Growing child

बढ़ते बच्चे के साथ कैसे आएं पेश? Growing child -अगर आप किसी बच्चे के मां बाप से मिलें और उनसे उनके बच्चे के बारे में पूछें तो यकीनन उनकी हर समस्या उनके बच्चे के बारे में होगी। यहां तक कि कुछ माएं तो अपने बच्चों को स्कूल भेज कर चैन की सांस लेती हैं।

उन्हें लगता है कि बच्चों के साथ उनके सारे काम अधूरे रह जाते हैं और बच्चों की आपसी लड़ाई के चलते वे अपना कोई भी काम नहीं कर पाती। कानपुर की मिसेज वर्मा के अनुसार ‘ये दोनों मिलकर तो पूरा घर (आसमान) सर उठा लेते हैं।’ कई बार तो भाई बहन की यह लड़ाई इतनी बढ़ जाती है कि कई मांओं को उन्हें कंट्रोल करने के लिए उनकी पिटाई तक करनी पड़ती है।

आइए जानें बच्चों की ऐसी ही कुछ समस्याएं और उनके समाधान को:-

गुस्से का दौरा पड़ने पर

कभी भी अगर आपको बच्चा गुस्से में दिखे तो उस पर हमदर्दी दिखाने के बजाए उसे थोड़ी देर वैसे ही छोड़ दें। बच्चे को अपने ऊपर हावी न होने दें। बच्चे को मनाने के लिए उसकी बेवजह मांगों को न पूरा करें। बच्चे को एकांत में कुछ देर छोड़ दें और फिर थोड़ी देर के बाद उसके गुस्से के शांत होने पर उससे बात करें।

अगर बच्चा कोई अच्छा कार्य करता है तो आपके प्यार को दर्शाता हुआ उस कार्य का कोई छोटा सा तोहफा उसे मिलना चाहिए और हर गÞलत कार्य के लिए उसे फौरन (तुरंत) पर छोटी-सी सजा, मिलनी चाहिए जिससे उसे अच्छे बुरे काम की पहचान हो।

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भाई-बहन की आपसी लड़ाई

जरूरी नहीं कि एक ही मां-बाप की संतान होने का यह मतलब है कि दोनों बच्चों के विचार भी एक हों और वे दोनों प्यार से रहें। भाई-बहन होने पर भी बच्चों के स्वभाव में भिन्नता होती ही है। पहले पहल तो मां-बाप को बच्चों को समस्याओं को स्वयं ही सुलझाने देना चाहिए लेकिन अगर लड़ाई में आपको भाग लेना ही पड़ रहा हो तो अपना निर्णय कभी भी उन पर नहीं थोपना चाहिए। बच्चों को मिल-बांट कर रहने और खाने का तरीका बताइए। उन्हें बताइए कि आज अगर वे अकेले हैं तो कल को कोई और भी उनके साथ हो सकता है।

खाने-पीने से जुड़ी समस्याएं

यह भी एक बड़ी और विकट समस्या है जिससे अमूमन मां-बाप जूझते नजर आते हैं। खाने की टेबल पर बने हुए खाने से दूर भागते बच्चे या उन चीजों को देखकर नाक-भौं सिकोड़ते हुए इन बच्चों से मां-बाप यदा-कदा घिरे रहते हैं। आप उनको प्यार व मनुहार से कुछ खिलाने की कोशिश करिए। अगर उससे भी वह न मानें तो हफ्ते में एक बार कुछ ऐसा करें जिससे प्रेरित होकर बच्चा खाने को हेय दृष्टि से न देखे। इसके लिए आप शाम के वक्त आस-पास के बच्चों का छोटा सा ‘गेट-टु-गेदर‘ रखें जिससे बच्चे में खाने की आदत पड़ेगी। अपने फ्रिज में कुछ न कुछ ऐसी चीजेंÞ हमेशा रखें जिससे बच्चा भूखा न रहने पाए।

बच्चों की वस्तुओं की मांग

आजकल के बच्चे तो जैसे बाजार में उपलब्ध नवीनतम उत्पादों के दीवाने हो चुके हैं। यहां तक कि ये नई पीढ़ी के बच्चे अपने-मां-बाप को किसी क्र ेडिट कार्ड से कम नहीं समझते। ऐसे में यह समस्या मां-बाप के लिए एक बेहद गंभीर समस्या बनती जा रही है। मां-बाप को चाहिए कि वे समाज में रह रहे अन्य अत्यंत गरीब बच्चों का उदाहरण दें और उन्हें समझाएं कि उन गरीब बच्चों के पास तो कुछ भी नहीं है,

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और फिर भी वे बेचारे मेहनत से कमा रहे हैं, कुछ कर रहे हैं। यकीन मानें, इस उदाहरण से आपके बच्चे के कोमल हृदय पर जरूर असर होगा। साथ ही उन्हें अपने परिवार की आर्थिक स्थिति का हवाला दें और उन्हें बताएं कि हर मांग को पूरा करना आपके लिए आसान नहीं पर फिर भी कभी-कभी अपने बजट में से कुछ हिस्सा अपने बच्चे पर भी खर्च करें। इससे वह अपने आप को उपेक्षित नहीं समझेगा।

किशोरावस्था से संबंधित समस्याएं

अगर आपका बच्चा भी उम्र के इस पड़ाव से गुजर रहा है तो आपको काफी एलर्ट रहना पड़ सकता है। ‘न कहना’ कभी-कभी अच्छा होता है और कभी ज्यादा बार ‘न‘ कहने से उनके ऊपर इसका उल्टा असर पड़ सकता है। बढ़ते हुए बच्चे अपने आस-पास के माहौल में एक ‘रोल मॉडल‘ ढूंढते हैं, इसलिए आप क्या हैं और आप क्या करते हैं, इसका उन पर हर तरह से असर पड़ता है। अपनी जिंदगी में आई तेजी को हल्का सा कम करिए और किशोर बच्चों के साथ घर पर कुछ समय गुज़ारिए।

अपने बच्चों को लेकर सपने देखना अच्छी बात है पर उन पर बार-बार उसी बात को लेकर जोर डालने से, या दूसरों के सामने उनका हर समय जिक्र करने से वे बेवजह गुस्सा या ऐसी ही कई और समस्याओं से घिर सकते हैं, इसलिए अपने बच्चों के लिए चिंता करना छोड़ कर उन्हें दें एक ऐसा कल जिसकी ख्वाहिश वे करते हों। -तरन्नुम अतहर