बुढ़ापे को सुखमय बनाएं – उम्र बढ़ने के साथ परेशानियां एवं बीमारियां बढ़ जाती हैं एवं शारीरिक, मानसिक सक्रि यता में कमी आ जाती है। इनमें से अधिकांश को सरलता से नियंत्रित किया जा सकता है एवं कुछ उपायों से इन्हें बढ़ने से रोक कर बुढ़ापे को सुखमय बिताया जा सकता है।

दिनचर्या सही हो

उम्र बढ़ने के साथ साथ अपनी दिनचर्या को सही रखना चाहिए। सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक अपना सभी काम संयमित, नियमित एवं समय पर करना चाहिए। सोना, जागना, शरीर की बाहरी, भीतरी सफाई, भोजन, व्यायाम, टहलना, ध्यान पठन-पाठन, मनोरंजन आदि सभी जीवन के लिए आवश्यक हैं। इन्हें सही रखें।

व्यस्त रहें

बुढ़ापे को नाकारा न बनाएं, व्यर्थ में समय न गंवाएं। घर-परिवार के छोटे-छोटे काम में सहयोग करें। उनसे घुल-मिलकर समय बिताएं। बच्चे, बड़ों से लेकर हम उम्र के व्यक्ति से, पड़ोसी एवं अपने आसपास के लोगों से मित्रतापूर्ण व्यवहार रखें। इससे परेशानियां कम होंगी, उम्र बढ़ेगी, स्वस्थ रहेंगे और समय का सदुपयोग होगा।

भोजन उपयुक्त हो

समय पर सही मात्र में भोजन करें। वह पौष्टिकता से परिपूर्ण हो। तली, भुनी एवं अधिक नमक, मिर्च, मसाले वाली चीजें, मीठी चीजों से बचें, इन्हें कम खाएं। भोजन ताजा, सादा व सुपाच्य हो। उम्र बढ़ने के साथ पाचनक्रि या में कमी आती है, अतएव भोजन ज्यादा न कर सामान्य मात्र में करें। जलपान जरूर करें। मौसमी फल, साग, सब्जी का स्वाद जरूर लें। दूध, दही का उपयोग करें। समोसा, कचौड़ी, चाट, चाय, कॉफी, तम्बाकू, नशा, धूम्रपान से दूर रहें। भोजन ऐसा लें जो जल्दी पच जाए।

शारीरिक सक्रि यता जरूरी

भौतिक सुख-साधनों के बाद टहलना, श्रम, व्यायाम एवं काम करने में कोताही ना करें। वह कार्य अवश्य करें जिससे शारीरिक सक्रियता बनी रहे क्योंकि इसकी सक्रि यता से बीमारियां अपने-आप कम व दूर रहती हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। अकर्मण्य व्यक्ति के शरीर में रोगों का वास होता है। एक बात ध्यान रखें कि मन के स्वस्थ रहने से शरीर भी स्वस्थ रहता है, इसलिए अपने मन को सही व स्वस्थ रखें। बुढ़ापे में थकाने वाला शारीरिक, मानसिक कार्य न करें। काम और आराम का सही समायोजन हो।

ध्यान दें

  • भोजन संतुलित एवं पोषण वाला हो।
  • भोजन में फल, साग-सब्जी अवश्य हो।
  • भोजन गर्म, ताजा, सादा, सुपाच्य हो।
  • नमक, शक्कर, मिर्च, मसालों की अधिकता से बचें।
  • सभी प्रकार के नशों से दूर रहें। चाय, कॉफी कम लें।
  • यदि कोई बीमारी हो तो उसका दवा, उपचार जरूर कराएं।
  • निर्धारित दवा लें। समय-समय पर डॉक्टर से मिलें।
  • सुस्त न रहें। सदैव सक्रि य रहें।
  • अधिक खर्च न करें। तनाव न पालें।
  • घर-परिवार की परेशानी से भागें नहीं, उसे सुलझाएं।
  • सभी से घुलें-मिलें। हंसे-हंसाएं। खामोश न रहें।
  • बातचीत से सभी समस्याआें का हल मिल जाता है।
  • समय पर सोएं एवं जागें। प्रात: की हवा का लाभ लें।
  • समय-समय पर परिजनों एवं मित्रों से मिलें।
  • किसी भी चीज की अति न करें। यह नुकसान पहुंचाती है।
  • अपने जरूरी आवेगों को न रोकें।
  • बीमारी को न छिपाएं। सभी का उपचार संभव है। किसी को छिपाने, दबाने से परेशानी बढ़ती है। जरूरी मेडिकल टेस्ट करवाने से कतरायें नहीं।
  • सेवा के अवसर का लाभ लें।
  • कभी-कभार अपरिचितों के बीच बैठकर उनकी बातों का आनंद लें।
  • कोई भी दिखे, मुस्कुराएं जरूर।

-सीतेश कुमार द्विवेदी

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