॉजी के प्रस्तावित होटल से अलग है- इसका पूरा ढांचा पानी के नीचे है और केवल स्कूबा गियर पहनकर ही वहां जाया जा सकता है।

तंजानिया में पेम्बा द्वीप के तट पर मांटा रिजॉर्ट में पानी के नीचे कमरे बने हैं। यह वॉटर डिस्कस या जूल्स अंडरसी लॉज की तरह समुद्र की तलहटी से नहीं जुड़ा है।

यह समुद्र की सतह पर तैर रहे एक ढांचे से जुड़ा है- बहने से बचने के लिए इसमें नाव की तरह लंगर डाला गया है। आगंतुक तैर रहे ढांचे से सीढ़ियों के जरिए होटल के कमरों में घुसते हैं। वाकई, अब यह महज कल्पना नहीं रही है। (हिफी) – सपना

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